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मुंबई. राज्य सरकार द्वारा खरीदी गई तुअर दाल(अरहर) अब सरकारी दुकानों पर राशन कार्डधारकों को ५५ रुपए प्रति किलो की दर से मिलेगी। मंगलवार को राज्य मंत्रिमंडल की बैठक में यह फैसला लिया गया। इसके अलावा मंत्रिमंडल ने प्रदेश सरकार के विभिन्न विभागों के माध्यम से लागू योजनाओं के लिए १ किलो पैकिंग के लिए ८० और ५० किलो पैकिंग के लिए ३७५० रुपए के अनुसार तुअर दाल आपूर्ति के लिए कार्येत्तर मंजूरी दी है।
दरअसल, सरकार ने २५ लाख २५ हजार क्विंटल तुअर की खरीद की है। अब इनमें से स्कूली शिक्षा विभाग को तीन लाख क्विंटल, मेडिकल शिक्षा और एफडीए विभाग को २१६० क्विंटल और महिला व बाल विकास विभाग को ३ लाख ६० हजार ६०० क्विंटल तुअर दाल देने का फैसला लिया गया है।

गृह विभाग, सामाजिक न्याय विभाग व आदिवासी विकास विभाग को भी इसी दर पर तुअर दाल उपलब्ध कराई जाएगी। इसके अलावा ई- टेंडर द्वारा दाल खुले बाजार में बेचने के लिए बिक्री ऑफसेट कीमत ५५ रुपए प्रति किलो के अनुसार बिक्री शुरू करने को मान्यता दी गई है।
प्रदेश में साल २०१६-१७ में तुअर का बड़े पैमाने पर उत्पादन हुआ था। किसानों का नुकसान न हो इसके लिए केंद्र और राज्य सरकार ने विभिन्न योजनाओं के माध्यम से न्यूनतम समर्थन मूल्य पर तुअर खरीद की थी।
हैंडलूम उद्योग को राहत देने ब्याज में ५ फीसदी सहूलियत
हैंडलूम धारकों की ओर से राष्ट्रीयकृत बैंक अथवा वित्तीय संस्थान से लिए गए कर्ज के ब्याज की रकम में पांच प्रतिशत रकम राज्य सरकार की ओर से दी जाएगी। सरकार के इस निणNय का फायदा ८५ प्रतिशत हैंडलूम धारकों को होगा। सरकार ब्याज सहूलियत के लिए हर साल ५४ लाख ७ हजार रुपए का भुगतान करेगी। पांच वर्षों के लिए २ करोड़ ७१ लाख रुपए का प्रावधान किया गया है।
महाराष्ट्र में लगभग पूरे देश के ५० प्रतिशत यानी १२ लाख ७० हजार हैंडलूम हैं। इसमें से करीब दस लाख हैंडलूम पुरानी तकनीक वाले हैं। सिर्फ १५ प्रतिशत हैंडलूम आधुनिक तकनीक वाले हैं। 
इनमें निर्यात के लिए उच्च दर्जे के कपड़े तैयार किए जाते हैं।
राज्य के हैंडलूम में बननेवाले कपड़े में से सिर्फ १० प्रतिशत कपड़ों से ही यहां की जरूरत पूरी हो जाती है। बाकी ९० प्रतिशत कपड़ा या तो दूसरे राज्य में बिक्री के लिए भेजा जाता है या फिर उसे विदेश में बेचा जाता है। हैंडलूम उद्योग से राज्य में प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष रुप से ३० लाख लोगों को रोजगार मिला है।
राज्य में लागू होगी प्रधानमंत्री मातृवंदन योजना
मातृ एवं शिशु मृत्यु दर में कमी लाने और जच्चा-बच्चा के स्वास्थ्य की देखभाल के लिए केंद्र सरकार द्वारा शुरू प्रधानमंत्री मातृवंदन योजना को महाराष्ट्र में भी लागू किया जाएगा। मंत्रिमंडल की बैठक में इसे मंजूरी दी गई। इस योजना पर खर्च होने वाली रकम का ४० फीसदी हिस्सा राज्य सरकार देगी। केंद्र सरकार ने गत १ जनवरी से इस योजना का शुभारंभ किया था।
इस योजना को राज्य में लागू करने के लिए राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के निदेशक और स्वास्थ्य सेवा आयुक्त को बतौर राज्य समन्वयक नियुक्त किया गया है। इस योजना का लाभ केवल पहली संतान और सरकार द्वारा अधिसूचित संस्थाओं द्वारा पंजीकृत महिलाओं को मिलेगा। लाभार्थी के बैंक खाते में तीन चरणों में पांच हजार रुपए जमा किए जाएंगे।

इस योजना का लाभ वेतन के साथ-साथ मातृत्व अवकाश प्राप्त करने वाली महिलाओं को नहीं मिलेगा। इस योजना को राज्य में लागू करने के लिए १४० करोड़ का प्रावधान किया गया है। नागपुर अधिवेशन में पूरक मांग के माध्यम से इसे मंजूरी दी जाएगी। यह योजना पूरे राज्य में लागू की जाएगी। अमरावती व भंडारा में महिला व बाल विकास विभाग द्वारा लागू इंदिरा गांधी मातृत्व सहयोग योजना बंद कर दी जाएगी। जबकि राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन की जननी सुरक्षा योजना जारी रहेगी।

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