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इंसान को सबसे बुद्धिमान प्राणी माना जाता है । लेकिन वह स्वार्थ और लालच में आकर खुद से कमजोर लोगों पर ज़ुल्म करता है । अपने फायदे के लिए वह अन्य प्राणियों को मार डालता है ।
 फ़िल्म ' जंगली ' के जरिये निर्देशक ने एक संदेश देने की कोशिश की है । हाथी दांत से नाना प्रकार के आभूषण बनते हैं । लेकिन उसे प्राप्त करने के लिए इंसान जानवर बन जाता है और मासूम हाथियों को मार डालता है ।
फ़िल्म में मानवीय संवेदनाओं को भी दर्शाया गया है क्योंकि फ़िल्म का नायक राज नायर ( विद्युत जामवाल ) जानवरों का डॉक्टर है । उसका बचपन जंगल में गुजरा है जहां एक हाथी से उसकी दोस्ती रहती है ।
राज के पिता दीपांकर नायर केरल के जंगल में रहते हैं जहां वह हाथियों के संरक्षक हैं ।
उनकी पत्नी केंसर के वजह से चल बसती है जिससे राज अपने पिता से नाराज़ होकर मुम्बई चला जाता है । फिर बाद में अपनी माँ की दसवीं बरसी पर वह पिता के पास जाता है । उसका पीछा करते साथ में एक रिपोर्टर मीरा राय ( आशा भट ) भी पहुंचती है ।
गांव में उसके बचपन के साथी शंकरा ( पूजा सावंत ) , फारेस्ट रेंजर देव ( अक्षय ओबेरॉय ) और गुरु गजा ( मकरंद देशपांडे ) से मुलाकात होती है लेकिन वह अपने प्रिय साथी भोला हाथी से मिलने को बेताब हो उठता है ।
 थोड़ी तलाश के बाद भोला अपने झुंड के साथ राज को मिलता है ।
भोला हाथी के दांत बहुत बड़े हो चुके हैं जिसपर ताइवान के एक इंटरनेशनल स्मगलर वेन की नज़र पड़ चुकी है । वेन हाथी दांत की प्राप्ति के लिए एक खतरनाक शिकारी ( अतुल कुलकर्णी ) को चुनता है ।
एक रात शिकारी भोला हाथी सहित कई हाथियों पर आक्रमण कर देता है । जब तक राज घटनास्थल पर पहुंचता है तब तक अपने प्रिय हाथियों की रक्षा करते हुए उसके पिता दीपांकर भी मारा जाता है ।
  आगे राज को पता चलता है कि पूरा सिस्टम ही भ्रष्ट है फिर वह घायल शेर की भांति सबका मुकाबला करता है और हाथी दांत की स्मगलिंग को रोकता है ।
 जंगली में विद्युत जामवाल अपने नाम के अनुरूप गज़ब की फुर्ती का प्रदर्शन करते हैं , उनका एक्शन हैरतअंगेज है ।
 इमोशल सीन में वे मात खा जाते हैं । फ़िल्म का दृश्यांकन नयनाभिराम है ।
बच्चों के हिसाब से हाथी के रोल को और बढ़ाया जा सकता था ।
फ़िल्म का गीत संगीत असरदार नहीं बन सका ।
चक रसेल निर्देशन में कमाल करने से चूक गए ।
फ़िल्म देखने का एक ही कारण है विद्युत का लाजवाब एक्शन लेकिन अंत में यह फ़िल्म एक सुंदर सा संदेश दे जाता है ।

गायत्री साहू

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