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आप दुनिया के सबसे महान चमत्कार है


संकलन - रंजीत सिंह 
 प्रति  :  आप 

द्वारा  :  ईश्वर

मेरी बात ध्यान से सुनो । मैं तुम्हारे रोने की आवाज़ सुन लेता हूँ ।

यह आवाज़ अंधेरे से गुजरती है, बादलों से होती हुई सितारों की रोशनी में मिलती है और सूर्य की किरण के रास्ते से होकर मेरे दिल तक पहुँचती है ।

मैं हर दुखियारे की आवाज़ को सुनकर दुखी होता हूं। चाहे वह जाल में फँसे खरगोश की चीख़ हो या अपनी माँ के घोंसले से गिर गये चिडिया के बच्चे की आवाज़ हो या तालाब में डूबते हुए बच्चे की पुकार हो या फिर क्रॉस पर अपना खुन बहाते हुए मेरे पुत्र की आवाज़ हो ।

यह जान लो कि मैं तुम्हारी भी आवाज़ सुनता हूँ । शांति से रहो । शांत रहो । में तुम्हारे दुख दूर करुंगा क्योंकि मैं इसका कारण जानता हूं … और इसका इलाज भी।

तुम अपने बचपन के उन सपनों के लिये दुखी हो जो उम्र के साथ कहीं खो गये हैं। तुम अपने आत्मगौरव को लेकर दुखी हो, जो असफलता के स्पर्श से धूमिल हो चुका है। 

तुम अपनी संभावनाओं को लेकर दुखी हो जिन्हें तुम हासिल नहीं कर पाये क्योंकि तुमने सुरक्षा की राह चुनी थी| तुम अपनी वैयक्तिकता के लिये दुखी हो जो भीड़ के पैरों तले कुचल दी गयी है ।

तुम अपनी प्रतिभा के लिये दुखी ही जिसका दुरुपयोग करके तुमने उसे बर्बाद कर दिया है । तुम अपने आपको हिकारत भरी नज़रों से देखते हो और जब तुम पानी में अपनी छवि देखते डो तो तुम डर जाते हो ।

यह कौन इन्सान तुम्हारी तरफ़ देख रहा है जो इन्सानियत के नाम पर कलंक की तरह दिख रहा है, यह कौन है जिसकी आँखे शर्म से झुकी हुई हैं ?

तुम्हारे व्यवहार की शालीनता कहाँ है, तुम्हारी आकृति की सुंदरता कहाँ है, तुम्हारी गति की चपलता कहाँ है, तुम्हारे मस्तिष्क की स्पष्टता कहाँ है, तुम्हारे शब्दों की प्रतिभा कहां है ? किसने तुम्हारा यह सामान चुरा लिया है? क्या तुम उस चोर को जानते हो ? मैं तो जानता हूँ।

कभी तुमने अपना सिर अपने पिता के खेत में घास के तकिये पर रखा था और बादलों के गिरजाघर को देखा था और तुमने सोचा था कि बेबीलोन का सारा सोना एक दिन तुम्हारा होगा । कभी तुमने कई किताबें पढी थीं और कई कॉपियों में लिखा था और तुम्हें यह पूरा भरोसा था कि तुममें सॉलोमन के बराबर या उससे भी अधिक बुद्धि थी।

मौसम बदलकर साल बन जायेंगे और एक दिन, तुम ईडेन के अपने बगीचे में सर्वश्रेष्ठ होओगे ।

क्या तुम्हें याद है कि जिसने यह योजनाएं, यह सपने, आशा के यह बीज तुम्हारे भीतर रोपे हैं ?

तुम नहीं जानते ।

तुम्हें वह क्षण भी याद नहीं है जब तुम अपनी मां के गर्भ से बाहर निकले थे और मैंने अपना हाथ तुम्हारे नर्म सिर पर रखा था। और जब मैंने तुम्हें अपना आशीर्वाद दिया था तो मैने तुम्हारे छोटे से कान में एक रहस्य बताया था ।

क्या तुम्हें वह रहस्य याद है ?  तुम्हें वह रहस्य याद रह ही नहीं सकता।

गुजरते हुए सालों ने तुम्हारी याददाश्त को नष्ट कर दिया है क्योंकि तुमने अपने दिमाग में डर, शंका, तनाव, अपराधबोध और नफ़रत जैसी भावनाएं भर ली हैं । इस कारण तुम्हारे दिमाग में सुखद यादों के लिये कोई जगह ही नहीं बची है । जहाँ ये जानवर रहते हों, वहां सुखद यादें कैसे रह सकती हैं ?

रोना छोड़ दो। मैं तुम्हारे साथ हूँ... और यह क्षण तुम्हारे जीवन का महत्वपूर्ण मोड़ है । जो समय गुजर चुका है उसे यह मान लो कि तुमने वह समय अपनी मां के गर्भ में सोकर गुजारा है । जो गुजर चुका, वह मर चुका है । मरे हुए को दफना दो ।

आज के दिन तुम जीवित मृत्यु से वापस लौटोगे ।

इस दिन, एलिजाह और विधवा के पुत्र के प्रसंग की तरह मैं तीन बार तुम्हें छू लूंगा और तुम एक बार फिर जिंदा हो जाओगे ।

इस दिन एलिशा और शनेमाइट के प्रसंग की तरह, मैं अपने मुँह को तुम्हारे मुँह पर और अपनी आँखों को तुम्हारी आँखों पर और अपने हाथों को तुम्हारे हाथों पर रखता हूं और तुम्हारा जिस्म एक बार फिर से गर्म हो जायेगा । इस दिन, जैसा ईसा ने लैजारस की कब्र पर किया था, मैं तुम्हें आदेश देता हूँ कि तुम बाहर निकलो और मौत की अपनी गुफा से बाहर आकर नये जीवन की शुरूआत करो ।

यह तुम्हारा जन्मदिन है । यह तुम्हारे जन्म की नयी तारीख है । तुम्हारी पहली जिंदगी किसी "नाटय' की तरह, केवल एक रिहर्सल थी । इस बार पर्दा सच में उठ चुका है । इस बार पूरी दुनिया देख रही है और तुमारी प्रशंसा में तालियां बजाने का इंतजार कर रही है । इस बार तुम असफ़ल नहीं हो सकते ।

अपने कैंडल जला लो । अपना केक काट लो । तुम्हारा दूसरा जन्म हुआ है । जिस तरह तितली अपने कवच से मुक्त होकर उड़ती है, तुम भी उड सकोगे. . . उतना ऊँचा जितना तुम चाहो । मानव जाति के ततैये या दूसरे नुकसान पहुंचने वाले प्राणी तुम्हारी राह नहीं रोक पायेंगे । तुम्हारे मिशन में कोई बाधा नहीं डाल पायेगा । तुम जीवन की सच्ची समृद्धि की खोज में आगे बढते चले जाओगे ।

अपने सिर पर मेरे हाथों का स्पर्श अनुभव करो ।

एक बार फिर उस रहस्य को जान लो जो तुम्हारे पैदा होने पर मैंने तुम्हारे कानों में कहा था, परंतु तुम भूल गये ।

तुम मेरे महानतम चमत्कार हो ।

तुम विश्व के महानतम चमत्कार हो ।

यह पहले शब्द थे जो तुमने सुने थे । फिर तुम रोने लगे ये । सभी रोने लगते हैं ।

तब तुम्हें मेरी बात पर विश्वास नहीं हुआ था... और इतने सालों में ऐसा कुछ भी नहीं हुआ जिससे तुम्हारा यह अविश्वास दूर हो । तुम किस तरह चमत्कार हो सकते हो, जब तुम छोटे-छोटे कामों में असफल होते हो, तुम किस तरह चमत्कार हो सकते हो जब तुम्हें छोटी-छोटी जिम्मेदारियों को निभाने का आत्मविश्वास नहीं होता ? तुम किस तरह चमत्कार हो सकते हो जब तुम कर्ज में डूबे हुए हो और इस बात पर चिंतित रहते हो कल का भोजन कहां से जायेगा ?

बहुत हो चुका । नाली में बहा दूध अब कभी वापस नहीं आ सकता । परंतु मैने कितने सारे प्रॉफेट, कितने सारे समझदार आदमी, कितने सारे कवि, कितने सारे कलाकार, कितने सारे संगीतकार, जितने सारे वैज्ञानिक, कितने सारे दार्शनिक और संदेशवाहक तुम्हारे पास भेजे जो तुम्हें तुम्हारा दैवीय स्वरुप, तुम्हारी ईश्वरीय संभावनाएं और उपलब्धि के रहस्य बतायें ? और बदले में तुमने उनके साथ कैसा व्यवहार किया ? 

फिर भी में तुमसे प्रेम करता हूं और मैं तुम्हारे साथ हूँ । मैं उस प्राफेट की बात को सच कर रहा हूँ जिसने यह घोषणा को थी कि ईश्वर दुबारा अपना हाथ उठाकर अपने लोगों को मुक्ति देगा ।

मैंने अपना हाथ उठा लिया है।

यह दूसरी बार है । तुम मेरे अपने हो ।

यह पूछना व्यर्थ है कि क्या तुम्हें पता नहीं था, क्या तुमने सुना नहीं था, क्या तुम्हें यह शुरूआत से ही बताया नहीं गया था; क्या तुमने धरती की नींव से इसे समझा नहीं था ?

तुमने इसे जाना नहीं था; तुमने इसे सुना नहीं था; तुमने इसे समझा नहीं था।

तुम्हें बताया जा चुका है कि तुम दरअसल छुपे हुए देवदूत हो, तुम ईश्वर की तरह ही हो, परंतु इसके बाद भी तुम मूर्ख की भूमिका निभा रहे हो । तुम्हें बताया जा चुका है कि तुम मेरी अदभुत रचना हो, जिसमें प्रचुर बुद्धि, अनंत संभावनाएं, सुंदर  और सराहनीय आकृति और गति, देवदूत जैसे कार्य, ईश्वर जैसी समझ है । तुम्हे बताया जा चुका है कि तुम इस धरती के नमक हो।

तुम्हें पहाड़ हिलाने का रहस्य बताया जा चुका है । किसी पर विश्वास नहीं किया । तुमने सुख की राह के नक्शा को जला दिया । तुमने मन की शांति हासिल करने की संभावनाओं को नष्ट कर दिया । तुमने प्रसिद्धि के पथ पर राह दिखानेवाले केंडलों को बुझा दिया । और फिर तुम लडखडा गये, डर गये, व्यर्थता और आत्मदया के अंधेरे में खो गयें, और फिर तुम अपने ही बनाये हुए नर्क में गिर गए ।

- फिर तुम रोये और अपनी छाती पीटकर अपनी तकदीर को दोष देने लगे कि तुम्हारे साथ ऐसा क्यों हुआ । तुमने यह नहीं माना कि तुम्हें उपने घटिया विचारों और आलसी कार्यों के कारण घटिया परिणाम मिले । तुमने अपनी असफलता का दोष देने के लिये एक बहाने की तलाश की । और वह बहाना तुम्हें कितनी जल्दी मिल गया । तुमने मुझे दोष दिया !

तुम रोये कि तुम्हारी सारी कमियों, तुम्हारे अवसरों की कमी, तुम्हारी असफलताएं, तुम्हारी औसत जिंदगी. . . यह सब ईश्वर की इच्छा थीं ! तुम ग़लत थे।

हम ठीक से लेखा-जोखा कर लें । पहले तो हम तुम्हारी कमियों को गिन लें । क्योंकि मैं तब तक तुमसे नया जीवन शुरू करने के लिये नहीं कह सकता जब तक कि तुम्हारे पास इसके लिये सही औजार न हों ?

क्या तुम अंधे हो गए हो?  तुम्हारे देखे बिना सूर्य उगता और डूबता है ? 

नहीं। आप देख सकते हैं... और आपकी आँखों में मैंने जो अरबों तंतु लगाये हैं उनकी वजह से आप किसी पत्ती, बर्फ के टुकडे, तालाब, पक्षी, बच्चे, बादल, सितारे, गुलाब, इन्द्रधनुष को. .. देख सकते हो और आँखों की प्रेम की भाषा भी देख सकते हो। इसे अपना पहला वरदान माने ।

क्या तुम बेहेरे हो ? क्या बच्चे का हँसना या रोना तुम्हें सुनाई नहीं देता हैं ?

नहीं । आप सुन सकते हैं.. . और आपके हर कान में हजार तंतु लगाये है वे आप तक पेडों से चट्टानों पर टकराती लहरों, ओपेरा की मधुरता, चिडिया की चचाहट, बच्चों की मस्ती पहुंचाते हैं ... और यह शब्द भी कि मैं तुमसे प्रेम करता हूं।  इसे एक और वरदान माने ।

क्या तुम गूँगे हो ? क्या तुम्हारे होंट हिलने से सिर्फ थूक निकलता है? 

नहीं आप बोल सकते हैं... जो कोई दूसरा प्राणी नहीं कर सकता। आपके शब्द क्रोधित मनुष्य को शांत कर सकते है। निराश आदमी को आशा दे सकते है, पलायनवादी को कर्म के लिये उकसा सकते हैं, दुखी को खुश कर सकते हैं, अकेले आदमी का दिल बहला सकते हैं, श्रेष्ठ व्यक्तियों की प्रशंसा कर सकते हैं, पराजित लोगों को प्रोत्साहन दे सकते हैं, अज्ञानियों को सिखा सकते है... और कह सकते हैं कि मैं तुमसे प्रेम करता हूँ । इसे एक और वरदान माने। 

क्या तुम्हें लकवा मार गया है ? क्या तुम ज़मीन पर रेंगकर चलते हो ?

नहीं । आप अच्छी तरह से चल सकते हैं । आप पेड़ नहीं है जो किसी छोटी सी जगह पर हवा और दुनिया के थपेड़े बर्दाश्त करने के लिये अभिशप्त है । आप दौड़ सकते हैं, नाच सकते हैं और काम कर सकते हैं । मैंने आपके भीतर पाँच सो मांसपेशियों, दो सौ हड्डियां, सात मील लंबा नर्व फाइबर इसीलिये लगाया है ताकि आप अपनी इच्छा से चल-फिर सकें । इसे एक और वरदान माने ।

क्या तुमसे कोई प्रेम नहीं करता और तुम किसी से प्रेम नहीं करते? क्या तुम दिन - रात अकेलेपन में रहते हो?

नहीं । बिलकुल नहीं । अब आप प्रेम का रहस्य जान चुके हो कि प्रेम पाने के लिये आपको पहले बिना प्रतिदिन की आशा के प्रेम देना पड़ता है । प्रेम एक ऐसा उपहार है जिसके बदले में कोई माँग नहीं होती । अब आप जान चुके हैं कि निस्वार्थ भाव से प्रेम करना अपने आप में पुरस्कार है । और चाहे प्रेम के बदले प्रेम न मिले, फिर भी आपका प्रेम व्यर्थ नहीं जाता, क्योंकि आपका प्रेम आपकी तरफ वापस प्रवाहित होकर आता है और आपके हृदय को नर्म करके इसे शुद्ध कर देता है । इसे एक और वरदान माने । दुबारा गिने ।

क्या तुम्हारा हृदय कमजोर है ? क्या यह तुम्हारे जीवन को चलाने में समर्थ नहीं है ?

नहीं । आपका हृदय बहुत शक्तिशाली है । अपने सीने को छुओ और इसकी लय को महसूस करो । दिन में, हर पल यह धडकता रहता है । यह एक साल में तीन करोड साठ बार धड़कता है । और चाहे आप जागे या सोयें, यह जीवन भर यही करता रहता है । यह साठ हजार मील लंबी शिराओं, धमनियों और नसों में अपने खुन को शुद्ध करता है । यह हर साल छह लाख गैलन  खुन को पंप करता है । इन्सान आज तक ऐसी मशीन नहीं बना

पाया है । इसे एक और वरदान मानें ।

क्या तुम्हें कोढ़ हो गया है ? क्या लोग तुम्हें आते देखकर डर जाते हैं और दूर भागते हैं ?

नहीं । आपकी त्वचा साफ़ है और यह अद्भुत कृति है । आपको सिर्फ इसका ध्यान रखना होता है, इस पर साबुन और  तेल लगाकर इसे साफ़ रखना होता है । समय के साथ- साथ मज़बूत से मज़बूत लोहे पर भी दाग लग जायेंगे और उस पर जंग लग जायेगी, परंतु आपकी त्वचा के साथ ऐसा नहीं होगा । आखिरकर मज़बूत से मज़बूत धातु भी घिस जायेगी, परंतु यह परत नहीं घिसेगी जो मैंने आपके चारों तरफ बनाई हैं। यह अपने आप को लगातार नया करती रहेगी हैं । पुरानी कोशिकाओं की जगह पर नयी कोशिकायें आती रहेगी, इस तरह कि आप पुराने की जगह नये बन जायेंगे । इसे एक ओर वरदान माने ।

तुम्हारे फेफड़े में कोई गड़बढ़ है ? क्या जीवन भरी सांस को तुम्हारे शरीर में जाने के लिये संघर्ष करना पड़ता है ?

नहीं । आपने अपने चारों तरफ़ इतना प्रदूषण भरा माहौल बना लिया है इसके बावजूद आपके फेफ़डे आराम से आक्सीअन ले जाते है । आपके फैफडे साठ करोड़ पऱतो तक आक्सीजन ले जाते है और अशुद्ध गैसों को शरीर से बाहर निकलते है । इसे एक और वरदान माने।

क्या तुम्हारे खुन में गड़बड़ है ? क्या इसमें पानी मिला हुआ है या पस पड़ा हूआ है ?

नहीं । अपके पांच क्वॉर्ट खून में बाईस ट्रिलियन रक्त कोशिकायें है और हर कोशिका में करोडों अणु है और हर अणु एक सेकंड में एक करोड़ बार हिल रहा है । हर सेकंड आपकी बीस लाख रक्त कोशिकायें मरती है और बीस लाख नई कोशिकाएँ  जिंदा होती हैं और यह आपके जीवन के प्रारंभ से होता रहा है । यह हमेशा आपके भीतर होता रहा है, अब यह अपने बाहर भी होगा । इसे एक और वरदान माने ।

क्या तुम्हारा दिमाग कमजोर है ? क्या तुम सोच नहीं सकते ?

नहीं । आपका मस्तिष्क इस ब्रह्मांड की सबसे जटिल रचना है । मैं जानता हूं। तीन पोंड के इस मस्तिष्क में तेरह बिलियन नर्वसेल्स हैं । आपके मस्तिष्क में इतनी कोशिकाएं हैं कि उनकी संख्या धरती पर रहने वाले इंसानों से तीन गुना ज्यादा है। आपकी हर अनुभूति यहां दर्ज होती है, हर आवाज़, हर स्वाद, हर गंध, हर काम यानी बचपन से लेकर आज तक आपको जो भी अनुभूव हुए हैं, सब इसमें दर्ज़ होते हैं। मैंने आपकी कोशिकाओं में एक हजार बिलियन- बिलियन प्रोटीन अणु लगा रखे हैं। आपके जीवन की हर घटना आपके याद करते ही याद आ सकती हैं। और, आपके शरीर पर नियंत्रण करने के लिए मैंने चालीस लाख दर्द की अनुभूति देने वाली संरचनाओं को भी रचा है, पांच लाख स्पर्श सूचक लगाए हैं और दो लाख ताप सूचक भी लगाए है । किसी देश का सोना भी इतनी हिफाजत से नहीं रखा जाता होगा, जितनी हिफाज़त से मैंने आपको रखा है। विश्व के सात आश्चर्य भी आपसे से बड़े आश्चर्य नहीं है।

आप मेरी सबसे सुंदर और श्रेष्ठ रचना हैं।

आपमें इतनी आण्विक ऊर्जा है कि आप विश्व के बड़े शहरों को नष्ट कर सकते है... और ईन्हें फिर से बना भी सकते है।

क्या आप गरीब है? क्या आपके जेब में सोना या चांदी नहीं है ?

नहीं । आप अमीर हैं । हमने अभी आपकी दौलत गिना है, इस सूची को ध्यान से पढे। वरदानों को एक बार फिर से गिने। अपनी संपत्ति का हिसाब लगायें ।

आपने खुद के साथ धोखा क्यों किया ? आप क्यों रोए कि आपके पास कुछ भी नहीं है, और मानवता के सारे वरदान आपसे छिन चुके हैं ? आप इस मुगालते में क्यों रहे कि आप अपनी जिंदगी को बदलने में सक्षम नहीं हैं ? क्या आपमें प्रतिभा, योग्यता, सुख, अनुभूति और गर्व नहीं हैं ? क्या आपमें आशा नहीं है ? आप अँधेरे कोने में अपने सिर को क्यों छुपाये हुए हैं, आप क्यों दुबके हुए हैं, आप क्यों हारे हुए राक्षस की तरह अफ़सोस कर रहे हैं, आप क्यों भयावह नर्क में जाने के लिये तैयार खड़े हैं ?

आपके पास इतना कुछ है । आपके वरदान आपके प्याले से छलके पड़ रहे हैं. . . और आपको उन वरदानों का एहसास ही नहीं। जैसे कोई पिता अपने बच्चों को लाड़--प्यार में बिगाड़ देता हैं, उसी तरह मैंने तुम्हे उदारता से और लगातार दिया है ।

मुझे जवाब दो ।

खुद को ज़वाब दो ।

कोई भी बूढा और बीमार, कमजोर और लाचार अमीर आदमी इन वरदानों को हासिल करने के लिये अपने तिज़ोरी में भरा सारा पैसा लुटा देगा, जिन्हें आप इतने हल्केपन से ले रहे हैं ।

सूख और सफलता के इस पहले रहस्य को जाने--- आपके पास इस वक्त वह सब कुछ है जो महान गौरव हासिल करने के  लिये ज़रूरी है । यह सब चीजें आपका खज़ाना है, आपके औजार हैं जिनकी मदद से आप आज से नये और बेहतर जीवन की नींव रखेंगे ।

इसलिये, मैं तुमसे कहता हूं, अपने वरदान गिनो और जान लो की तुम मेरी महानतम रचना हो । जीवित मृत्यु से वापस आने के लिये और विश्व का महानतम चमत्कार करने के लिए तुम्हें मेरा यह पहला नियम मानना होगा ।

और गरीबी में सीखे हुए अनुभवों के प्रति कृतज्ञ रहो ।क्योंकि गरीब वह नहीं होता जिसके पास कम है; बल्कि वह जिसे बहुत ज्यादा चाहिये होता है। और सच्ची सुरक्षा उन चीजों में नहीं होती जो आपके पास हैं, बल्कि उन चीजो में होती है जिनके बिना आपका काम चल सकता है ।

वे बाधायें कहां हैं जिनकी वजह से आप असफल हुए है ? वे केवल आपके मस्तिष्क में निवास करती हैं ।

अपने वरदानों को गिने ।

और दूसरा नियम भी पहले नियम की ही तरह है । अपनी दुर्लभता को साबित करें ।

आपने खुद को एक कुंभार के आंगन में जीने के लिए विवश कर लिया है और वहीं पड़े हुए हैं। आप अपनी असफलता के लिये खुद को माफ नहीं कर पाते । आप अपने आप से नफ़रत करके, अपने आपको दोष देकर अपने आपकी को मिटाये दे रहे हैं। आप खुद के और दूसरों के खिलाफ़ किए गए अपराध के लिये खुद से नफ़रत कर रहे हैं और खुद को नष्ट कर रहे हैं।

क्या आप दुविधा में नहीं हैं ?

क्या तुम्हें आश्चर्य नहीं होता कि मैं तुम्हारे अपराधों, तुम्हारे दयनीय व्यवहार को किस तरह क्षमा कर देता हूँ... जबकि तुम इनके लिये खुद को माफ़ नहीं करते।

मैं तुमसे यह बातें तीन कारणों से कह रहा है । तुम्हें मेरी ज़रूरत है । तुम भेडों के झुंड की एक भेड़ नहीं हो । तुम्हारा जन्म इसलिये नहीं हुआ है कि तुम औसत जीवन के सूखे चरागाह में विनाश की तरफ़ आगे बढ़ो । और. . . तुम एक महान दुर्लभ रचना हो ।

रैब्रॉ की पेंटिंग या डेगास की कॉंसै की मूर्ति या स्ट्रडिवैरिक्स के वायलिन या शेक्सपियर के नाटक के बारे में विचार कीजिये । यह सब दो कारणों से बहुमूल्य हैं: उनके बनाने वाले बेहद प्रतिभाशाली थे और वे संख्या में बहुत थोडे थे। परंतु सभी विधाओं में प्रतिभाशाली लोग एक से अधिक संख्या में रहे है ।


इस तर्क के आधार पर आप इस धरती पर रहने वाले सबसे मूल्यवान खजाने हैं क्योंकि आप जानते ही हैं कि आपको किसने बनाया है और यह भी कि आप अपनी तरह के एकमात्र इन्सान हैं ।

सत्तर बिलियन लोग आज तक इस धरती के शुरू होने के समय से इस पर रह चुके हैं परतुं पूरी तरह आप जैसा कोई व्यक्ति यहाँ कभी नहीं रहा । न ही विश्व के अंत तक बिलकुल आप जैसा कोई दूसरा व्यक्ति भविष्य में होगा । आपको अपने दुर्लभ होने का ज्ञान ही नहीं है । आपकी नज़र में इसका कोई महत्व ही नहीं है । कम से कम आपने अभी तक यह साबित नहीं किया है । परंतु आप यह जान लें कि आप इस ससार में सबसे दुर्लभ वस्तु हैं । 

अत्यधिक प्रेम के क्षण में आपके पिता से प्रेम के बीज प्रवाहित हुए थे, जो संख्या में चार सौ मिलियन से अधिक थे। यह सभी आपकी मां के शरीर में तैरे और मर गये । सभी, एक को छोड़कर ! आप ।

केवल आप ही अपनी मां के शरीर की नर्म आंच में बचे रहे और अपने साथी को ढूंढते रहे, यानी आपकी मां की एक कोशिका को जो इतनी छोटी थी एक एकॉर्न के छिलके में बीस लाख कोशिका समा जाए। परंतु, अति विषम और असंभव सी नजर आने वाली परिस्थितियों में भी अंधेरे और विनाश के उस वृहद समुद्र में आप लगन से कोशिका को ढूँढ ही लिया, आप उसके साथ जुड़ गये और आपने एक नया जीवन शुरू किया । आपका जीवन ।

आप यहां आये और हर बच्चे की तरह आप मेरा यह संदेश लेकर आये कि मानवता की तरह निराश नहीं हुआ हूँ । दो कोशिकाओं से मिलकर ऐक चमत्कार बन गया । दो कोशिकायें जिनमें से हर एक में तेईस क्रोमोसोम थे और हर क्रोमोसोम में सैकडों जीन्स ये, जिन्होंने आपके हर लक्षण को निर्धारित किया, आपकी आँखों के रंग से लेकर आपके आकर्षण तक और आपके मस्तिष्क के आकार तक सब कुछ तय किया ।

आपके पिता के चालीस करोड़ शुक्राणुओं से किसी भी एक शुक्राणु से और आपकी मां और पिता के क्रोमोसोम के सैकडों जीन्स के द्वारा मैं तीन लाख बिलियन इंसानों की रचना कर सकता था, जो सभी एक दूसरे से अलग होते ।

परंतु मैंने किसकी रचना की ?

आपकी! अपनेआप में अनूठे । दुर्लभ से भी बेशकीमती खजाना, जिसमें मस्तिष्क और भाषा और गति और स्वरुपों और कार्यों के वे गुण थे जो न तो आज तक किसी में हैं, न आज हैं, न ही भविष्य में होंगे ।

जब आपकी कीमत किसी सम्राट के खजाने से भी ज्यादा है तो फिर आप अपने आपको सिक्कों में क्यों तौलते हैं ?

आपने उन लोगों की बात क्यों सुनी जिन्होंने आपको नीचा दिखाया... और इससे भी बुरी बात यह कि आपने उनका विश्वास क्यों किया ? 

मेरा कहा मानो । अपनी दुर्लभता को अंधेरे में मत्त छुपाओ । इसे सामने लाओ । दुनिया को दिखा दो । उस तरह चलने की कोशिश मत करो जिस तरह तुम्हारा भाई चलता है । उस तरह बोलने की कोशिश मत करो जिस तरह तुम्हारा लीडर बोलता है । औसत दर्ज के इन्सानों की तरह श्रम मत करी । किसी दूसरें की तरह कोई काम मत करो । कभी नकल मत करो । क्योकि हो सकता है कि आप जिसकी नकल कर रहे हैं, वह बुरा आदमी हो। और याद रहे, जो बुराई की नकल करता है वह हमेशा अपने मॉडल से भी आगे निकल जाता है जबकि जो भलाई की नकल करता है यह हमेशा अपने मॉडल से पीछे रहता है । किसी की नकल मत करो । आप अपने जैसे ही रहें । अपनी दुर्लभता को दुनिया के सामने साबित करें और दुनिया आप पर सोने की बारिश कर देगी । यह दूसरा नियम है । अपनी दुर्लभता को साबित करें ।

और अब आपके पास दो नियम ही गये । अपने वरदानों को गिनें! अपनी दुर्लभता को साबित करें ।

आपमें कोई कमी नहीं है। आप औसत नहीं हैं' । आप सिर हिला रहे हैं। आप मुस्कराने पर विवश हो रहे है ।

आप मान रहे हो की आपने खुद को धोखा दिया है । अब आपकी अगली शिक़ायत की तरफ़ आते है ? अवसर कभी आपके दरवाज़े पर दस्तक नहीं देता ?

मेरी बात मानो और ऐसा होगा, क्योंकि अव में तुम्हें हर काम में सफलता मिलने वाली नियम बताने जा रहा हूं। कई सदी पहले यह नियम आपके पितामह को पहाड़ की चोटी से दिया गया था । कुछ ने नियम का पालन किया और उनके जीवन में सुख, सफलता, स्वर्ण और मन की शांति के फल मिले । ज्यादातर लोगों ने उस नियम को अनसुना कर दिया क्योंकि वे किसी चमत्कारी साधन की तलाश में थे, वे किसी टेढे शॉर्टकट की तलाश में थे,

या फिर वे भाग्य नामक शैतान का इंतजार कर रहे थे कि वह आकर उन्हें जीवन में अमीर बनाये । वे व्यर्थ ही इंतजार करते रहे... जिस तरह कि आप अब तक इंतजार करते रहे हैं और वे रोये, जिस तरह कि आप रोये थे, कि किस्मत उन पर इसलिये मेहरबान नहीं है क्योंकि यह मेरी इच्छा थी ।

यह नियम आसान है । युवक हो या बूढा, भिखारी हो या राजा, श्वेत या अश्वेत, पुरुष या महिला... सभी इस रहस्य से लाभ उठा सकते हैं । सफलता कैसे हासिल की जाये, इस बारें में । जितने भी नियम हैं, भाषण हैं और सिद्धांत हैं, उनमें से यही एक तरीका है जो आज तक कभी असफल नहीं हुआ... जो भी आपको अपने साथ एक मील चलने के लिये मजबूर करें . . . उसके साथ दो मील तक जाये ।

यह तीसरा नियम है... एक ऐसा रहस्य जो आपको इतनी अमीरी और शोहरत देगा जिसकी कल्पना आपने सपने में भी नहीं की होगी । एक और मील चलें!

सफलता का एकमात्र निश्चित तरीक यह है कि आप आशा से अधिक और बेहत्तर सेवा प्रदान करें, चाहे आपका काम कोई भी हो । इतिहास गवाह है कि सभी सफल लोगों में यही आदत थी । इसलिये मैं तुमसे कहता हूं कि औसत दर्जे का इंसान बनने के लिये आपको केवल उतना ही काम करना चाहिए जितना आपसे कहा जाये या जितने काम की आपको तनख्वाह मिलती हो ।

आपको जितना वेतन मिल रहा है, अगर आप उससे अधिक काम कर रहे हैं तो यह न सोचें कि आपके साथ धोखा हो रहा है । जीवन में एक पेंडुलम होता है और आप जितना पसीना बहायेंगे, अगर उसका फ़ल आपको आज नहीं मिलता, तो वह पेंडुलम कल घूमेगा और आपको दस गुना फल आने वाले कल में मिलेगा । औसत लोग एक और मील नहीं जाते, क्योंकि वह सोचते हैं कि ऐसा करना खुद को धोका देना है । आपको अपनी तरफ़ से एक और मील चलने की पहल करना चाहिये । आपको इससे बचना नहीं चाहीये । आप इससे बच नहीं सकते । अगर आप इसे नज़रअंदाज़ करेंगे, अगर आप उतना कम काम करेंगे जितना कि और लोग करते हैं तो अपनी असफलता के लिये आप खुद ही जिम्मेदार होगे ।

अगर आप सेवा करेंगे तो अपको उसके बदले पुरस्कार मिलेगा यह बात उसी तरह तय है जिस तरह कि यह बात कि आप यदि सेवा नहीं करेंगे तो आपको पुरस्कार नहीं मिलेगा । कारण और परिणाम, साधन और लक्ष्य, बीज और फल -… इन्हें अलग नहीं किया जा सकता । परिणाम कारण में पहले से छुपा होता है, लक्ष्य साधन में छुपा होता है और फल हमेशा बीज में छुपा होता है । "

एक और मील चलें ।

अगर आपका मालिक कृतघ्न है तो भी चिंता न करें । उसकी और अधिक सेवा करें ।

और इसके बजाय आप यह मान लें कि आपका यह कर्ज मेरे नाम पर चढ़ा हुआ है, क्योंकि तब आप जान जायेंगे कि आपका हर मिनट, आपकी अतिरिक्त सेवा के हर कार्य का आपको पुरस्कार मिलेगा । और अगर आपको जल्दी पुरस्कार नहीं मिलता तो चिंता न करें । क्योंकि पुरस्कार जितनी देर से मिलेगा, उतना ही आपके लिये अच्छा होगा... और चक्रवृद्धि व्याज पर चक्रवृद्धि व्याज इस नियम का सबसे बडा लाभ है ।

आज सफलता को आदेश नहीं है सकते, आप सिर्फ इसके काबिल बन सकते हैं. . . और अब आप जान गये है कि सफलता हासिल करने का महान रहस्य क्या है ।

एक और मील चले!

वह जगह कहां है जहां से तुम चिल्लाये थे कि कोई अवसर नहीं है ? देखो! अपने चारों तरफ़ देखो । देखो, कल तुम आत्मदया के कचरे में किसी बोने की तरह पड़े हुए थे, अब आप सोने के गलीचे पर तनकर चल रहे हैं । कूछ भी नहीं बदला... सिर्फ आप बदले हैं, परंतु आप ही तो सब कूछ हैं । आप मेरे महानतम चमत्कार हैं । आप विश्व के महानतम चमत्कार हैं । और अब सुख और सफलता के तीन नियम अपने पास हैं । अपने वरदानों को गिनें! अपनी दुर्लभता को साबित करें! एक ओर मील चले!

अपनी प्रगति को लेकर उतावले न हों, धीरज रखें । कृतज्ञता से वरदान गिनने मैं, गर्व से अपनी दुर्लभता साबित करने में है एक और मील चलने में समय लगता है । यह काम पलक झपकते ही नहीं हो जाते । परंतु, जो आपको बहुत अधिक मुश्किलों के बाद हासिल होता है आप उसे लंबे समय तक संभालकर रखते हैं । याद रखें, जिन्हें दौलत विरासत में मिलती है उन्हें इसका महत्व समझ में नहीं आता, परंतु जो लोग खुद की मेहनत से दौलतमंद बनते हैं वे इसे ज्यादा संभालकर रखते हैं।

और अपने नये जीवन में प्रवेश करने समय डरे नहीं । जो महान काम के साथ कूछ न कूछ जोखिम होता है । अगर आप चाहें कि आपको एक चीज़ मिल जाये और दूसरी चीज़ से आप बच जायें तो ऐसा नहीं हो सकता । अब आप जान चुके है कि आप एक चमत्कार हैं और चमत्कार में कोई डर नहीं होता ।

गर्व करो । आप किसी लापरवाह रचयिता की क्षणिक सनक का परिणाम नहीं हैं जो जीवन की प्रयोगशाला में प्रयोग कर रहा था । आप उन शक्तियों के गुलाम नहीं हैं, जिन्हें हम समझ नहीं सकते। आप छोटी मोटी शक्ति के नहीं, बल्कि मेरी शक्ति की अभिव्यक्ति है, आप किसी के प्रेम के नहीं बल्कि मेरे प्रेम की अभिव्यक्ति हैं। आपको किसी उदूदेश्य के लिये बनाया गया है।

मेरे हाथ के स्पर्श को महसूस करो । मेरे शब्दों को सुनो । तुम्हें मेरी जरूरत है... और मुझे तुम्हारी जरूरत है ।

हमें दुनिया को फिर से बनाना है. .. और अगर इसमें चमत्कार की जरूरत है तो इससे हमें क्या परेशानी है ? हम दोनों ही चमत्कार हैं और अब हम एक साथ हैं । मैंने उस दिन से तुममें आस्था कभी नहीं खोई जब मैंने तुम्हें एक बडी लहर से बुना और रेगिस्तान में तुम्हें उतार दिया । अगर तुम समय का हिसाब लगाओ तो यह पाँच सौ मिलियन साल पहले की बात थी। कई मॉडल, कई आकारों-प्रकारों के बाद मैं तीस हजार साल पहले तुम्हारे निर्माण में पूर्णता तक पहुँचा । मैंने इसके बाद इतने सालों में तुममें सुधार करने का कोई प्रयास नहीं किया । क्योंकि चमत्कार को मैं किस तरह सुधार सकता था ? देखने में तुम अद्भुत थे और मैं तुम्हें देखकर खुश होता था । मैंने तुम्हें यह दुनिया दी और तुम्हें यहीं का शासक बनाया । तुम अपनी पूरी संभावना तक पहुँच सको, इसके लिये मैने तुम पर अपना हाथ रखा और ऐसी शक्तियों दीं जो ब्रह्माण्ड में किसी दुसरे प्राणी के पास नहीं हैं ।



मैंने तुम्हें सोचने की शक्ति दी ।

मैंने तुम्हें प्रेम करने की शक्ति ही ।

मैंने तुम्हें इच्छा करने की शक्ति दी ।

मैंने तुम्हें हँसने की शक्ति दी ।

मैंने तुम्हें कल्पना करने की शक्ति दी ।

मैंने तुम्हें रचना करने की शक्ति दी ।

मैंने तुम्हें योजना बनाने की शक्ति ही ।

मैंने तुम्हें बोलने की शक्ति दी ।

मैंने तुम्हें प्रार्थना करने की शक्ति दी ।

तुम पर मेरे गर्व की कोई सोमा नहीं थी । तुम मेरी सबसे बेहतरीन रचना थे, मेरा महानतम चमत्कार । एक सम्पूर्ण जीता-जागता प्राणी । एक ऐसा प्राणी, जो किसी भी मौसम के हिसाब से ढल सकता था, किसी भी कठिनाई और चुनौती का सामना कर सकता था । जो मेरे हस्तक्षेप के बिना अपनी खुद की तकदीर बना सकता था । जो केवल आज ज्ञान से नहीं, बल्कि विचार और चिंतन से किसी अनुभूति या एहसास में यह फैसला

कर सकता था कि उसके लिये और सारी मानवता के लिये कौन सा कार्य सर्वश्रेष्ठ रहेगा । अब इस सफलता और सुख के चौथे नियम पर आते हैं... क्योंकि मैंने तुम्हे एक और शक्ति दी है, इतनी महान शक्ति जो मैंने अपने देवदूतों को भी नहीं दी । मैंने तुम्हें... चुनने की शक्ति ही । इस उपहार से मैंने तुम्हें अपने देवदूतों से भी ऊपर स्थान दिया है .. . क्योंकि देवदूत पाप का मार्ग चुनने के लिये स्वतंत्र नहीं हैं । मैंने तुम्हें अपने भाग्य पर पूरा नियन्त्रण दिया । मैंने तुम्हें खुद अपनी स्वतंत्र इच्छा से अपना रास्ता निर्धारित करने की स्वतंत्रता दी । तुम ना तो स्वर्ग के थे, न धरती के, बल्कि तुम अपनी इच्छा के अनुसार अपने आपको बनाने के लिये स्वतंत्र थे। तुम्हारे पास यह स्वतंत्रता थी कि तुम चाहो तो निकृष्ट प्राणियों की तरह पतन के मार्ग पर चलो । साथ ही, तुममें आत्मा के ज्ञान की वह शक्ति भी थी जो तुम्हें देवी शक्तियों वाले ऊँचाई के मार्ग पर जा सकती थी।

मैंने तुम्हारी महान शक्ति … चुनाव करने की शक्ति को कभी वापस नहीं लिया । 

तुमने इस प्रबल शक्ति का कैसा प्रयोग किया ? अपनी तरफ देखो । जरा सोचो अपनी जिंदगी में तुमने क्या चुना था और उन कटु क्षणों को याद करो। जब तुम घुटने टेककर यह प्रार्थना कही थे कि काश तुम्हें एक बार फिर से चुनने का मौका मिल जाये । जो गुजर गया, उसे गुजर जाने दो. .. और  अभी तो तुम जानतो हो कि सुख और सफलता का चौथा महान नियम यह है. . . अपनी चुनाव करने की शक्ति का समझदारी से इस्तेमाल करो ।

नफ़रत करने के बजाय ... प्रेम का चुनाव करो ।

रोने के बजाय ... हँसने का चुनाव करो ।

नष्ट करने के बजाय ... रचने का चुनाव करो ।

बुराई करने के बजाय ... तारीफ करने का चुनाव करो ।

चोट पहुँचाने के बजाय ... मरहम लगाने का चुनाव करो ।

चोरी करने के बजाय ... देने का काम करो ।

काम टालने के बजाय ... काम करने का चुनाव करो ।

सड़ने के बजाय ... बढने का चुनाव करो ।

शाप देने के बजाय ... प्रार्थना करने का चुनाव करो ।

मरने के बजाय ... जिंदा रहने का चुनाव करी ।

अब तुम जान गए होगे कि तुम्हारा दुर्भाग्य मेरी इच्छा से नहीं आए क्योंकि सारी शक्ति तो तुम्हारे ही पास थी । जिन विचारों और कामों की वजह से तुम कचरे के ढेर पर पड़े हुए थे, वे सब तुम्हारे ही थे, मेरे नहीं थे । तुम्हारी छोटी प्रकृति के मान से मेरे शक्तिशाली उपहार बहुत बड़े साबित हुए । अब तुम समझदार हो गये हो ओर अब इस धरती के सभी फल तुम्हें मिलना चाहिए।

यह जान लो कि तुम आदमी ही नहीं हो, बल्कि महान आदमी बन सकते हो ।

तुममें महान चमत्कार करने की क्षमता है। तुम्हारे संभावना असीमित है । मेरी बनाई इस सृष्टि में तुम्हारे अलावा किसी दूसरे प्राणी ने अग्नि को अपना गुलाम बनाया है?  किसने गुरुत्वाकर्षण को जीता है, किसने आसमान को चीरा है' किसने बीमारी, महामारी और अकाल को जीता है ?

अपने आपको फिर कभी छोटा मत समझना ।

जिंदगी के बचे…कूचे टुकडों से कभी संतुष्ट मत होना । 

आज के बाद, कभी अपनी प्रतिभा को मत छिपाना ! 

उस बच्चे को याद करो जो कहता है, "जब मैं बड़ा बच्चा बन जाऊंगा " और उसके बाद ? बडा बच्चा कहता है, "जब मैं और बडा हो जाऊँगा । " और जब वह बड़ा हो जाता है तब वह कहता है, "जब मेरी शादी हो जायेगी ।" और शादी के बाद क्या होता है ? इसके बाद वह विचार बदलकर यूँ हो जाता है, "जब मैं रिटायर हो जाऊँगा ।" ओर फिर रिटायरमेंट आता है और वह पलटकर अपने पिछले जीवन की तरफ देखता है । वह पछताता है और सोचता है कि उसने कितने सारे अवसर गवां दिये और अब उसके हाथ में कूछ भी नहीं बचा ।

इस दिन का आनंद लो, आज ही. .. कल भी, और परसों भी ।

तुमने दुनिया का सबले महान चमत्कार कर दिखाया है।

तुम जीवित मृत्यु से वापस लौट आये हो ।

अब तुम कभी आत्मदया से पीडित नहीं रहोगे और हर नया दिन तुम्हारे लिये चुनौती और आनंद लेकर आयेगा ।

तुम्हारा फिर से जन्म हुआ है. .. परंतु पहले की ही तरह तुम असफलता और निराशा या सुख और सफलता में से किसी एक

का चुनाव कर सकते ही । चुनाव तुम्हारा है । चुनाव पूरी तरह से तुम्हारा है । मैं पहले की तरह सिर्फ देख सकता हूं... गर्व से या दुख से ।

सुख और सफलता के इन चार नियमों को याद रखना ।

अपने वरदानों को गिने ।

अपनी दुर्लभता को साबित करें ।

एक और मील चलें!

अपनी चुनाव की शक्ति का समझदारी से इस्तेमाल करें !

और हौं, इन चारों नियमों के साथ एक बात और । इन सभी को प्रेम से करें... यह प्रेम आपके लिये हो, बाकी लोगों के लिये हो, और मेंरे लिये हो ।

अपने आँसू पोंछ डालिये । आगे हाथ बढाइये, मेरा हाथ पकड़ीये, और सीधे खड़े हो जाइये ।

आप जिन कब्र के कपडों में बंधे हुए हैं, उनके बंधन से मैं आपको मुक्त व्यता हूँ ।

इस दिन मैं आपको यह प्रमाणपत्र देता हूँ ।

आप दुनिया के सबसे महान चमत्कार है

लेखक - ऑग मेंडिनो 

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