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नानावती मैक्स सुपर स्पेशियलिटी हॉस्पिटल, मुंबई के सहयोग से न्यूटेक डायग्नोस्टिक सेंटर में मिलेगी सुविधा 

मुंबई। नानावती मैक्स सुपर स्पेशियलिटी हॉस्पिटल, मुंबई ने शहर स्थित न्यूटेक डायग्नोस्टिक सेंटर के सहयोग से वयस्कों और बच्चों के लिए समर्पित हेपेटोलॉजी और गैस्ट्रोएंट्रोलॉजी ओपीडी सेवाओं की शुरुआत की। यह पहल लिवर व गैस्ट्रो संबंधी बीमारियों के समय पर निदान और इलाज को सुलभ बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।
 इन ओपीडी सेवाओं की शुरुआत नानावती मैक्स सुपर स्पेशियलिटी हॉस्पिटल, मुंबई के एचपीबी सर्जरी, लिवर और मल्टी ऑर्गन ट्रांसप्लांट विभाग के डायरेक्टर डॉ. गौरव चौबल की उपस्थिति में हुई। उनके साथ लिवर, पैंक्रियाज और गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल रोगों के विशेषज्ञों की एक टीम भी उपलब्ध रहेगी। यह टीम हर महीने के पहले और दूसरे शुक्रवार को सुबह 10 बजे से शाम 4 बजे तक परामर्श सेवा देगी। यह ओपीडी सेवा न्यूटेक डायग्नोस्टिक सेंटर, बरवे रोड, शेलार पार्क के पास, खडकपाड़ा, कल्याण में उपलब्ध होगी। 
 इस अवसर पर नानावती मैक्स सुपर स्पेशियलिटी हॉस्पिटल, मुंबई के एचपीबी सर्जरी, लिवर और मल्टी ऑर्गन ट्रांसप्लांट विभाग के डायरेक्टर डॉ. गौरव चौबल ने कहा, “लिवर संबंधी रोग गंभीर स्वास्थ्य संकट बनते जा रहे हैं, जो समय पर इलाज न मिलने पर लिवर फेलियर जैसी जटिल स्थितियों का कारण बन सकते हैं। भारत के कई हिस्सों में अनुवांशिक कारणों, निष्क्रिय जीवनशैली और पर्यावरणीय कारणों से तीव्र और दीर्घकालिक लिवर रोगों की संख्या में वृद्धि देखी जा रही है। कल्याण में इन ओपीडी सेवाओं की शुरुआत का उद्देश्य है उच्च जोखिम वाले वयस्कों और बच्चों की जांच कर समय पर चिकित्सा सहायता देना, जिससे इस क्षेत्र में लिवर और गैस्ट्रो से जुड़ी स्वास्थ्य सेवाओं की गुणवत्ता में सुधार हो सके।”
 डॉ. चौबल ने लिवर फेलियर के कुछ प्रमुख लक्षणों की जानकारी देते हुए बताया कि बार-बार बुखार आना, पीलिया, गहरा पेशाब, सफेद मल, पेट में सूजन और अचानक वजन घटना गंभीर संकेत हो सकते हैं। इसके अलावा लगातार थकान, उलटी, और त्वचा पर आसानी से नीला पड़ना जैसी समस्याएं भी तत्काल चिकित्सकीय जांच की मांग करती हैं।
 कल्याण में इन ओपीडी सेवाओं की शुरुआत नानावती मैक्स सुपर स्पेशियलिटी हॉस्पिटल की इस प्रतिबद्धता को और मजबूत करती है कि भारत भर में विश्वस्तरीय स्वास्थ्य सेवाएं पहुंचाई जाएं और किसी भी व्यक्ति का स्वास्थ्य केवल संसाधनों की कमी या जागरूकता के अभाव में खतरे में न पड़े।

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