जब घातक कोरोनोवायरस महामारी पूरी दुनिया में छा गई तो इसने खुदरा निवेशकों की भावनाओं को इतना कमजोर कर दिया कि भारत का बीएसई सेंसेक्स 23 मार्च 2020 को 25,981 अंक तक गिर गया। इस तरह के उत्तेजित, भयभीत और अस्थिर भावनाओं के पर्याप्त कारण थे। व्यवसाय और उद्योग ठहर गए थे क्योंकि आर्थिक और शारीरिक दोनों गतिविधियां तेजी से घट गई थीं।
स्टॉक की कीमतें भविष्य की कमाई बढ़ने की उम्मीदों पर तय होती हैं। वायरस की वजह से आर्थिक गतिविधियों में गिरावट के साथ ही भविष्य की विकास संभावनाओं में तेज गिरावट आई, जिससे कमाई की उम्मीद और मूल्यांकन प्रभावित हुए। हालांकि, बाजारों ने तेजी से वापसी की और तब से बाजारों में लगभग 70 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। जून में भारत ने अपनी अर्थव्यवस्था को भी खोलना शुरू किया जिसने इस विकास में योगदान दिया। एंजल ब्रोकिंग लिमिटेड के इक्विटी स्ट्रैटेजिस्ट-डीवीपी ज्योति रॉय कुछ प्रमुख ट्रेंड्स के बारे में बता रहे हैं जिसने बाजार को ऊपर चढ़ाया।
केंद्रीय बैंकों के कारण प्रचुर वैश्विक तरलता: मार्च और अप्रैल के महीनों में तेज मंदी के कारण, वैश्विक स्तर पर सरकारों और केंद्रीय बैंकों ने मौद्रिक और राजकोषीय प्रोत्साहन पैकेजों की घोषणा की है। यह वैश्विक वित्तीय संकट के चरम में घोषित पैकेज की तुलना में काफी बड़े हैं। अमेरिका ने अब तक राजकोषीय प्रोत्साहन के उपायों में 2.7 ट्रिलियन डॉलर के आसपास की घोषणा की थी, जबकि अमेरिकी फेडरल रिजर्व ने अपने बॉन्ड पर्चेज प्रोग्राम के माध्यम से 3 ट्रिलियन डॉलर से अधिक तरलता इंफ्यूज की है। अमेरिका में दूसरे अमेरिकी प्रोत्साहन पैकेज की भी बातचीत हो रही है जबकि फेडरल रिजर्व प्रतिबद्ध है कि अगर जरूरी हुआ तो वह और अधिक पैकेज देने को तैयार है। भारतीय रिजर्व बैंक ने भी 2020 की दूसरी और तीसरी तिमाहियों में अपनी दरों में 115 बेसिस पॉइंट्स की कटौती की है, और बाजारों में ओपन मार्केट ऑपरेशन, दीर्घकालिक रेपो ऑक्शन और टारगेटेड लॉन्ग टर्म रेपो ऑपरेशन जैसे विभिन्न अपरंपरागत उपायों के माध्यम से बाजारों में पर्याप्त तरलता सुनिश्चित की है।
एफआईआई से मजबूत प्रवाह: भारत में मार्च महीने में विदेशी पोर्टफोलियो निवेश (एफपीआई) 61,973 करोड़ रुपए का आउटफ्लो देखा गया। हालांकि, मार्च में बड़ी बिकवाली के बाद हमने देखा कि वैश्विक तरलता और आर्थिक सुधार से प्रेरित एफआईआई के प्रवाह में तेजी आई है, जिसने शेयर बाजार की रैली को समर्थन दिया। वित्तीय वर्ष के लिए संचयी एफआईआई प्रवाह अब तक 1,50,000 करोड़ रुपये से अधिक है।
क्रमिक अनलॉकिंग के कारण अंतर्निहित अर्थव्यवस्था में सुधार: महामारी से जुड़ी अनिश्चिततता और संबंधित आर्थिक नुकसान के परिणामस्वरूप बाजारों में अत्यधिक अस्थिरता रही। लेकिन जैसे-जैसे अर्थव्यवस्थाएं वैश्विक स्तर पर फिर खुलने लगीं, अंतर्निहित आर्थिक गतिविधियों में क्रमिक लेकिन निरंतर सुधार हुआ। मार्च में पाताल को छूने के बाद से वैश्विक अर्थव्यवस्था में काफी सुधार हुआ है जो कि खुदरा बिक्री और पीएमआई आंकड़ों में परिलक्षित होता है। खुदरा बिक्री अमेरिका, जर्मनी और ब्रिटेन सहित सभी प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं के लिए सितंबर तक कोविड के पहले के स्तर तक पहुंच गई है। इसी तरह पीएमआई आंकड़े भी विकसित अर्थव्यवस्थाओं में निरंतर सुधार के फार्मूले का संकेत दे रही हैं। सितंबर में घरेलू अर्थव्यवस्था में भी सुधार जारी रहा जो ऑटो बिक्री और पीएमआई आंकड़ों जैसे उच्च आवृत्ति डेटा में परिलक्षित हुआ। सितंबर में मैन्युफैक्चरिंग पीएमआई ने मैन्युफैक्चरिंग में बहुत मजबूत रिबाउंड की ओर इशारा किया क्योंकि सितंबर के 56.8 के मुकाबले अक्टूबर में यह सुधरकर 58.9 पर पहुंच गया। यह 2008 के मध्य के बाद से संकेतक के लिए उच्चतम रीडिंग है। इसी तरह सर्विस पीएमआई भी 49.8 से अक्टूबर में 54.1 हो गया और मार्च के बाद 50 से ऊपर की यह पहली रीडिंग है, जो सेवा क्षेत्र में रिकवरी के हरे रंग की ओर इशारा करती है।
घरेलू संस्थागत निवेश: घरेलू संस्थागत निवेश में भी रुकावट के बावजूद एक अच्छी प्रवृत्ति देखी गई। घरेलू संस्थागत निवेशकों (DIIs) ने अक्टूबर और नवंबर 2020 के महीने में 20,500 करोड़ रुपये में निवेश किया।
गैर-संस्थागत निवेशकों (एनआईआई) की भागीदारी में वृद्धि: शेयर बाजार के आंकड़ों में गैर-संस्थागत निवेशकों की बाजार हिस्सेदारी में वृद्धि का संकेत मिलता है, जो अगस्त 2009 के बाद सबसे अधिक है। वित्त वर्ष 2020 में एनआईआई की हिस्सेदारी लगभग 50% रही, जो पिछले तीन महीनों में 68% तक उछल गई। एनआईआई बाजार में हिस्सेदारी के मामले में घरेलू संस्थागत निवेश विदेशी संस्थागत निवेशकों के मुकाबले हाईलाइट रहे हैं, जो खुदरा निवेशकों और बड़े स्तर पर शेयर बाजारों के लिए एक अच्छी खबर है।
नवंबर में अमेरिकी राष्ट्रपति चुनावों के बाद बाजार में भी काफी गिरावट आई है क्योंकि अब फोकस दूसरे अमेरिकी प्रोत्साहन बिल में बदल गया है जो अमेरिकी सरकार के एजेंडे में सबसे ऊपर है। इसके अलावा फाइजर, मॉडर्ना और एस्ट्राजेनेका के साथ वैक्सीन के मोर्चे पर सकारात्मक समाचार की घोषणा की गई है कि उनके टीके कोविड-19 वायरस के खिलाफ प्रभावी पाए गए हैं। बाजार यह उम्मीद कर रहे हैं कि टीके 2020 के अंत तक विश्व स्तर पर स्वास्थ्य एजेंसियों से आपातकालीन स्वीकृति प्राप्त करेंगे और 2021 की पहली तिमाही में कभी भी वितरण शुरू हो जाएगा। प्रचुर मात्रा में तरलता, कोविड से सकारात्मक आर्थिक सुधार, वैक्सीन पर सकारात्मक समाचार के मोर्चे ने शेयर बाजारों में रैली में योगदान दिया है।
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