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भाषा संवाद का माध्यम है संघर्ष का नहीं - आशीष शेलार

हिंदी मुंबई की आम भाषा बन गई - प्रताप सरनाईक 

मुंबई। महाराष्ट्र के सांस्कृतिक मंत्री आशीष शेलार ने महाराष्ट्र और तमिलनाडु जैसे राज्यों में भाषा के नाम पर विद्वेष फैलाने से असहमति जताते हुए कहा कि भाषा संवाद का माध्यम है, भाषा संघर्ष का माध्यम नहीं है। भाषा लोगों को जोड़ने का काम करती रही है, भाषा को लोगों को तोड़ने के लिए इस्तेमाल नहीं किया जाना चाहिए। जो लोग भाषा के नाम पर विद्वेष फैला रहे हैं, उन्हें छत्रपति शिवाजी महाराज और उनके पुत्र छत्रपति संभाजी महाराज से प्रेरणा लेनी चाहिए। 

मुंबई हिंदी पत्रकार संघ की ओर से उत्तर भारतीय संघ के बांद्रा पूर्व सभागृह में हिंदी पत्रकारिता दिवस पर हिंदीसेवी सम्मान समारोह के दौरान अपने संबोधन में कहा कि सभी भारतीय भाषाओं का अपना सम्मान और महत्व है। राजनीतिक कारणों से भाषाई विवाद खड़ा करने वालों को आड़े हाथों लेते हुए उन्होंने कहा कि मराठीभाषी संपादकों सर्वश्री विष्णुराव पराड़कर, माधवराव सप्रे, रामकृष्ण खाडिलकर, थत्ते जी का हिंदी पत्रकारिता को संस्कारित और स्थापित करने में बहुत बड़ा योगदान है। उन्होंने कहा कि सच्चा पत्रकार किसी का दोस्त नहीं हो सकता, पत्रकार अपने विचार और अपने सिद्धांत का दोस्त होता है, जो लोग उसके इस तेवर का सम्मान करते हैं, पत्रकार बेशक उनका दोस्त हो सकता है। 

हिंदीसेवी सम्मान समारोह में राज्य के परिवहन मंत्री प्रताप सरनाईक ने कहा कि हिंदी मुंबई की आम भाषा बन गई है। इसके बावजूद कुछ लोग अपने अस्तित्व को बनाए रखने के लिए भाषा के नाम पर विद्वेष फैलाने का काम करते हैं, लेकिन जनता जब समय आता है तो बता देती है कि आपके इस दर्शन से हम सहमत नहीं है। उन्होंने कहा कि जिसे हिंदी आती है,उसे मराठी भी आती है और जिसे मराठी आती है, उसे हिंदी भी आती है। हिंदी और मराठी के समन्वय का असर है कि महायुति सरकार चल रही है। पूर्व मंत्री चंद्रकांत त्रिपाठी, विधायक राजहंस सिंह, विधायक संजय उपाध्याय, सिद्धिविनायक मंदिर के कोषाध्यक्ष आचार्य पवन त्रिपाठी ने भी अपने विचार व्यक्त किए। 

इसके अलावा भारतीय जन संचार संस्थान (आईआईएमसी) के पूर्व महानिदेशक प्रो. संजय द्विवेदी ने बतौर मुख्य वक्ता हिंदी और हिंदी पत्रकारिता के सफर की विस्तार से चर्चा की। उनका कहना है कि डिजिटल मीडिया का सूरज कभी नहीं डूबता, इसका कोई भूगोल नहीं है। जो डिजिटल पर है,वह सब कुछ ग्लोबल होने की संभावना से भरा हुआ है। उन्होंने कहा कि सिर्फ 200 वर्षों की यात्रा में जो विकास हिंदी ने किया है, उसका सर्वाधिक श्रेय संचार माध्यमों को है। इतनी तेजी से कोई भाषा नहीं फैली, जबकि देश का प्रभु वर्ग आज भी औपनिवेशिक दासता का शिकार है और 'अंग्रेजियत' से भरा हुआ है। मीडिया, मनोरंजन के माध्यमों ने हिंदी के विकास में ऐतिहासिक योगदान दिया है।

कार्यक्रम में उद्योगपति ज्ञान प्रकाश सिंह, वरिष्ठ पत्रकार विमल मिश्र, साहिल जोशी, प्रो. बृजेश मिश्र तथा यतेंद्र सिंह यादव को हिंदी सेवा सम्मान प्रदान किया गया। कार्यक्रम के आयोजक संस्था के अध्यक्ष आदित्य दुबे, महामंत्री विजय सिंह कौशिक ने अतिथियों का स्वागत किया। कार्यक्रम में विधायक मुरजी पटेल, हिंदी पत्रकार संघ के पदाधिकारी राजकुमार सिंह, सुरेंद्र मिश्र, अखिलेश मिश्र, अशोक शुक्ला और हरिगोविंद विश्वकर्मा समेत शहर के राजनीति, साहित्य और पत्रकारिता जगत के प्रमुख लोग उपस्थित थे। अभय मिश्र ने कार्यक्रम का संचालन किया।

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