मुंबई, 10 जुलाई 2020: भारत की अर्थव्यवस्था के हितधारकों ने राष्ट्र-निर्माण पर देशभर की सभी आईआईटी के लिए आयोजित ग्लोबल ई-कॉन्क्लेव के उद्घाटन के दिन समान विचारों को प्रतिध्वनित किया कि समाज, सरकार और बाजार मिलकर ही इस संकट के समय सहयोग और इनोवेशन के जरिये रोजगार के अवसर बढ़ाने और विकास को दिशा दे सकते हैं। प्रत्येक हितधारक के पास जो ताकत है, उसका लाभ हमारे एमएसएमई और महामारी से परेशान हुए समाज के वंचित व कम-भाग्यशाली लोगों के समर्थन के लिए समाधान विकसित करने में इस्तेमाल करने की आवश्यकता है।
तीन-वीकेंड चलने वाले इस ई-कॉन्क्लेव के पहले फेज में ग्लोबल आईआईटी एल्युमनी और भारतीय नीति निर्माताओं, उद्योग क्षेत्र के दिग्गजों और थर्ड सेक्टर के लीडर्स की अर्थव्यवस्था और उच्च शिक्षा के पुनर्निर्माण पर ज्वलंत चर्चा की शृंखला देखी गई। पैन आईआईटी रीच फॉर इंडिया फाउंडेशन के अध्यक्ष हरि पद्मनाभन, जो खुद आईआईटी-कोलकाता के पूर्व छात्र भी हैं, ने स्थायी कल्याण पहल लागू करने और उन्हें बढ़ाने में प्रेझा फाउंडेशन के लिए झारखंड सरकार के साथ पैन-आईआईटी एल्युमनी के सहयोग के अनुभव का हवाला दिया। उन्होंने कमजोर वर्गों को सशक्त बनाने के लिए देशभर में इसी तरह के मापने योग्य मॉडल के व्यापक महत्व को रेखांकित किया।
हरि पद्मनाभन ने कहा, “पैन-आईआईटी एल्युमनी रीच फॉर इंडिया फाउंडेशन और झारखंड सरकार के साथ इसके संयुक्त उद्यम ने पिछले 10 वर्षों में एक मॉडल विकसित किया है जो कई क्षेत्रों में सहयोग करता है। यह समाज के कमजोर तबके को आगे बढ़ाने पर ध्यान केंद्रित करता है। इसके जरिये वंचित वर्ग के युवाओं को न केवल करियर-बिल्डिंग स्किल के साथ, बल्कि स्थापित संगठनों से नौकरियां सुनिश्चित करने का काम किया जा रहा है। इससे उन्हें दीर्घकालिक रोजगार अवसर प्राप्त हो रहे हैं। इस संरचना में सरकार और व्यावसायिक उद्यम प्रमुख हितधारक हैं। जहां सरकार अपने बुनियादी ढांचे और वित्तीय सहायता के साथ-साथ प्रो-बोर्ड-स्तर के प्रशासन को विस्तार दे रहा है। कॉर्पोरेट सेक्टर या बाजार हमारे ट्रेनी के लिए दीर्घकालिक रोजगार सुनिश्चित कर रहे है, फंडिंग के जरिये कौशल के अंतर को कम किया जा रहा है।
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