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मुम्बई (गायत्री साहू)। पिछले दिनों नयन फाउंडेशन परफॉर्मिंग आर्ट्स द्वारा आईएसडी मुलुंड और रोटरी क्लब ऑफ मुम्बई के सहयोग से दृष्टिहीन बच्चों के लिए घाटकोपर में नृत्य, गीत संगीत कार्यक्रम का आयोजन हुआ। उसी अवसर पर फैशन इंस्टीट्यूट की डायरेक्टर कुसुम राव, एनएफपीए (नयन फाउंडेशन ऑफ परफॉर्मिंग आर्ट्स) की फाउंडर नैना कुटुप्पन और डॉ समीर अंसारी सहित रोटरी क्लब के सदस्यों की उपस्थिति रही।

कार्यक्रम में दृष्टिहीन होने बावजूद अमोल, उमरा, अली, सोनू परेरा, आकांक्षा, भाग्यश्री सहित कई बच्चों ने डांस और सिंगिंग में शानदार प्रस्तुति दी। 

 नैना कुटुप्पन के बारे में आपको बता दें कि वह एक परोपकारी महिला हैं। पिछले कई वर्षों से वह दृष्टिबाधितों के उत्थान व सहायता के लिए कार्य कर रही हैं। अधिकांशतः इस संसार में जन्म लेने वाला हर व्यक्ति अपने जीवन को बेहतर बनाने के लिए सतत प्रयास करता है। अमीर हो या गरीब वह अपने या अपनों के लिए ही सम्पूर्ण जीवन बिता देता है लेकिन दूसरों के लिए अपना जीवन बिताना यह सब के बस की बात नहीं। अपने लिए तो सब जीते हैं पर बात तो तब हो कि दूसरों का जीवन सजाने के लिए जीया जाये। जानवर भी स्वयं के लिए जीते हैं पर मानव का जीवन इससे ऊपर है और इस जीवन का बड़प्पन भी दिखना चाहिए। लेकिन लोभ, मोह, अहम में फंसा मानव सब जानते हुए भी अज्ञान बना रह जाता है। लेकिन अभी भी कुछ व्यक्तित्व संसार में विराजमान है जिन्होंने बिना किसी फल की इच्छा के दूसरों के लिए जीवन समर्पण कर दिया। ऐसी ही त्यागपूर्ण व्यक्तित्व की धनी है नैना कुट्टप्पन।

नैना ने भी औरों की भांति अपना जीवन अपने परिवार को अर्पित किया पच्चीस वर्षों तक आंध्रा बैंक में काम करती रही और एक दिन उनके मन ने कहा कि क्या यही जीवन है फिर उन्होंने अपने पद का त्याग कर लोकसेवा की ओर कदम उठा लिया। नैना चाहती है कि जीवन के अंतिम पल तक वह मदर टेरेसा की भांति सब की सेवा करती रहे। इसके लिए नयन फाउंडेशन परफार्मिंग आर्ट्स नाम से संस्था खोला जहाँ दिल खोल कर वह दूसरों की सहायता कर सके। दिव्यांग बच्चों, गरीब, समाज से बहिष्कृत, प्रताड़ित और शोषित महिलाओं आदि के जीवन में उत्थान लाने के प्रयास में लग गयी। कई एनजीओ के साथ मिलकर इन्होंने काम भी किया। दृष्टिहीन लोगों के कौशल के विकास के लिए गीत, संगीत, नृत्य और फैशन शो का आयोजन भी किया और उन्हें प्रोत्साहित भी किया। कई जेलखाने में कैदियों के सुधार हेतु दृष्टिहीन दिव्यांगों का संगीत कार्यक्रम रखा। यह कार्यक्रम तिहाड़ और येरवडा में भी किया गया। कैंसर पीड़ित लोगों का आत्मविश्वास और उत्साह जगाने के लिए कैंसर अस्पतालों में अंधबधिरों का गीत संगीत कार्यक्रम का आयोजन किया। महाराष्ट्र के अलावा देश के अन्य क्षेत्रों में भी दिव्यांगों के लिए विभिन्न प्रकार के कार्यक्रमों का आयोजन करवाया। सुदूर क्षेत्रों के दिव्यांग जो कार्यक्रम में हिस्सा नहीं ले पाते, ऐसे दिव्यांगों के लिए डिजिटल माध्यम पर कार्यक्रम का आयोजन किया। नैना सदैव दिव्यांगों के हितार्थ कार्यक्रमों का आयोजन करती रहती हैं।

नैना का परिवार केरल से है लेकिन वह मुम्बई में ही पली बढ़ी हैं। उन्हें बचपन से ही नृत्य, संगीत और अभिनय में रुचि है। नैना का कहना है कि जो मेरे सपने अधूरे रह गए मैं इन दिव्यांग बच्चों के सपने पूरे कर अपने यथार्थ को पूरा कर लूँगी। उनके नृत्य, गीत, संगीत और अभिनय में वह अपनी दुनिया देखती है। महिलाओं के हितार्थ भी सदैव कार्य करती है। नेशनल एसोसिएशन फॉर ब्लाइंड, ईशान ह्यूमिनिटी फाउंडेशन और कई शासकीय और गैर शासकीय संस्थाओं के सहयोग से नैना दिव्यांग लोगों के विकास के लिए सतत कार्य कर रही हैं।

नैना कहती हैं कि इन दिव्यांग बच्चों का आत्मविश्वास और कार्य करने की लगन देख मेरा उत्साह दुगना हो जाता है। उन्होंने फिल्मों और डॉक्यूमेंट्री फिल्मों में डबिंग और ट्रांसलेशन का काम किया है। नैना को कई भाषाओं का ज्ञान है। वह रंगमंच में भी कार्य कर चुकी हैं। उनके जीवन का उद्देश्य लोगों के जीवन में सुधार लाना है। गरीब, महिला, दिव्यांग आदि हर वर्ग जो किसी क्षेत्र में पिछड़ा है या तकलीफ में है उनके उद्धार के लिए नैना पूर्ण प्रयास करती हैं। दक्षिण मुम्बई में डोंगरी क्षेत्र के लोगों की भी उन्होंने सहायता की। खेल, मनोरंजन, शिक्षा या आर्थिक सहायता नैना सदैव मदद की तैयार रहती हैं जिसके लिए उनकी टीम और विभिन्न एनजीओ भी उनकी सहायता करते हैं। 

दिव्यांग बच्चों के लिए नैना कहती हैं कि उनके जीवन में सुधार आवश्यक है, सरकार ने भी प्रयास किया है लेकिन एनजीओ को मदद के लिए आगे आना चाहिए।





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