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युवा साहित्यकार कवि पवन तिवारी को 17 जनवरी 2018 की शाम बांद्रा के रंग शारदा सभागृह में केंद्रीय गृह राज्य मंत्री हंसराज अहीर एवं महाराष्ट्र के कैबिनेट मंत्री विनोद तावड़े के हाथों महाराष्ट्र राज्य हिंदी अकादमी के कार्य अध्यक्ष नंदलाल पाठक अभिनेता राजेंद्र गुप्ता चिड़ियाघर फेम, विधायक आशीष शेलार की उपस्थिति में उनके पहले उपन्यास  ‘अठन्नी वाले बाबूजी’ के लिए वर्ष 2016 17 का जैनेंद्र पुरस्कार प्रदान किया गया । इस अवसर पर उनकी पत्नी श्रीमती सीमा तिवारी,अनुज हेरम्ब तिवारी सहित अनेक मित्र शुभ चिंतक उपस्थित थे । ज्ञात हो कि पवन तिवारी को इससे पहले साहित्य रत्न, साहित्य श्री जैसे अनेक पुरस्कारों से सम्मानित हो चुके हैं । साहित्य की तमाम विधाओं में लिखने वाले पवन तिवारी मूल रूप से उत्तर प्रदेश के अंबेडकर नगर जनपद के जहांगीरगंज ब्लॉक के अलाउद्दीन पुर गाँव के रहने वाले हैं । 12 वर्ष की उम्र से लिखने वाले पवन तिवारी ने साहित्य की तमाम विधाओं में अपनी कलम चलाई है। फिर चाहे वह कहानी हो, कविता हो, नज़्म हो , ग़ज़ल हो, उपन्यास हो, निबंध हो, लेख हो, संस्मरण हो, यात्रा वृतांत हो तकरीबन हर विधा में उन्होंने लिखा है । उनकी चर्चित पुस्तक चवन्नी का मेला एक मील का पत्थर है.जिसे उन्होंने मात्र 23 वर्ष की अवस्था में लिखा था । 21 वर्ष की अवस्था में उन्होंने सम्पादक की जिम्मेदारी निभाई. पवन तिवारी ने पत्रकारिता में भी एक उज्जवल मिसाल कायम की है उन्होंने तकरीबन एक दर्जन पत्र पत्रिकाओं का एवं साहित्यिक विशेषांकों का कुशलतापूर्वक संपादन किया , जो उनकी मेधा का प्रतीक है । ग्रामीण क्षेत्र में पैदा हुए एवं पले-बढ़े पवन तिवारी एक किसान पिता के मेधावी पुत्र हैं इनके पिता श्री चिंतामणि तिवारी एवं माता श्रीमती श्रीपत्ती देवी बेहद सहज और भक्ति भाव वाली हैं । घर में दूर-दूर तक साहित्य का कोई नाता नहीं था फिर भी पवन तिवारी ने विषम परिस्थितियों में संघर्ष करते हुए मुंबई जैसे महानगर में बिना किसी सहायता के स्वयं का मार्ग प्रशस्त किया. जो कि एक आम आदमी के लिए प्रेरणा का विषय है । अपेक्षाकृत कम उम्र में अपने पहले ही उपन्यास के लिए अकादमी पुस्कार प्राप्त करना उनकी लेखकीय प्रतिभा को दर्शाता है ।

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