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मुंबई। जहाँ मिशन हो सेवा का, दृष्टिकोण हो समग्र का, और साधन हो सच्चाई का, ऐसे बिजनेस में हर डील, हर निर्णय एक ध्यान बन जाता है।
यही है कर्मयोगी नेतृत्व, जो सिर्फ संपत्ति नहीं, संस्कार भी रचता है। देविदास श्रावण नाईकरे सिर्फ एक बिजनेस कोच नहीं, एक ऐसी प्रेरणा हैं जिन्होंने हजारों उद्यमियों को सिखाया कि बड़े टर्नओवर से पहले चाहिए बड़ा विज़न, और स्थायी सफलता से पहले चाहिए स्थिर मन।
अल्टीमेट मिलेनियर ब्लू प्रिंट कार्यक्रम 3 से 6 जुलाई को लोनावला की हरी वादियों में संपन्न हुआ। 4 दिन की ये ट्रांसफॉर्मेशनल यात्रा सिर्फ बिजनेस स्ट्रैटेजी नहीं सिखाती बल्कि वेदों की गहराई, ध्यान की शक्ति और करुणा की ऊर्जा से भी जोड़ती है। अवॉर्ड सेरेमनी में महाराष्ट्र के कई टॉप बिजनेसमैन को सम्मानित किया गया।
कार्यक्रम में सेलिब्रिटी गेस्ट प्रसिद्ध संगीतकार दिलीप सेन ने कहा कि ये अवॉर्ड सिर्फ कामयाबी का नहीं, आपकी सोच और सेवा का प्रतीक है।
आपको बता दें कि देवीदास नाईकरे 12 किताबों के लेखक हैं और उन्हें 30 से अधिक राष्ट्रीय सम्मान प्राप्त हो चुका है। वह शिक्षा, महिला शक्ति, स्वास्थ्य व गाँवों के उत्थान में सतत कार्यरत हैं। उनका मंत्र है,
जब मन स्थिर हो, कर्म स्पष्ट हो और उद्देश्य नेक हो तब बिजनेस भी सेवा बन जाता है, और जीवन भी साधना।

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