0

·         38.2 प्रतिशत के साथ मुंबई बेहतर स्थिति में, 15.4 प्रतिशत लोगों को मास्क्ड (अनदेखा/अप्रत्यक्ष) और22.8 फीसदी लोगों को व्हाइट-कोट हायपरटेंशन
मुंबई : पहली बार क्लिनिक में रक्तचाप के लिए जाने पर 43 फीसदी भारतीय मास्क्ड हायपरटेंशन और व्हाइट कोट हायपरटेंशन के शिकार बन जाते हैंयह कहना है इंडिया हार्ट स्टडी (आई.एच.एस) के निष्कर्षों का। अध्ययन में यह भी पाया गया कि भारतीयों के दिल की धड़कन की दर 80 बीट प्रति मिनट हैजो कि 72 बीट प्रति मिनट की वांछित दर से अधिक है।
मुंबई में (1643 प्रतिभागी) हुई इस स्टडी में पाया गया कि -
·         15.4 फीसदी उत्तरदाताओं को पता ही नहीं था कि वे रक्तचाप के उच्चतर स्तर (मास्क्ड रक्तचाप) के शिकार हो गए हैं।
·         इसी तरह 22.8 फीसदी उत्तरदाताओं में व्हाइट कोट उच्च रक्तचाप पाया गया और उनका गलत निदान किया गया।
अन्य स्थानों की तुलना में जहां यह अध्ययन किया गया था, 50प्रतिशत भागीदारी के साथमुंबई में अधिक महिलाएं अपने स्वास्थ्य के प्रति जागरूक लग रही थीं।
अध्ययन की एक और खास बात यह है कि अन्य देशों की तुलना मेंभारतीय लोगों में सुबह की तुलना में शाम को उच्च रक्तचाप पाया गयाइसका अर्थ यह हुआ कि डॉक्टरों को उच्च रक्तचाप से ग्रस्त लोगों के लिए दवा की खुराक के समय पर पुनर्विचार करना चाहिए। उच्च रक्तचाप के लिए किसी भी उपचार के दौरान ऐसी दवा की पसंद पर भी विचार करना चाहिए जो उच्च हृदय गति को कम करने में मदद करे।
आईएचएस के प्रिंसिपल इन्वेस्टिगेटरकार्डियोलॉजिस्ट और चेयरमैन बत्रा हार्ट सेंटर और बीएचएमआरसीनई दिल्ली के डीन एकेडमिक्स एंड रिसर्च डॉ उपेंद्र कौल ने कहा, ‘‘इंडिया हार्ट स्टडी भारत में उच्च रक्तचाप के बेहतर नैदानिक प्रबंधन की आवश्यकता की ओर इशारा करती है। इस अध्ययन में खास तौर पर भारत से संबंधित आंकडे जुटाए गए हैंजिनकी सहायता से हम भारतीय लोगों में उच्च रक्तचाप के निदान के लिए बेहतर तरीके से प्रयास कर सकते हैं। यह स्टडी हायपरटेंशन के विभिन्न पहलुओं पर संपूर्ण डेटा प्रस्तुत करती है।‘‘

एरिस लाइफ्साइंसेज ने इंडिया हार्ट स्टडीज की शुरुआत की, जो बत्रा हॉस्पिटल एंड मेडिकल रिसर्च सेंटर के तत्वाधान में की गयी। 

स्टडी के बारे में और जानकारी देते हुए की- इन्वेस्टिगेटर और कार्डियोवस्कुलर रिसर्च इंस्टीट्यूट मास्ट्रिच (सीएआरआईएम) डॉ विलियम वर्बर्कपीएचडी ने कहा, ‘‘उच्च रक्तचाप का सही-सही पता लगाने के लिए यह बेहद जरूरी है कि हम इसकी उच्च स्तर की निगरानी करें। हालांकिविभिन्न रोगियों में मधुमेह जैसे विभिन्न सह-रुग्णताएं हो सकती हैंइसका अर्थ यह भी है कि हमें घर पर रक्तचाप की निगरानी के लिए बेहतर उपकरणों का उपयोग करना चाहिए। गर्भवती महिलाओंकिशोरों और किडनी विकारों वाले लोगों के लिए होम ब्लड प्रेशर मॉनिटर अलग से प्रमाणित करने की  आवश्यकता है।‘‘
एरिस लाइफसाइंसेज के प्रेसीडेंट - मेडिकल डॉ. विराज सुवर्ण कहते हैं, ‘‘मास्क्ड हायपरटेंशन एक खतरनाक घटना हैजिसका कई बार पता भी नहीं चल पाता। इसलिए जरूरी है कि निर्धारित दिशानिर्देशों के अनुसार क्लिनिक के अलावा घर पर भी लोगों के रक्तचाप की निगरानी करना बेहद महत्वपूर्ण है। उच्च रक्तचाप का सटीक निदान इस बीमारी के खिलाफ हमारी लड़ाई की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है और इससे ही स्वास्थ्य परिणामों में सुधार आ सकता है।‘‘ 
हिंदुजा अस्पताल के कार्डियोलॉजिस्ट और मुंबई से आईएचएस के को-ऑर्डिनेटर डॉ सी के पांडे ने कहा, “उच्च रक्तचाप या उच्च रक्तचाप का अनियंत्रित होना देश में दिल के दौरे के बढ़ने का सबसे आम कारण है। चूंकि हायपरटेंशन के लक्षण खुद को जल्दी प्रकट नहीं करते हैंइसलिए उच्च रक्तचाप का पता लगाना भी कठिन है। इसके अलावाउच्च हृदय गति से भी आगे मामले और जटिल हो जाते हैं।‘‘

मुंबई के होली फैमिली हॉस्पिटलऔर आईएचएस के एक को-ऑर्डिनेटर डॉ ब्रायन पिंटो के अनुसार मुंबई में ऐसे लोगों की संख्या 15 प्रतिशत हैजो यह नहीं जानते कि उन्हें हायपरटेंशन की बीमारी हैऐसे लोग मास्क्ड हायपरटेंशन के शिकार हैं। इससे मरीजों के लिए गंभीर परिणाम हो सकते हैं और इस पर ध्यान देने की जरूरत है।
व्हाइट-कोट हाइपरटेन्सिवजिनका निदान गलत तरीके से हो सकता है और जिन्हें एंटी-हाइपरटेन्सिव दवाएं दी जाती हैंउन्हें अनावश्यक दवाएं लेनी पड़ती हैं। ऐसे व्यक्तियों में हाइपोटेंशन (निम्न रक्तचाप, 90/60 से कम) का भी खतरा होता है। दूसरी ओरएक मास्क्ड हायपरटेंशनजिसका गलत निदान किया गया हैउसकी वजह से हृदयकिडनी और मस्तिष्क से संबंधित अनेक जटिलताओं का जोखिम उत्पन्न होता है और ऐसे मामलों में कई बार समय से पहले मृत्यु भी हो सकती है।
प्रसिद्ध नेफ्रोलॉजिस्ट डॉ. प्रशांत राजपूत कहते हैं, ‘‘हायपरटेंशन गुर्दे सहित शरीर के कई अंगों को प्रभावित करता है। अनियंत्रित उच्च रक्तचाप से क्रोनिक किडनी रोग हो सकता है जो रोग प्रबंधन को जटिल करता है।
स्टडी में ड्रग-नेइव’ प्रतिभागियों के सेट पर ब्लड प्रेशर की रीडिंग लेने की एक विस्तृत प्रक्रिया का उपयोग करके निष्कर्ष दिए गए है। जांचकर्ताओं ने नौ महीनों की अवधि में 15 राज्यों के 1233 डॉक्टरों के माध्यम से 18,918 प्रतिभागियों (पुरुष और महिला) के रक्तचाप की जांच की। लगातार 7 दिनों तक प्रतिभागियों के रक्तचाप की निगरानी दिन में चार बार घर पर की गई।
एरिस लाइफसाइंसेज के बारे में बता दें कि भारतीय फार्मास्युटिकल मार्केट (आईपीएम) की शीर्ष 25 कंपनियों में एरिस लाइफसाइंसेज भी शामिल है। कंपनी ने भारत के स्वास्थ्य प्रणाली में - अनुपालन, चिकित्सीय, निदान से संबंधित गैप को दूर करने पर अपना ध्यान केंद्रित किया है। रोगी की देखभाल में सुधार के लिए कंपनी अपनी कॉर्पोरेट फिलास्फी- पेशेंट केयर फर्स्ट  के एक भाग के रूप में मरीज की देखभाल की पहल का समर्थन करती है, जैसे एबीपीएम ऑन कॉल (24 घंटे बीपी माप), होल्टर ऑन कॉल आदि।

Post a Comment

 
Top