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मुंबई। तंबाखू सेवन के कारण मुंह के कैंसर से पीड़ित मुंबई में रहने वाले एक ऑटो रिक्शा चालक की जान बचाने में एशियन कैंसर इंस्टीट्यूट के डॉक्टरों को सफलता मिली हैं। एशियन कैंसर इंस्टीट्यूट के ऑन्कोलॉजिस्ट और हेमेटो-ऑन्कोलॉजिस्ट डॉ. सुहास आगरे के नेतृत्व में एक डॉक्टर टीम ने यह इलाज किया है।

तंबाकू वैश्विक स्तर पर अकाल मृत्यु के लिए सबसे महत्वपूर्ण जोखिम कारकों में से एक है। फिर भी युवा पिढी में तंबाखू का सेवन बढ रहा है। तंबाखू स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हैं यह जानकर भी लोग तंबाखू सेवन करना नहीं छोड़ते।

मुंबई के बांद्रा मे रहने वाले ऑटोरिक्क्षा चालक सुशील यादव को २०१७ में जीभ के दाहिनी ओर अल्सर का पता चला। इस कारण उन्हें खाना निगलने में कठिनाई महसूस हो रही थी। उन्होंने शहद लगाने और बर्फ चूसने जैसे कुछ घरेलू उपचार आजमाए। पर उसका दर्द कम नहीं हुआ। कुछ दिनों बार उसके मुंह से खून बहना शुरू हुआ। उनके बार उन्होंने ७-८ महिनों तक निजी अस्पताल में इलाज करवाया। लेकिन फिर भी उनकी बीमारी का ठीक से पता नहीं चला। २०१८ में एक स्थानीय अस्पताल के डॉक्टर ने बायोप्सी कराने की सलाह दी। इस वैद्यकीय जांच में उन्हे मुंह के कैंसर का निदान हुआ। मरीज की बिगड़ती सेहत को देखकर उनके रिश्तेदारों ने उन्हें डॉ. सुहास आगरे के पास इलाज के लिए लाये।

एशियन कैंसर इंस्टीट्यूट के ऑन्कोलॉजिस्ट और हेमटो-ऑन्कोलॉजिस्ट डॉ सुहास आगरे ने कहा कि वैद्यकीय जांच में मरीज को मुंह के कैंसर का पता चला। मरीज को तंबाखू सेवन की आदत थी, तंबाखू सेवन ही उनके मुंह के कैंसर का प्रमुख कारण है। भारत के युवाओं में सिगरेट, बीड़ी का सेवन बढ़ रहा है। तंबाकू में लगभग ९३ हानिकारक उत्पाद होते हैं जैसे कि निकोटीन, तंबाकू-विशिष्ट नाइट्रोसामाइन, कार्बन मोनोऑक्साइड, कैडमियम, लेड, एक्रोलिन, एसीटैल्डिहाइड, बेंजीन और अमोनिया फिनाइल। अन्नप्रणाली का कैंसर, मुंह, गला, सिर और गर्दन का कैंसर और तंबाकू के सेवन से जुड़ा अग्न्याशय देश में एक महत्वपूर्ण आर्थिक बोझ है। मुंह के कैंसर से पीड़ित लगभग ९०% लोग तंबाकू का सेवन करते हैं।

डॉ आगरे ने कहा कि जीभ के कैंसर के लिए उपचार किया जिसमें ट्यूमर और गर्दन की ग्रंथियों को हटा दिया गया। सफल सर्जरी के बाद, पोस्टऑपरेटिव हिस्टोपैथोलॉजी रिपोर्ट में प्रारंभिक चरण की बीमारी के कारण मरीज को किसी और उपचार की आवश्यकता नहीं थी। यह मरीज अप्रैल २०१८ से नियमित फॉलो-अप पर है और वर्तमान में सामान्य जीवन जी रहा है। प्रारंभिक निदान होने के कारण मरीज पर इलाज करना आसान हुआ हैं। स्वस्थ रहने और विभिन्न बीमारियों को दूर रखने के लिए तंबाकू छोड़ना अनिवार्य है। मुंह के कैंसर का अगर शुरूआती दौर में ही पता चल जाए तो इसका इलाज संभव है। कई बार मुंह के कैंसर का पता नियमित दांतों की जांच या उपचार के दौरान चलता है।

 मरीज सुशील यादव ने कहा कि बचपन में दिन में २-४ बार तंबाखू सेवन करता था। मेरी इस आदत के बारे में घरवालों को पता नहीं था। लेकिन मैंने २०१० में तंबाखू सेवन छोड दिया। लेकिन अब मुंह के कैंसर होने पर मैं काफी चिंतित हूँ। मैं २०१७ में सिर्फ २९ साल का था, और मैं लगातार सोचता रहता था कि अगर मुझे कुछ हो गया तो मेरे ३ बच्चों, पत्नी और माता-पिता की देखभाल कौन करेगा? मैं इतना चिंतित था कि मैंने खाना बंद कर दिया और सिर्फ दो महीने में मेरा वजन ५८ किलो से घटकर ४९ किलो हो गया। जीभ के छाले और मुंह से खून बहता देख मैं डर गया। मैं भाग्यशाली था कि मुझे डॉ. आगरे से समय पर इलाज मिल गया। मुझे ऑटो चलाना भी बंद करना पड़ा और किसी तरह अपने इलाज के लिए पैसे जुटाए। डॉ आगरे ने मेरी जान बचाई है। मैं अभी ३४ वर्ष का हूं, वजन ६४ किलोग्राम है और मैं बिना किसी कठिनाई या मुंह में जलन के बिना सब कुछ खा सकता हूं। मैं पिछले ३ साल से स्वस्थ जीवन जी रहा हूं और मैंने ऑटो चलाना फिर से शुरू कर दिया है।

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