मुंबई संघर्ष का दूसरा नाम है इसलिए वर्षा चौहान के हिस्से में यहां कई सालों का संघर्ष लिखा था, जो उन्होंने किया। इसी का नतीजा है कि यहां उन्हें काम मिलता रहा, लेकिन वर्षा आलतू-फालतू का काम नहीं करना चाहती। कुछ बेहतर दिखाने के लिए ही उन्होंने शुरूआती साल दो बड़े प्रोडक्शन हाउस में एडी बनकर काम किया। इस मामले में वह बलदेव वालिया को अपना गुरू मानती है जिन्होंने वर्षा को सलमान की मूवी बॉडीगार्ड में बतौर सहायक निर्देशक नियुक्त कर दिया क्योंकि बलदेव इस बात को समझते थे कि वर्षा का सेंस ऑफ ह्यूमर बहुत अच्छा है और वह हर बात को दूसरों की अपेक्षा जल्दी पकड़ती है। सहायक निर्देशक के तौर पर काम करते-करते वर्षा के करीबी लोग उन्हें कहने लगे कि शानदार पर्सनैलिटी होने के बावजूद वह प्रोडक्शन-डायरेक्शन में अपना टाइम वेस्ट क्यों कर रही है। उन्होंने वर्षा को एक्टिंग और मॉडलिंग में जाने की सलाह दी और इस तरह वर्षा ने सभी की सलाह मानते हुए एक्टिंग की फील्ड में जंप मारा और मनीष के पी यादच की मूवी आमीन में दमदार रोल हासिल कर लिया। इसमें वह एक ऐसी रिपोर्टर का कैरेक्टर प्ले कर रही हैं, जो पूरी कहानी को एक साथ जोड़ती है।
हालांकि इससे पहले वर्षा चौहान कई शॉर्ट फिल्मों का डायरेक्शन भी कर चुकी हैं लेकिन वह कहती हैं कि उन्हें डायरेक्शन के प्रति ज्यादा दिलचस्पी नहीं है। हां, वह बुक लवर जरूर हैं। वर्षा कहती हैं कि उन्हें तरह-तरह की किताबें पढ़ने का शुरू से ही शौक रहा है। मिर्जा गालिब, कबीर, मुंशी प्रेमचंद आदि को भी पढ़ा है। वर्षा कंगना रानौत की बड़ी प्रशंसक हैं। वह कहती हैं कि मैं कंगना के वर्क को एडमायर करती हूं। कंगना की तरह ही मैं हर तरह के रोल करना चाहती हूं। मैं यहां फालतू का काम करने नहीं आई। बॉलीवुड को लेकर मैं बहुत सीरियस हूं।
फोटो : रमाकांत मुंडे मुम्बई
Post a Comment
Click to see the code!
To insert emoticon you must added at least one space before the code.