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मुंबई/जितेंद्र शर्मा। बहु भी बेटी होती है और बेटियां बेटों से किसी भी मामले में कम नहीं, बशर्ते समाज इस बात को समझे और उसी अनुसार व्यवहार करे, तो शायद बहू, बेटी और बेटी-बेटे में फर्क मिट जाए। इसी बात को डीडी किसान पर "किसके रोके रुका है सवेरा" में मुख्य किरदार निभा कनक यादव फिर एक बार दर्शकों का मन मोह लिया। बीते दिनों 'किसके रोके रुका सवेरा' का 50 एपिसोड प्रसारित होने पर मना जश्न मनाया गया।धारावाहिक के निर्माता, निर्देशक और कलाकारों ने इस शो से जुड़ी दिलचस्प बातें साझा की।

यह कहानी समाज को नई दिशा देती है और नई पहल की शुरुआत के लिए प्रेरित करती है। यह शहरों की समस्या व महिला सशक्तिकरण की कहानी है।

इसका प्रसारण सोमवार से शुक्रवार रात 9 बजे दूरदर्शन पर होता है। इसके निर्देशक प्रमोद शास्त्री हैं।

इसमें मुख्य किरदार निभाने वाली अभिनेत्री कनक यादव (आशा) ने अपने अनुभव व किस्सों को साझा करते हुए कहा कि "किसके रोके रुका है सवेरा" में मैं आशा का किरदार निभा रही हूँ। धारावाहिक में आशा एक नई नवेली दुल्हन होती है जिसको घर की मर्यादाओं और घर की पाबंदियों में बांध कर रखा जाता है। जिसे पढ़ने लिखने व अन्य किसी चीज के लिए कोई अनुमति नही होती सिर्फ घर के चूल्हा चौका तक सीमित रखा जाता है। लेकिन इन सभी जबरन थोपी गई परंपराओं को तोड़ कर किसी तरह पढ़ाई कर अधिकारी बनती हूँ। इसी पर आधारित पूरा किरदार है। जो समाज में पनप रही बेटी- बहु के भेदभाव को दूर करेगी साथ उन्हें अपनी मंजिल पाने में एक नयी दिशा देगी।

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