सच में बदल के रख देता है वो/ इक झूठ को सौ दफा कहते कहते
बिहार। जिस तरह महानगरों में ओपन माईक का चलन जोरों पर है अब छोटे शहरों में भी इस तरह के प्रोग्राम का आयोजन किया जाने लगा है। बिहार का सासाराम उन शहरों में गिना जाता है जहां साहित्य और कला से जुड़े अक्सर कार्यक्रम होते रहे हैं। कवि सम्मेलन और मुशायरा से लेकर यहां कई प्रकार के सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन होता रहता है। पिछले दिनों 18 अक्टूबर 2020 को पोएटिक आत्मा द्वारा सासाराम में ओपेन माईक का आयोजन ज्योति प्रकाश फिजिक्स क्लासेज़, गौरक्षणी पे किया गया जहां कई नामी शायरों, कवियों ने अपनी शायरी पेश की तो कई बेहतरीन ग़ज़लें और गीत भी सिंगर्स ने सुनाए। यहां ऐसे उम्दा श्रोता मौजूद थे जिन्हें शायरी की समझ थी, जो साहित्य और अदब प्रेमी थे, और जिन्हे कला और कलाकारों की कद्र करना आता है।
इस प्रोग्राम के ऑर्गनाइज़र और शायर मोनिश असगर थे।मोनिश असगर पोएटिक आत्मा के वाइस प्रेसिडेंट हैं जो बड़ी तेजी से उभरता हुआ कला मंच है। पिछले कुछ महीनों में पोएटिक आत्मा ने देश भर के अलग अलग शहरों में 60 से भी ज्यादा काव्य और साहित्य गोष्टियां आयोजित की हैं।
सासाराम के इस प्रोग्राम के एनाउंसर दानिश ज़या थे जो बड़े अच्छे शायर भी हैं। कवि सूर्य प्रकाश उपाध्याय ने यहां अपनी ग़ज़लें, भोजपुरी गीत पेश किए।
मशहूर शायर और गीतकार गाज़ी मोईन, जिनका म्यूज़िक एलबम "शब" काफी लोकप्रिय हुआ है, ने यहां अपनी कई ग़ज़लें पेश की जिन्हे श्रोताओं ने खूब तालियां बजा कर उन्हें दाद दी। उनके कुछ शेर जो बेहद पसंद किए गए हाज़िर हैं...
थक जाएगा माजरा कहते कहते
ज़माना ये मुझको बुरा कहते कहते
तेरी बेवफ़ाई भी सब पर खुलेगी
सनम मुझको यूं बेवफ़ा कहते कहते
सच में बदल के रख देता है वो
इक झूठ को सौ दफा कहते कहते
ज़माना वो खत का है किस्सों में अब तो
मोहब्बत भी अब हो गई वाई फाई
शादाब असगर के यह शेर सराहे गए..
है शहर में जिसका चर्चा मै नहीं
जानता है बच्चा बच्चा मैं नहीं
इश्क में अपनी जान लगा दी और लुटा दी
अब हम फिर से वैसा प्यार नहीं कर सकते
कुछ तो उसकी बेहिसी से मर गए
और कुछ सादा दिली से मर गए
दानिश ज़्या का यह शेर पसंद किया गया।
कहीं न छोड़ दे भंवर में लाके मुझको
ऐ यार हम तेरी बेरुखी से डरते हैं
सिंगर फ़ैज़ ने यहां "दो दिल मिल रहे हैं मगर चुपके चुपके" और "अब तेरे बिना जी लेंगे हम" जैसे गीत गाकर महफ़िल में चार चांद लगा दिया। शिबली रहमान ने एक ग़ज़ल "तेरे इश्क की इंतेहा चाहता हूं" और अरिजीत सिंह का गीत "हमदर्द" पेश किया। वहीं सौरभ राज ने "मेरे गीत अमर कर दो" जैसे गीत गाए। अविनाश मिश्रा ने भी खूबसूरत ग़ज़लें सुनाइं।
प्रोग्राम के अंत में मोनिश असगर ने सभी परफॉर्मर्स को सर्टिफिकेट से नवाज़ा।
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