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जंडियाला गुरु। शिक्षा का मूल उद्देश्य है चरित्र का निर्माण करना, असत्य से सत्य की ओर ले जाना, बंधन से मुक्ति की ओर जाना, लेकिन आज की शिक्षा भौतिकता की ओर ले जा रही है। भौतिक शिक्षा से भौतिकता की प्राप्ति होती है और नैतिक शिक्षा से चरित्र बनता है। इसलिए वर्तमान के समय प्रमाण भौतिक शिक्षा के साथ साथ बच्चो को नैतिक शिक्षा की भी आवश्यकता है। उक्त वक्तव्य जंडियाला गुरु, पंजाब में माउंट आबू राजस्थान से प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्व विद्यालय के ब्रह्माकुमार भगवान भाई ने कहे। वे एस. ए. जैन सीनियर सेकंडरी स्कूल में छात्र, छात्राओं और शिक्षकों को जीवन में नैतिक शिक्षा का महत्व के विषय पर बोल रहे थे। 
भगवान भाई ने कहा कि विद्यार्थियों को मुल्यांकन, आचरण, अनुकरण, लेखन, व्यवहारिक ज्ञान इत्यादि पर जोर देना होगा। वर्तमान समाज में मूल्यों की कमी हर समस्या का मूल कारण है। परीक्षा के समय अपनी सकारात्मक सोच रखें। परीक्षा का डर मन से निकालिए। समय का सदुपयोग करें। अपना हैंड रायटिंग अच्छा और स्पष्ट लिखें। किसी का कापी राइट ना करें, आत्मविश्वास से लिखें। उन्होंने बताया कि परोपकार, सेवाभाव, त्याग, उदारता, पवित्रता, सहनशीलता, नम्रता, धैर्यता, सत्यता, ईमानदारी आदि सद्गुण नहीं आते तब तक हमारी शिक्षा अधूरी है। शिक्षा एक बीज है और जीवन एक वृक्ष है। जब तक हमारे जीवन रूपी वृक्ष में गुण रूपी फल नहीं आते तब तक हमारी शिक्षा अधूरी है। समाज अमूर्त होता है और प्रेम, सद्भावना, भातृत्व, नैतिकता एवं मानवीय सद्गुणों से सचालित होता है।
उन्होंने कहा कि भौतिक शिक्षा से भौतिकता का विकास होगा और नैतिक शिक्षा से सर्वांगीण विकास होगा। नैतिक शिक्षा से ही हम अपने व्यक्तित्व का निर्माण करते हैं जो आगे चलकर कठिन परिस्थितियों का सामना करने का आत्मविवेक व आत्मबल प्रदान करता है। उन्होंने कहा कि नैतिकता के अंग हैं, सच बोलना, चोरी न करना, अहिंसा, दूसरों के प्रति उदारता, शिष्टता, विनम्रता, सुशीलता आदि। नैतिक शिक्षा के अभाव के कारण ही आज जगत में अनुशासनहीनता, अपराध, नशा-व्यसन, क्रोध, झगड़े आपसी मन मुटाव बढ़ता जा रहा है।
डायरेक्टर सरदार जोगेंद्र सिंह ने कहा कि नैतिक शिक्षा ही मानव को ‘मानव’ बनाती है क्योंकि नैतिक गुणों के बल पर ही मनुष्य वंदनीय बनता है। सारी दुनिया में नैतिकता अर्थात सच्चरित्रता के बल पर ही धन-दौलत, सुख और वैभव की नींव खड़ी है।
प्रिन्सिपल श्रीमती सुनीता उपल ने भी अपना उद्बोधन देते हुए कहा कि नैतिक शिक्षा से ही छात्र-छात्राओं में सशक्तिकरण आ सकता है। उन्होंने आगे बताया कि नैतिकता के बिना जीवन अंधकार में है। नैतिक मूल्यों की कमी के कारण अज्ञानता, सामाजिक, कुरीतियां व्यसन, नशा, व्यभिचार आदि के कारण समाज पतन की ओर जाता है।
मैनेजर अम्रत सागर ने भी नैतिक शिक्षा के अभाव के कारण ही आज जगत में अनुशासनहीनता, अपराध, नशा-व्यसन, क्रोध, झगड़े आपसी मन मुटाव बढ़ता जा रहा है।
स्थानीय ब्रह्माकुमारी राजयोग सेवा केंद्र की बीके नर्मदा बहन ने कहा कि जब तक जीवन में आध्यात्मिकता नही है तब तक जीवन में नैतिकता नही आती है। आध्यात्मिकता की परिभाषा बताते हुए उन्होंने कहा कि स्वयं को जानना, परमपिता परमात्मा को जानना और उन्हें स्मरण करना ही आध्यात्मिकता है, जिसको राजयोग कहते हैं। राजयोग को अपनी दिनचर्या का अंग बनाने की अपील की गई।
कार्यक्रम की शुरुआत स्वागत से की गयी और अंत में बी के भगवान भाई ने मन की एकाग्रता बढाने हेतु राजयोग मेडिटेशन भी कराया।
चेयरमैन चंद्रभूषण जैन ने भी अपना उदबोधन देते हुए ब्रह्माकुमारी संस्था का विस्तार से परिचय दिया।
कार्यक्रम में खजांची संजीव जैन, बी के भूपेन्द्र सिंह, बी के राकेश कुमार, बी के आरती बहन आदि सभी शिक्षक व स्टाफ भी उपस्थित थे।

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