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आखिर मुख्यमंत्री स्तर पर क्यों नहीं होता संवाद? पर फैशन शो में उपस्थिति।
एस.पी.मित्तल/ झुञ्झुनु 
8 दिसम्बर को राजस्थान में राज्य कर्मचारियों और सेवारत चिकित्सकों के सामूहिक अवकाश की वजह से सरकारी दफ्तर और अस्पताल सूने पड़े रहे। इससे प्रदेशभर की जनता को भारी परेशानी का सामना करना पड़ा। राज्य कर्मचारी सातवें वेतनमान को 1 जनवरी 2016 से लागू करने की मांग कर रहे हैं तो 10 हजार डाॅक्टर सरकार पर वायदा खिलाफी का आरोप लगा रहे हैं। 8 दिसम्बर को कर्मचारियों और डाॅक्टरों के प्रतिनिधियों ने बेमियादी हड़ताल की धमकी भी दी है। इन दोनों ही वर्गों के कार्मिकों का आंदोलन पिछले कई माह से चल रहा है। लेकिन सरकार ने आंदोलन को गंभीरता से नहीं लिया है। डाॅक्टर तो गत माह 12 दिनों तक हड़ताल पर भी रह चुके हैं। आंदोलनरत कार्मिकों में बढ़ी नाराजगी प्रदेश की सीएम वसुंधरा राजे को लेकर भी है। आमतौर पर किसी भी प्रदेश में विवाद होने पर सीएम स्तर पर भी संवाद होता है, लेकिन राजस्थान में बड़े से बड़े आंदोलन अथवा विवाद में सीएम की कोई भूमिका नजर नहीं आती। गत माह डाॅक्टर गिड़गिड़ाते रहे कि एक बार सीएम स्तर पर वार्ता हो जाए, लेकिन उनकी यह मांग पूरी नहीं हुई। अब राज्य कर्मचारी भी कह रहे हैं कि सातवें वेतनमान पर सरकार कुछ-कुछ राहत देती है, लेकिन किसी कर्मचारी संगठन से वार्ता नहीं करती। सरकार का यह रुख जाहिर करता है कि सरकार अपने कर्मचारियों से ही बात करना पसंद नहीं करती है। ताजा राजसमंद का लाइव मर्डर का मामला हो या पद्मावती फिल्म का विवाद। किसी में भी मामले में सूबे की मुखिया की भूमिका सामने नहीं आ रही है। सीएम राजे पिछले दो दिनों से झुंझुनूं में विधानसभा वार जनसंवाद कर गली-मोहल्लों की समस्याओं का समाधान कर रही हैं, जबकि राजसमंद जैसी घटनाओं से प्रदेशभर में तनाव के हालात हैं। कर्मचारियों और डाॅक्टरों की प्रदेशव्यापी हड़ताल से हालात और बिगड़ रहे हैं। ऐसा प्रतीत होता है कि सरकार के अहम और कार्मिकों की जिद से प्रदेश की जनता को यूं ही परेशान होता रहना पड़ेगा। 
फैशन शो में उस्थितिः  8 दिसम्बर को भले ही प्रदेश की जनता कार्मिकों की हड़ताल से परेशान हुई, लेकिन सीएम राजे शाम को जयपुर के डिग्गी पैलेस में आयोजित फैशन शो में अपनी उपस्थिति दर्ज करवाएंगी।

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