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मुंबई : भारतीय शिक्षा व्यवस्था नए बदलाव को अपनाने के लिए पूरी तरह से तैयार है, इस बात का खुलासा नेशनल एजुकेशन पॉलिसी 2020 के बारे में क्या राय रखते है यह जानने के उद्देश्य से ब्रेनली द्वारा किए गए सर्वेक्षण में हुआ है। छात्रों, अभिभावकों और शिक्षकों के लिए विश्व के सबसे बड़े ऑनलाइन लर्निंग प्लेटफॉर्म ब्रेनली ने विभिन्न शैक्षणिक स्तर के 4036 ब्रेनली यूजर के बीच यह सर्वेक्षण किया।
कोविड-19 के दीर्घकालिक प्रभावों और इसे कम करने के लिए टेक्नोलॉजी की भूमिका को देखते हुए भारत सरकार ने नेशनल ए़जुकेशन पॉलिसी 2020 की घोषणा कर दी है। यह पॉलिसी विस्तृत तौर पर बहु-विषयक और बहु-भाषीय सोच, स्किल डेवलपमेंट और डिजिटल लर्निंग के विस्तार पर केंद्रित है। इसके पीछे की मंशा छात्रों को बेहतर शिक्षा मुहैया कराना है, जो वास्तविक समस्याओं के लिए छात्रों को तैयार कर सके।
छात्रों के बीच यह पहले से लोकप्रिय है और 66.8 छात्र इस पॉलिसी के बारे में जानते हैं। यही नहीं, अधिकांश छात्र मानते हैं कि स्कूल स्तर की शिक्षा में टेक्नोलॉजी महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है। 65.6% छात्र मानते हैं कि एप, सैटेलाइट टीवी चैनल्स, ऑनलाइन कोर्स आदि की मदद से विषयों को समझने में सहायता मिलती है, जबकि 20 फीसदी से कम छात्र ऐसे हैं, जो इस बारे में सुनिश्चित नहीं हैं।
सर्व के अनुसार, 60.3 फीसदी छात्रों ने आर्ट्स, साइंस आदि स्ट्रीम्स के चयन के बजाय विषय चुनने की सोच को वरीयता दी, ताकि उन्हें अपने पसंदीदा विषयों का चयन करने में सहजता मिल सके। सिर्फ 20.4 फीसदी ब्रेनली यूजर ही स्ट्रीम आधारित कॅरिकुलम व्यवस्था से जुड़े रहना चाहते हैं। इसके अलावा 58.7 फीसदी छात्र ऐसे हैं, जो सर्व-सम्मति द्वारा स्वीकृत भाषा में पढ़ना चाहते हैं, जबकि इसके विपरीत 24.8% छात्र अपनी मातृभाषा में पढ़ना चाहते हैं।
72.7 फीसदी छात्र ऐसे हैं, जिन्होंने समकालीन विषय जैसे आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, डिजाइन थिंकिंग, ऑर्गैनिक लिविंग आदि को स्कूल स्तर (मध्यम या द्वतीय स्तर) पर पढ़ने की इच्छा जाहिर की है। यह ध्यान देने योग्य बात है कि नए विषयों को शामिल करने की योजना है, ताकि छात्रों को भविष्य के लिए तैयार किया जा सके। इस पॉलिसी को ब्रेनली यूजर द्वारा भरपूर सहयोग मिला है। 87.7 फीसदी छात्र यह मानते हैं कि इससे सकारात्मक बदलाव आएगा और शैक्षणिक उत्तकृष्टता का दबाव कम होगा। यह दर्शाता है कि छात्र नए बदलावों को अपनाना चाहते हैं, जो किताबी ज्ञान से बढ़कर हो।
ब्रेनली के सीपीओ राजेश ब्यासनी ने कहा कि “छात्र मौजूदा कठोर, रटने व सिर्फ ग्रेड पर ध्यान केंद्रित करने वाली व्यवस्था से मुक्ति पाना चाहते हैं। इसके बजाय ज्यादा प्रभावी शिक्षा व्यवस्था की जरूरत है, जो छात्र के संपूर्ण विकास पर केंद्रित हो और छात्रों को जीवन के लिए तैयार कर सके। ब्रेनली में हम छात्रों को इसी प्रकार की शिक्षा देने का प्रयास करते हैं। यह कहना गलत नहीं होगा कि ब्रेनली ने एक ग्लोबल कम्युनिटी बनाई है, जो जीवन की परिस्थितियों के लिए एक नई सोच पर आधारित है। अब नेशनल एजुकेशन पॉलिसी के आने से यह देखना रोचक होगा कि यह सीखने के नए तरीकों को कैसे आगे ले जाती है।

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