मंच की अध्यक्षा अलका पाण्डेय ने बताया कि लॉकडाउन और कोरोना जैसी महामारी के दौर में सबसे ज्यादा मुश्किल और तकलीफ मजदूरों ने उठाई।
यह जरुरी था कि हम इस पर बात करें, हम ज्यादा तो कुछ कर नहीं सकते परंतु हम उनकी तकलीफ, समस्यों को व्यक्त कर एक जनजागृति ला सकते हैं और गरीब लाचार भूख प्यास से बिलखते लोगों के प्रति समर्थवान लोगों के दिलों में मदद की एक भावना जगा सकते हैं। साथ ही आनलाइन कवि सम्मेलन अपने साथ जाग्रति लाने व देश को सुंदर संदेश देने का काम तो हम घर बैठ ही कर सकते हैं। आज सबसे महत्वपूर्ण यह है कि हमारी सोच को हम सकारात्मक कैसे रखें व समय का सदुपयोग कैसे करें, एक रचनाकार को लिखने से अच्छा और काव्यपाठ से अच्छा कुछ लग ही नहीं सकता, बस इसलिये विभिन्न विषयों पर रोज़ काव्य सम्मेलन के साथ विषय "मजदूर" पर आयोजन किया गया। लॉकडाऊन अब कुछ कुछ ढीला हो गया है, लोग बाहर जाने लगे पर कवियों के मंच इतनी जल्दी नहीं शुरु होंगे, तो घर रहकर देश विदेश में बैठे साहित्यकारों को एक मंच पर लाना हिंदी साहित्य का प्रचार प्रसार नित्य नया सृजन और नव साहित्यकारों को मार्गदर्शन देना तथा कोरोना योद्धाओं को सम्मान व सरहद पर शहीद हुए वीरों को बहादुरी उनकी निष्ठा व सहयोग का अभिनंदन करना हम सभी साहित्यकारों का दायित्व बनता है। सबकी रचनाएं सुनना व समझना एक नहीं अनेकों रचनाओं को एक ही मंच पर पढ़ना सुनना ये हम सभी के लिऐ बहुत बड़ी उपलब्धि है।
अग्निशिखा के संग काव्य के विविध रंग में 49 वें काव्य सम्मेलन के मुख्य अतिथी डॉ अवधेश अवस्थी शिशुरोग विशेषज्ञ रेल्वे बलसाड़ और सुनील दत्त मिश्रा (फ़िल्म कलाकार एक्टर डायरेक्टर) थे, जिन्होंने मंच की गरिमा को चार चांद लगाए।
कार्यक्रम की शुरुआत हुई गणेश वंदना से जो चंदेल साहिब ने किया। उनके बाद मंच पर सरस्वती वंदना की गई, आरती व दीप प्रज्वलित किये गए।
ततपश्चात सभी रचनाकारों ने अपनी अपनी रचना के ऑडियो वीडियो क्लिप लिखित रचना व फ़ोटो पटल पर प्रेषित किए।
कार्यक्रम को दो सत्रों में विभाजित किया गया, प्रथम सत्र में मंच संचालन किया अलका पाण्डेय, चंदेल साहिब और डॉ प्रतिभा कुमारी पराशर ने।
दूसरे सत्र का संचालन शोभा रानी तिवारी, जनार्दन शर्मा - इंदौर, सुंरेद्र हरड़े कवि नागपुर ने किया। निर्णायक की भूमिका अदा की अरविंद श्रीवास्तव - दतिया म.प्र. ने। संजय कुमार मालवी आदर्श (केशव) ने आभार व्यक्त किया। सरस्वती वंदना की शोभा रानी तिवारी, चंदेल साहिब व रविशंकर कोलते ने।
मज़दूर विषय पर लिखते हुए मंच की अध्यक्षा अलका पांडेय कहती है :-
मैं देश का स्वाभिमान हूँ !
अन्न उपजाने वाला मज़दूर हूँ
घर घर चुल्हा मुझसे जलता
भूखे को रोटी देने वाला भगवान हूँ !!
चंदेल साहिब (विक्की चंदेल) लिखते हैं:-
महल आशियाँ न जाने क्या क्या बनाया!
परिवार के लिए एक घऱ न बना सका!!
वो मज़दूर हूँ मैं
मुश्किल घड़ी में धरती को बिछोना
अम्बर को ही अपना छत जो बनाता
वो मज़दूर हूँ मैं
मैं मजदूर हूं साहब! दो वक्त की रोटी खातिर
दिन-रात जी तोड़ मेहनत करता हूँ
- डॉ मीना कुमारी'परिहार'पटना
"मजदूर" महामारी की तीखी धूप, रोजी रोटी का दर्द, भीगी आखें,,खाली पेट, पावँ मे छाले, कैसे करोगे सागर पार,रूक जाओ पथिक - ममता तिवारी
मेरे देश की आन बान ओर शान की पहचान है,
देश का मजदुर , किसान ओर वीर जवान है ।
संजय कुमार मालवी आदर्श इंदौर
मजदूर बेटे को इसके, जिसका नाम श्रम पुत्र है,
साहित्यिक ने स्वेत कहा है, जनवाणी ने कहा पसीना,
कोई इसको कहता हीना, कोई पानी कहकर इसको,
सरे हाट बेच रहा है, और कोई इसका मोल लगाकर,ऊंचे भाव में तोल रहा है।
शेखर तिवारी- आबूदाबी
है भरोसा मेहनत पर नहीं बेचूंगा मैं ईमान।
आएगा वह दिन भी जल्दी होगा हमारा भी कल्याण।।
पदमा तिवारी
बच्चो की परवरिश, भुख मिटाने को.मजबूर हूं।
दिन भर परीश्रम करता, यार मैं मजदूर हूं।।
गोवर्धन लाल बघेल जिला महासमुंद
बच्चों की भूख की ख़ातिर कितना मजबूर!
शहर अपना छोड परदेस जा रहा है मजबूर!!
डा. महताब आजाद उत्तर प्रदेश
जीवटता का जीवन जीते, दर्द भरी कथा इनकी।
कितना करे बखान"अकेला", पीर भरी व्यथा इनकी ।।
कवि आनंद जैन अकेला कटनी मध्यप्रदेश
पेट की आग बुझाने को मजबूर हैं
जनसंख्या का बड़ा भाग मजदूर हैं
शोभा रानी तिवारी
मेरी किस्मत में ढेर सारी धूप, चुटकी भर छांव है।
डगमगाते है पैर रह रह के, कई बार डूबने लगती मेरी,
संयम की नाव है।
शोभा किरण जमशेदपुर झारखंड
मई ,जून के महीने में चिलचलाती धूप कि परवाह नहीं कर काम करते हैं। ऐसे ही इंसान जो मजदूर कहा करते हैं।
जनार्दन शर्मा (JD )
मज़दूर के वह हाथ
जो सीमेंट रेत के सने हाथों से एक के ऊपर एक ईंट करीने से लगाते हैं दूसरों के रहने के लिए आशियाना बनाते हैं
मगर खुद आशियाने को तरस जाते हैं:- रानी नारंग
मैं मन मे दृण संकल्प करके चलता है।
मैं हूं मजदूर। किस्मत से मजबूर।
घर परिवार से दूर। सुख सभी काफूर।
रागिनी मित्तल कटनी म.प्र.
काम को पूरा करना है ये मन मे विश्वास लिए रहता है।
एक सिपाही की तरह हिम्मत न हारने की कसम खाई है। क्या :-अंजली तिवारी छत्तीसगढ
भीषण गर्मी में खुद तपता है पर हमको छाया देता है
हम तो ठेका दे फुर्सत हो जाते मजदूर ही घर बना के हमें देता है:- शुभा शुक्ला निशा
रायपुर छ्तीसगढ़
बस हाँथ-पांव सलामत रखें खुदा मेरे,फिर न रोयेंगे कभी कि हम मजबूर हैं तरक्की के रास्ते ले जाऊं अपने भारत को, फिर गर्व से कहूँगा कि मैं मजदूर हूँ।
राजेश कुमार बंजारे
कार्यक्रम में प्रतिभागी के रूप में शामिल थे:-
1) शकुंतला पावनी - चंडीगढ़
2) अंकिता सिन्हा जमशेदपुर
3) गुरिंदर गिल मलेशिया
4)रामेश्वर प्रसाद गुप्ता, मुंबई
5) डॉ ज्योत्सना सिंह
6) मंजुला वर्मा हिमाचल प्रदेश
7) डाॅ0 उषा पाण्डेय कोलकाता
8) ओमप्रकाश पांडेय नवी मुंबई
9)राजेश कुमार बंजारे भाटापारा
10)ऐश्वर्य जोशी कापरे
11) डॉ पुष्पा गुप्ता मुजफ्फरपुर बिहार
12 सीमा दूबे साँझ
13) रमेश चंद्र शर्मा देवास
14) कवि आनन्द जैन अकेला कटनी
15)छगनराज राव 'दीप'
16)दीपा परिहार'दीप्ति'
17)पदमा ओजेंद्र तिवारी दमोह मध्य प्रदेश
18) डा अँजुल कँसल"कनुप्रिया"इंदौर
19)इन्द्राणी साहू "साँची"- भाटापारा
20) सुनीता चौहान हिमाचल प्रदेश
21) शोभा रानी तिवारी
22)दिनेश शर्मा
23)ज्योति जलज
24)सुनीता अग्रवाल इंदौर मध्यप्रदेश
25)द्रोपती साहू सरसिज छत्तीसगढ़
26) रानी नारंग
27)मुन्नी गर्ग
28)डॉक्टर दविंदर कौर होरा
29) मधु तिवारी
30)गीता पांडेय "बेबी "जबलपुर
31)गोवर्धन लाल बघेल टेढी़नारा छत्तीसगढ़
32) सुषमा शुक्ला इंदौर मध्य प्रदेश
33) उपेंद्र अजनबी गाजीपुर उत्तर प्रदेश
34) शेखर रामकृष्ण तिवारी
35) डॉ रश्मि शुक्ला प्रयागराज
36)डा. साधना तोमर (बागपत) यू.पी.
37)हीरा सिंह कौशल हिमाचल प्रदेश
38)डाॅ. शैलजा करोडे नवी मुंबई
39)भरत नायक "बाबूजी" लोहरसिंह, रायगढ़
40)कवि शरद अजमेरा वकील भोपाल म प्र
41)चंद्रिका व्यास
42) मीरा भार्गव कटनी मध्यप्रदेश
43) पद्माक्षी शुक्ल पुणे
44)डाॅ0 उषा पाण्डेय, कोलकाता
45) कल्पना भदौरिया स्वप्निल
46)अश्मजा प्रियदर्शिनी पटना
47)नीलम पाण्डेय गोरखपुर उत्तर प्रदेश
48)शुभा शुक्ला निशा रायपुर छत्तीसगढ़
49)रविशंकर कोलते नागपुर
50) विनोद कश्यप चंडीगढ़
51) डॉ नेहा इल्लाहबादी
52) रजनी अग्रवाल जोधपुर
53)डॉ लीला दीवान जोधपुर
54)शोभा किरण जमशेदपुर झारखंड
55) रागिनी मित्तल कटनी मध्यप्रदेश
56)अंजली तिवारी मिश्रा छ. ग.
57) डॉ संगीता पाल कच्छ गुजरात
58) कांता अग्रवाल
59) विजय बाली जोधपुर
60)वैष्णो खत्री वेदिका जबलपुर
61)डा.राम स्वरुप साहू' स्वरुप'
62) आशा जाकड़
63)ज्ञानेश कुमार मिश्रा
64)डॉ मीना कुमारी परिहार' बिहार
65)अनिता शरद झा
66)समुन्दर सिंह, हसपुरा, औरंगाबाद
67) डा. महताब आज़ाद उत्तर प्रदेश
68)मधु वैष्णव मान्या जोधपुर
69) सावित्री तिवारी दमोह
70) संजय कुमार मालवी आदर्श
71)प्रतिभा द्विवेदी मुस्कान मध्यप्रदेश
72)डॉ लीला दीवान जोधपुर
73)बरनवाल मनोज अंजान धनबाद, झारखंड
74) रजनी अग्रवाल जोधपुर
75)अर्चना पाठक अम्बिकापुर, छत्तीसगढ़
76) ज्योति भाष्कर "ज्योतिर्गमय सहरसा
77)सुरेन्द्र हरडे कवि
78) मनीषा व्यास मंच संचालिका
79)डॉ ब्रजेन्द्र नारायण द्विवेदी शैलेश वाराणसी
80) गणेश निकम महाराष्ट्र
81) ममता तिवारी
82)गरिमा लखनऊ
83) जनार्दन शर्मा आशूकवि
84) मदन मोहन शर्मा 'सजल' राजस्थान
85)स्मिता धिरासरिया बरपेटा रोड
86)वन्दना श्रीवास्तव, खारघर, नवी मुंबई
87)प्रिया उदयन, केरला
88)सुरेंद्र कुमार जोशी मध्यप्रदेश
89) मीना गोपाल त्रिपाठी कोतमा, (मध्यप्रदेश)
90) सम्पूर्णा नन्द द्विवेदी लखनऊ
91) अरविंद श्रीवास्तव
92) प्रतिभा कुमारी पराशर
93) डॉ अलका पांडेय मुंबई
94) चंदेल साहिब बिलासपुर हि. प्र.
सब ने एक दूसरे को सुना व सराहा, निर्णायकों ने स्पष्ट टिप्पणी दी।
इस कार्यक्रम की विशेषता यह थी की महिलाओं की संख्या अधिक रही। यहां कोई छोटा बड़ा नहीं सब एक दूसरे से सिखने व सिखाने की इच्छा रखते हैं व एक दूसरे का भरपूर मार्गदर्शन भी करते हैं।
अभी तक ४८ वे कवि सम्मेलन तक ४५०० से ज्यादा कवियों ने कविता पाठ कर एक कीर्तिमान स्थापित किया है।
सभी को हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं देकर कार्यक्रम में सबका आभार संजय मालवी ने किया।
सभी अतिथियों ने दो-दो शब्द कहे मंच को आशिर्वाद देकर अभिभूत किया, मंच की अध्यक्ष डा. अलका पाण्डेय ने आभासी फूलों से सबका स्वागत किया।
मुख्य अतिथि डा. अवधेश अवस्थी, सुनिल दत्त मिश्रा और डा. अरंविद श्रीवास्तव का सबने भावों के पुष्पों से सम्मान किया।
अग्निशिखा के संग काव्य के विविध रंग के अगले ५/७ /२०२० के काव्यपाठ का विषय रहेगा - अग्निशिखा परिवार।
यह विषय इसलिए भी रखा गया क्योंकि इस मंच ने सभी रचनाकारों को एक पटल पर जोड़कर जो खट्टी मीठी यादें साझा की औऱ एक दूसरे के प्रति सम्मान आदर व स्नेह बनाया, एक दूसरे को सराहा, अपने काव्य पाठ से सभी को मंत्रमुग्ध किया।
पूरे भारत औऱ विदेश में रह रहे भाई बहनों को भी एक पटल पर लाकर खड़ा किया।
इतने लंबे अरसे से इस मंच ने एक परिवार की भांति सब को साथ जोड़े रखा तो इस सब का सारा का सारा श्रेय अग्निशिखा मंच को जाता है। इसलिए इस मंच की गरिमा औऱ शोभा बढ़ाने हेतू एक रचना कविता पाठ इसके नाम पर रखा गया, सभी रचनाकारों का मानना है की यह सबसे उत्तम विषय होना चाहिए।
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