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फिल्म - भेड़िया

निर्देशक - अमर कौशिक

संगीत - सचिन जिगर

लेखक - नीरेन भट्ट

छायांकन - जिष्णु भट्टाचार्य

कलाकार - वरुण धवन, कृति सेनन, अभिषेक बनर्जी, दीपक डोबरियाल और पॉलिन कबक

रेटिंग - 3 स्टार 

'भेड़िया' फिल्म एक हॉरर कॉमेडी फिल्म है। इस फिल्म में सस्पेन्स के साथ एक स्ट्रांग मैसेज भी है जो फिल्म देखने के बाद भी आपकी जेहन में मौजूद रहेगा। फिल्म भेड़िया बॉलीवुड में क्रिएचर कॉमिडी फिल्म की नई शुरुआत है। हॉलीवुड में इस सब्जेक्ट पर कई फिल्म और सीरीज़ बन चुकी है लेकिन बॉलीवुड में यह शुरुआत है।

फिल्म की कहानी शुरू होती है दिल्ली में रहने वाले  भास्कर (वरुण धवन) से जिसे अरूणांचल प्रदेश के जीरो में सड़क बनने का प्रोजेक्ट मिलता है। वह अपने चचेरे भाई जनार्दन उर्फ जेडी (अभिषेक बनर्जी) के साथ प्रोजेक्ट का काम शुरू करने पहुंच जाता है। यहाँ उसकी प्रोजेक्ट में सहायता करने के लिए पांडा (दीपक डोबरियाल) मिलता है।पांडा परप्रांतीय होने के बावजूद स्थानीय लोगों से घुल मिल गया है और आंचलिक परंपरा से भली भांति परिचित है। भास्कर प्रोजेक्ट में ज्यादा लाभ कमाने के लिए जीरो में जंगल को काटकर जंगल के बीच से रास्ता बनाने का फैसला करता है। पांडा उसे समझाता है कि वह जंगल से छेड़छाड़ ना करे वरना विषाणु उसे नहीं छोड़ेगा। भास्कर उसकी बात को अनसुना कर देता है और अपने काम में लग जाता है। पांडा की बात सच साबित होती है और भास्कर को भेड़िया काट लेता है। उसकी जान बचाने के लिए उसे जानवरों के डॉक्टर अनिका (कृति सेनन) के पास ले जाया जाता है। उसकी जान तो बच जाती है मगर अभी उसकी लाइफ में नया ट्विस्ट आ जाता है। वह हर पूनम की रात भेड़िया बन जाता है और उसके जीवन में समस्याएं शुरू हो जाती है। आखिर भास्कर को कौन कौन सी चुनौतियों का सामना करना पड़ता है? आखिर विषाणु कौन है? यह सब जानने के लिए भेड़िया देखना पड़ेगा।

फिल्म का वीएफएक्स बहुत बढ़िया है। फ़िल्मांकन भी उम्दा है। फिल्म में प्राकृतिक दृश्य और भेड़िया बनने वाला दृश्य देख आपको फिल्म वेनहेलसिंग और अवतार की याद आ जायेगी। फिल्म के संवाद में चुटीले एवं मज़ेदार हैं। फिल्म का गीत साधारण है यह वर्तमान जनरेशन को ध्यान में रखकर बनाया गया है।

यह फिल्म आपको पानी पूरी की तरह लगेगी कुछ खट्टी, कुछ मीठी और थोड़ी तीखी मगर खाने का आंनद भी आता है मगर पेट नहीं भरता। वैसे ही यह चटपटी, सस्पेन्स और हॉरर से भरी है मगर कहीं ना कहीं कमी खटकती है। फिल्म पहला पार्ट ठीक है पर दूसरा थोड़ा स्लो लगता है। फिल्म के अंत में स्त्री के मुख्य पात्र भी आ धमकते हैं।

अब बात करते हैं अभिनय की तो वरुण धवन ने बहुत अच्छा काम किया है। दीपक और अभिषेक की कॉमेडी फिल्म में जान डालती है। पॉलिन कबक का अभिनय भी बढ़िया है। कृति भी फिल्म का टर्निंग पॉइंट है और सरप्राइज है। कहानी भी ऐसे मोड़ पर रुकती है जिससे इसका दूसरा पार्ट भी बन सकता है।

- गायत्री साहू

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