गुर्जर अरुण नागर द्वारा निर्देशित फिल्म रिस्कनामा वाकई रिस्की है । आज आधुनिकता में डूबी इस दुनियां में अभी भी छोटे शहरों, गाँवो और कस्बों में अंधविश्वास और ऑनर किलिंग की अंधियारी छाई है । लोग प्रेम को तो समझते हैं पर प्रेमीयों को नहीं समझते । जात और राज्य को दीवारें अब भी प्रेम की दीवार को ढा रही है । जिसके कारण प्रेमी युगलों की हत्या कर दी जाती है जिसे ऑनर किलिंग नाम दिया जाता है । इसी विषय के ओत प्रोत यह फ़िल्म बनी है ।
कहानी दो सगे भाइयों की है जो हमशक्ल भी हैं । बड़ा भाई शेर सिंह ( सचिन गुर्जर) गाँव का सरपंच है जो गांव में बहुत सख्त कानून व्यवस्था चलाता है । गाँव में प्रेम करना अपराध है और जो प्रेम की हिमाकत करता है उसे सजा-ए- मौत दी जाती है । गाँव में फतवा भी जारी है कि कोई प्यार ना करे नहीं तो मौत की सजा मिलेगी और होता भी ऐसा ही है । कई निर्दोष मौत के घाट उतार कर गांव के पेड़ पर लटका दिए गए । शेरसिंह का भाई वीर सिंह (सचिन गुर्जर) अय्याश और शराबी भी है गाँव की कोई भी जवान लड़की उसकी हवसी नज़रों से नहीं बच पाती । दोनों भाई गाँव के लिए आतंक की तरह है पर कोई उनका सामना करने की हिम्मत नहीं करता । शेरसिंह की पत्नी (गरिमा अग्रवाल) वीर और उसकी छोटी बहन को अपने बच्चों की तरह रखती है उसने उनकी परवरिश के लिए खुद की संतान नहीं ली । शेरसिंह अपने भाई वीर का रिश्ता मोहनी (अनुपमा प्रकाश) से तय करता है। कुछ दिन बाद मोहनी अपने मायके जाती है पर वीर शराबी है यह जानकर मोहनी के घरवालों को दुख होता है , वे मोहनी को वापस ससुराल नहीं भेजते ।
अपने भाई के व्यवहार से दुखी शेर सिंह को चिंतित देख शेर सिंह की पत्नी उसे मोहनी को समझा कर वापस लाने को कहती है ताकि मोहनी के आने से वीर सुधर जाए । शेर सिंह मोहनी को वापस लाने जाता है पर मोहनी के परिवार वाले उसे मना कर देते हैं । शेर सिंह मोहनी को समझाने के लिए उससे एक बार मिलने की गुजारिश करता है सभी उसकी बात मान लेते है । पर मोहनी उसके साथ जाने के लिए एक अजीब शर्त रखती है कि शेर सिंह उसकी शारिरिक इच्छा को यदि पूरी करेगा तभी वो उनकी बात मानेगी शेर सिंह परिवार की मान मर्यादा को सोच उनकी शर्त स्वीकार कर लेता है ।
कहानी में फिर नया मोड़ आता है शेर सिंह को मोहनी से प्यार हो जाता है । उसकी बहन उसे मोहनी के कमरे से निकलते देख लेती है उसे शक ना हो इसलिए मोहनी वीर को लेकर कुछ दिन बाहर पिकनिक मनाने चली जाती है । साथ रहते वीर को भी मोहनी से प्यार हो जाता है और वह सुधरने लगता है । इधर वीर को देख शेर सिंह मोहनी से दूरी रखने का प्रयास करता है । पर प्यार की कशिश उसे रोक नहीं पाती और मोहनी के बहकावे में आकर वो मोहनी के जाल में फंस जाता है वीर सिंह दोनों को रंगे हाथ देख लेता है और आत्महत्या कर लेता है । इस कहानी में भूतनी का इन्तेक़ाम देखने को मिलेगा ।
इस फ़िल्म के निर्देशक अरुण नागर ने फ़िल्म में बढ़िया ट्विस्ट एंड टर्न रखा है । रहस्य और रोमांच भी देखने को मिलेगा । फ़िल्म की कहानी ऑनर किलिंग पर बनी है साथ इसमें प्रेत आत्मा का बदला भी है जिससे कहानी अंधविश्वास और पुरानी सोच को प्रदर्शित करती है । कहानी में कई बोल्ड और किसिंग सीन है जो फैमिली के साथ नहीं देखा जा सकता । गाने साधारण हैं । सचिन और अनुपमा का अभिनय देखने योग्य है साथ ही गरिमा अग्रवाल, रवि वर्मा, प्रमोद माउथो, जावेद हैदर और शाहबाज़ खान भी अपनी भूमिकाओं में जमे हैं । कम बजट की फ़िल्म होते हुए भी निर्देशक ने इसे बेहतरीन तरीके से बनाया है जो इसकी कमियों को ढकती है ।
फोटोग्राफी और बेहतर हो सकती थी ।
गायत्री साहू
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