आज के समय में लड़कियों के साथ अत्याचार बढ़ गए हैं आये दिन कोई न कोई लड़की यौन उत्पीड़न का शिकार होती है। बस उस पर हो रहे उत्पीड़न के तरीके अलग अलग होते हैं। चाहे गाँव की हो या शहर की पढ़ी लिखी इस भंवर जाल से बचना काफी मुश्किल होता हैं। इसी समस्या के उजागर करती और इसके खिलाफ आवाज उठाती फ़िल्म है 'शुभ रात्रि'।
लड़कियों पर हो रहे शोषण को रोकने के लिए लड़कियों को सतर्क और समझदार होना बेहद आवश्यक है। कोई भी उसकी मासूमियत का फायदा ना उठाये और ना ही लड़की किसी की चालाकी को प्रेम समझ उसके झाँसे में आये। ऐसी ही एक लड़की है गीता जो एक युवक आदित्य के प्रेमजाल में फंस जाती है। आदित्य उसका फायदा उठाकर उसका अश्लील फोटो निकाल लेता है और बड़ी मासूमियत के साथ दूसरों के साथ मिलकर उसे ब्लैकमेल करवाता है। इस तरह एक शरीफ लड़की वेश्यावृत्ति के जाल में फंस जाती है। वह अपने प्रेमी की सच्चाई जानकर पुलिस के पास जाती है और इसका नतीजा यह होता है कि इसे दर्दनाक मौत मिलती है। गीता की बहन राजलक्ष्मी को जब यह पता चलता है तो प्रतिशोध से भर जाती है और अपनी बहन को न्याय दिलाने के लिए आदित्य और उसके दोस्तों के खिलाफ षडयंत्र रचती है। इस काम में उसका प्रेमी राजीव भी साथ देता है। क्या वह अपने मकसद में कामयाब होती है या फिर खुद ही उसके प्रेमजाल में फंस जाती है? आखिर राजलक्ष्मी का नया दांव क्या होगा यह जानना काफी दिलचस्प है। रहस्य और रोमांच से भरी फ़िल्म 'शुभरात्रि' एक क्राइम थ्रिलर और ड्रामा से भरी फ़िल्म है।
फ़िल्म में राहुल कुमार, कर्णिका मंडल, मेहुल भोजक, शाहिद माल्या, राजकुमार कनोजिया, जावेद हैदर, अनिता अग्रवाल, अपूर्वा कवडे ने अभिनय किया है।
सॉफ्ट टच इंटरटेनमेंट बैनर तले बनी फिल्म के निर्माता निर्देशक राहुल प्रजापति हैं।
फिल्म की कहानी आज के वर्तमान समय को मद्देनजर रख कर लिखी गयी है। फ़िल्म की पटकथा अच्छी है। फ़िल्म में नौकर लल्लन, उसका साथी और दोनों की प्रेमिका चम्पा का किरदार है जो फ़िल्म में हल्की फुल्की हास्य की फुलझड़ी बिखेरता है। फ़िल्म के गाने कर्णप्रिय हैं। फ़िल्म के कलाकारों के मेहनत में कमी है जो पर्दे पर दिखता है।
फ़िल्म का क्लाइमेक्स काफी अच्छा है इंटरवल जिस मोड़ पर होता है वह दर्शकों को सोचने पर मजबूर कर देता है कि फ़िल्म की कहानी में ये ट्विस्ट कौन सा मोड़ लाएगा। यह काफी अचंभित करने वाला है। निर्देशक ने फ़िल्म को दक्षिण भारतीय फिल्मों की तरह थ्रिल और सस्पेंस से भरने की कोशिश की है।
फ़िल्म शुभरात्रि में निर्देशन में कई खामियां नज़र आयी। इंटरवल से पहले के कुछ सीन बोरियत महसूस कराते हैं पर उसके बाद काफी सस्पेंस आता है। औसतन युवावर्ग फ़िल्म को पसंद करेंगे।
शुभ रात्रि - तीन स्टार ***
Post a Comment
Click to see the code!
To insert emoticon you must added at least one space before the code.