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मुंबई, टफ्ट्स यूनिवर्सिटी की हाल में ही की गई रिसर्च से पता चलता है कि रोजाना 42.5 ग्राम बादाम खानेवाले अमेकिन उपभोक्ताओं में बादाम का सेवन नहीं करनेवालों की तुलना में दिल की बीमारियों के इलाज पर आनेवाले खर्च को कम करने में मदद मिल सकती है। स्टडी के लिए फंड आल्मंड बोर्ड ऑफ कैलिफोर्निया की ओर से मुहैया कराया गया था।

विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार दिल की बीमारियां (कार्डियोवैस्कुलर डिजिज यानी सीवीडी) दुनिया भर और भारत में लोगों की मौत का नंबर वन कारण है। सीवीडी का इलाज काफी महंगा है। इसके इलाज पर होने वाले खर्च से मरीज और उसके परिवार पर भारी आर्थिक बोझ पड़ सकता है। भारत के लिए खासतौर से सीवीडी गंभीर चिंता का कारण बन गया है। दिल के रोगों के तेजी से फैलने, काफी कम उम्र में लोगों को यह बीमारी होने और उच्च मृत्यु दर ने स्थिति को काफी चिंताजनक बना दिया है। भारत में जिन कारकों ने ह्रदय रोग के मामलों को बढ़ाने में अपना योगदान दिया है, उनमें दक्षिण एशियाई लोगों की आनुवांशिक बनावट और इसके कारण उनके रोग की चपेट में आने का खतरा, लगातार बदलती जीवनशैली, व्यायाम की कमी, असंतुलित भोजन और लोगों का भारी मात्रा में सैचुरेटेड और ट्रांसफैट का सेवन करना शामिल है। इससे पहले भी की गई स्टडीज से पता चलता है कि रोजाना बादाम खाने से कम घनत्व के लिपोप्रोटीन (एलपीएल “बैड”) कोलेस्ट्रोल लेवल को कम करने में मदद मिल सकती है। यह भारतीयों के बीच दिल के रोग का जोखिम बढ़ाने का ऐसा कारक है, जिसे पहचान लिया गया है।

दिल्ली मैं मैक्स हेल्थकेयर विभाग में रीजनल हेड डायटेटिक्स रितिका समद्दर ने कहा,  “स्टडी, बादाम की खपत, दिल की सेहत और उससे होने वाले इलाज के खर्चों में कमी से होने वाले लाभ के बीच  एक सकारात्मक संबंध स्थापित करती है। इसमें से हर कारक भारत जैसे देश के लिए बहुत उपयोगी है, जहां दिल की बीमारियों के मामले बढ़ते जा रहे हैं। हालांकि इससे पहले की गई बहुत सी स्टडीज में बादाम के सेहत पर होने वाले लाभ का विश्लेषण किया गया। न्यूट्रिशन और वेलनेस कंसलटेंट,शीला कृष्णस्वामी ने कहा,“ इस नए स्टडी के नतीजे काफी दिलचस्प हैं। आनुवांशिक बनावट, निष्क्रिय जीवनशैली, खराब आहार व्यवस्था और ज्यादा मात्रा में नमक के सेवन से भारतीयों को ह्रदय रोग होने का खतरा काफी रहता है। अगर परिवार में किसी सदस्य को बीमारी हो जाती है तो पूरे परिवार का मेडिकल खर्च  बढ़ जाता है।  फिजिकल और मेंटल फिटनेस की एक्सरसाइज कराने की विशेषज्ञ और डाइट और न्यूट्रिशन कंसलटेंट माधुरी रुइया ने अध्ययन के नतीजों पर  कहा, “इस स्टडी को भारत जैसे देश के संदर्भ में लंबे समय तक व्यावहारिकता की कसौटी पर देखना दिलचस्प होगा।

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