मुम्बई। पिछले दिनों बी एफ सी पब्लिकेशन्स (लखनऊ) द्वारा प्रकाशित बायोग्राफी 'मेजर आनंद- ख़्वाबों की मंज़िल का नायक' (सफरनामा फौज से फिल्मों तक) का लोकार्पण समारोह आदर्श नगर, अंधेरी (मुम्बई) स्थित शाकुंतलम स्टूडियो में वेस्टर्न इंडिया फिल्म प्रोड्यूसर्स एसोसिएशन के महा सचिव दिलीप दलवी एवं अन्य पदाधिकारी राजेश मित्तल, सुभाष दुर्गारकर, वरिष्ठ फिल्म पत्रकार अरुण कुमार शास्त्री, शामी एम इरफान, फिल्मकार आकाश जैन, फिल्म एडिटर राजीव प्रसाद, शंकर माही और राजेश खन्ना के सचिव रह चुके अश्वनी ठक्कर की उपस्थिति में संपन्न हुआ।
इस किताब में मेजर आनंद के फिल्मी कैरियर से जुड़े अनछुए पहलुओं को शामिल किया गया है। साथ ही साथ फिल्म विधा में रुचि रखने वाले नवोदित कलाकारों व फिल्म निर्माताओं के लिए इस बायोग्राफी में फिल्म डायरेक्टरी का भी समावेश किया गया है।पाठकों के लिए भी यह बायोग्राफी काफी उपयोगी साबित होगा। अभिनेता मेजर आनंद 3 सितंबर 2020 को इस दुनिया को अलविदा कहा और वो पंच महाभूतों में समाहित हो गये। किंतु बकौल फिल्मकार, लेखक शायर गुलज़ार साहब के शब्दों में- 'आनंद मरा नहीं...आनंद कभी मरते नहीं...'। अभिनेता मेजर आनंद मेरे मित्रों में शुमार थे और उनकी ज़िंदगी के कई पन्नों में कहीं न कहीं मैं भी रहा हूँ।बल्कि उनकी शादी का भी मैं चश्मदीद गवाह रहा हूँ,..फिर अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी से इंजीनियर बन कर फौज में सेवारत रहने के क्रम में किस तरह बंगला देश के युद्ध में शामिल हुए, फिर किस तरह अभिनेता संजय खान से मिलने के बाद एक्टर बनने का शौक पाला फिर फिल्मों ने आर्थिक सुरक्षा नहीं दी और उन्होनें रीयल एस्टेट प्रॉपर्टी डीलर के वयवसाय के क्षेत्र में कदम रखने के बाद आर्थिक रूप से आत्म निर्भर बने, यही है अभिनेता मेजर आनंद की ज़िंदगी का लब्बोलुआब।
मेजर आनंद की बॉयोग्राफी में पाठकों को यही सब पढ़ने का मौका मिलेगा। फिल्म जगत में नवोदित संघर्षरत कलाकारों के लिये यह किताब काफी उपयोगी साबित होगा। यह किताब का किंडल (ई बुक) संस्करण अमेज़न डॉट इन, फ्लिपकार्ट, गूगल प्ले और समशवर्ड पर ऑन लाइन उपलब्ध है। इस किताब को पाठकों तक सामने लाने की गहन जिम्मेदारी फिल्म पत्रकार काली दास पाण्डेय ने निभायी है।
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