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मुंबई, 7 जून 2020। कोविड-19 की महामारी के दौर में कैंसर के मरीज़ों की सहायता और जागरुकता के लिए कैंसर पेशंट्स ऐड एसोसिएशन (CPAA), व विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) द्वारा मुफ्त म्यूज़िकल कंसर्ट 'यस टू लाइफ़... नो टू टोबैको' का आयोजन आज 7 जून को किया जा रहा है, जो कि रात 8.00 बजे से शुरू होगा.

 इस कार्यक्रम से प्रतिष्ठित गायक - सलीम-सुलेमान, विशाल ददलानी, कुणाल गांजावाला, बेनी दयाल, शादाब फ़रीदी, नेहा भसीन, जोनिता गांधी, शिल्पा राव, अदिति सिंह, भूमि त्रिवेदी, आकृति कक्कड़, अनुषा मणि, ममता शर्मा, रसिका शेखर आदि भी बाकी तमाम हस्तियों के साथ जुड़ेंगे.
एक तरफ़ दुनिया जहां कोविड-19 जैसी महामारी से जूझ रही है, तो वहीं दूसरी तरफ़ कैंसर पेशंट्स ऐड एसोसिएशन (CPAA) व विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) की साझेदारी में एक अनूठे म्यूजिकल कंसर्ट का आयोजन करने जा रहा है. इस कंसर्ट का नाम 'यस टू लाइफ़... नो टू टोबैको' रखा है और इसका आयोजन 7 जून, 2020 को रात 8.00 बजे से शुरू होगा. इस कंसर्ट में शान, कुणाल गांजावाला, सलीम सुलेमान, नेहस भसीन जैसे प्रमुख गायक/गायिकाएं अपनी गायिकी का जलवा बिखेरेंगी। इस कंसर्ट का मक़सद इस महामारी के दौरान कैंसर के मरीज़ों का इलाज पूरा करने में हरसंभव मदद करना है.
इस कंसर्ट से हासिल होने वाली सहायता राशि से उन ग़रीब मरीज़ों की मदद की जाएगी जो अपने इलाज के लिए मुम्बई तो पहुंचे हैं, मगर लॉकडाउन के दौरान वे फंस गये हैं. ऐसे में CPAA की ओर से ऐसे मरीज़ों को मासिक तौर पर राशन मुहैया कराने के साथ-साथ उनके ठहरने की व्यवस्था में भी मदद की जा रही है और उन्हें हाइजीन किट्स के ज़रिए सैनटाइजर, मास्क आदि चीज़े उपलब्ध कराई जा रही हैं. ऐसे मरीज़ों को और जागरूक बनाने के लिए CPAA ने विश्व स्वास्थ्य संगठन के साथ मिलकर एक म्यूजिकल कंसर्ट का आयोजन किया है. इस कंसर्ट में शान, कुणाल गांजावाला, बेनी दयाल, सलीम मर्चेंट, शादाब फ़रीदी, नेहा भसीन, जोनिता गांधी, शिल्पा राव, ध्वनि भानुशाली, अदिति सिंह, भूमि गांधी, आकृति कक्कड़, अनुषा मणि, ममता शर्मा, रसिका शेखर के अलावा भी कई और विशिष्ट हस्तियां हिस्सा लेंगी. इस कंसर्ट को मुफ्त में सीधे तौर पर टिक टॉक पर देखा जा सकेगा.
इस कंसर्ट की अहमियत इसलिए भी बढ़ जाती है क्योंकि निरंतर 150 मिनट तक चलनेवाले इस मनोरंजक कंसर्ट के माध्यम से जागरुकता संबंधी जो सूचनाएं प्रसारित की जाएंगी,
इस साल 'वर्ल्ड नो टोबैको डे-2020' के मद्देनज़र थीम "युवाओं का तंबाखू उद्योग व उनके हथकंडों से बचाव और युवाओं को तंबाखू व निकोटीन के सेवन से रोकना' रखी गयी है. ऐसे में CPAA ने डिफ़र्ड लाइव कार्यक्रम - क्विट इंडिया टोबैको (तंबाखू भारत छोड़ो) का आयोजन भी किया है. इसका मक़सद सोशल मीडिया के प्रभाव, इसकी पहुंच और उसके उन्मुक्त स्वभाव को बेहतर ढंग समझना और उसका बढ़िया इस्तेमाल करना है.
तंबाखू जनित पदार्थों से हर साल 80 लाख से ज्यादा लोगों की मौत होती है. तंबाखू और उससे जुड़े हुए उद्योगों को अपने ऐसे उपभोगताओं को रीप्लेस करने के बारे में निरंतर सोचते रहना चाहिए, जो कमाई के चक्कर में उनके उत्पादों के सेवन से मौत का शिकार हो रहे हैं. सिर्फ़ भारत में ही तंबाखू के सेवन से हर साल 13.5 लाख लोगों की मौत होती है. पूरे विश्व में कैंसर से होनेवाली मौतों में 25% मौतों का कारण तंबाखू का सेवन है. निकोटीन और तंबाखू उत्पादों के सेवन से कैंसर, हृदयरोग और फेफड़े संबंधी बीमारी होने का ख़तरा बढ़ जाता है. तकरीबन 10 लाख लोगों की मौत दूसरों के धूम्रपान करने से निकले धुएं के सेवन से हो जाती है. तंबाखू से जुड़े उत्पादों को बेचनेवाली कंपनियों ने विज्ञापनों पर 8 बिलिय‌‌न डॉलर खर्च कर डाले और दुनियाभर में इन उत्पादों के सेवन और सेकेंड हैंड एक्पोजर से मरनेवालों की संख्या 80 लाख तक पहुंच गयी.
CPAA की कार्यकारी निदेशक अनीता पीटर कहती हैं, "वर्ल्ड नो टेबैगो डे 2020' नीति‌-निर्धारकों और सामान्य लोगों को तंबाखू उद्योग द्वारा अपनाये जानेवाले हानिकारक हथकंडों से अवगत कराएगा. इसके अलावा धूम्रपान करनेवालों और संभावित धूम्रपान करनेवालों को भी चेताया जाएगा क्योंकि धूम्रपान करना युवाओं की मौत का सबसे बड़े कारणों में से एक है. CPAA को इस बात का बेहद गर्व है कि वह पिछले 51 सालों से कैंसर के क्षेत्र में कार्यरत है और इसके ज़रिए हमने हर साल मुंह और फेफड़ों के कैंसर से जूझ रहे 3000 मरीज़ों के इलाज में मदद की. गौर करनेवाली बात है कि इस महामारी के चलते तंबाखू का उपभोग करनेवालों को कोविड-19 का शिकार होने का ज्यादा खतरा है क्योंकि धूम्रपान करने से फेफड़े कमज़ोर हो जाते हैं.

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