मुंबई। हाल ही में मुंबई विद्यापीठ, एसएनडीटी कॉलेज, रेडियो क्लब में 'सब में राम शाश्वत श्रीराम' महाराष्ट्र हिंदी साहित्य भारती, राज्य हिंदी साहित्य अकादमी, मुंबई विश्व विद्यालय का ओजपूर्ण कार्यक्रम संपन्न हुआ।
प्रभु श्रीराम की अपरम्पार महिमा का गुणगान, पवित्र धार्मिक ग्रंथ रामायण से धर्मरत राम, तुलसीदास कृत रामचरित मानस, रामायण में नारी सशक्तिकरण को मंच पर मुख्य अतिथि के रूप में पधारे विशिष्ठजनों द्वारा ओजस्वी वाणी के साथ प्रस्तुत किया गया। सुप्रसिद्ध गायिका सुरुचि मोहता ने अपनी सुमधुर स्वर में राम सीता की सुंदर गीत गाकर कार्यक्रम में उपस्थित अतिथियों को भाव विभोर कर दिया।
हिमाचल प्रदेश से पधारी प्रोफेसर सपना चंदेल ने कहा कि हिमाचल में पहाड़ी लोक गाथा के रूप में रामायण सुना जाता है। निरंतर शोध का विषय रहा है। पहाड़ी जीवन में रामायण और राम अभिन्न है और राम और उनका कुटुंब देव रूप में पूजे जाते हैं। कार्यक्रम में शशि पांडेय ने सुंदर कविता के साथ राम की स्तुति की। इस आयोजन में सनातन संस्कृति और राम के नाम को आगे रखा गया।
अंजुम बाराबंकी ने दशरथनंदन श्री राम पर शेर सुनाकर कार्यक्रम में शमां बांध दिया।
डॉ. महताब आलम ने राम का गुणगान करते हुए कुछ अल्फाज सुनाया और तालियां बटोरी। तो वहीं रविंद्र शुक्ल ने आव्हान गीत सुनाते हुए सभी वीर पुरुषों और भारतवर्ष का गुणगान गाया। कवि दीक्षित दनकौरी ने गजल पेश किया जो कि हास्यरस और व्यंग्यात्मक था।
बिहार की निहारिका छबि ने रामचंद्र की सुंदर चरित्र को अभिव्यक्त करते हुए कहा कि वे सर्वव्याप्त हैं। वहीं श्रद्धा पृथ्वीराज जिंदल ने भी मंच पर कविता पाठ किया।
आईपीएस कृष्ण प्रकाश और करुणाशंकर उपाध्याय ने गरिमापूर्ण मंच संचालन किया। बुद्धिनाथ मिश्र ने कई रस में सुंदर कविताओं का पाठ कर अतिथियों का मन मोह लिया।
विशिष्ट अतिथि शीतला प्रसाद दुबे ने समापन सत्र में अपनी बात रखते हुए कहा कि मुझे महाराष्ट्र राज्य हिंदी साहित्य अकादमी के प्रतिनिधि के रूप में आमंत्रित किया गया। मुंबई में अचार संहिता के कारण यह कार्यक्रम का ओज फीका रहा। लेकिन प्रभु श्रीराम के आशीर्वाद से देश के सभी दिग्गज साहित्यकारों की इस तीन दिवसीय कार्यक्रम में उपस्थिति रही।
मुंबई की अपनी संस्कृति है, महाराष्ट्र सनातन राष्ट्र है साथ ही साहित्य प्रेमी राज्य भी है।
रविंद्र शुक्ल ने इस कार्यक्रम के सहयोगियों का आभार प्रकट किया और कहा कि हिन्दी साहित्य भारती का अवतरण साहित्य का सम्पूर्ण राष्ट्र में विजय पताका फहराने के लिए हुआ है। राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ जो चाहेगा वही होगा। संघ मानवता के हित, सनातन संस्कृति को अमर रखने के लिए है।
राम भारत की आत्मा है। वे हमारे आदर्श हैं और मर्यादा का प्रतिरूप हैं। हम उनका अनुसरण करते हैं। भारत सबका मार्गदर्शन करेगा। भारत देश का दार्शनिक परंपरा सबको प्रभावित करेगा।
शाश्वंत गिरी महाराज ने अपना आशीर्वचन देते हुए कहा कि मनुष्य होना अपने आप में एक दायित्व है। मनुष्यता का आनंद लेना चाहिए। हम सदैव प्रबुद्ध रहना चाहते हैं, आनंदित रहना चाहते हैं। हमारे अंदर समाहित राम हैं। हमें राम में रमना चाहिए और मूल्यजीवी बनना चाहिए। कोई अकेला नहीं है लेकिन सभी अकेले हैं। हमें देखना है कि श्रृष्टि को कैसे सुरक्षित रखना है।
सनातन की रक्षा विश्व को बचाने के लिए करना है। सत्य, धर्म, नीति से अनुमोदित होना चाहिए यही हमारे मूल्य हैं जिसे हमें बचाकर रखना है। मूल्यजीवी बनकर हमें हानि लाभ की परवाह नहीं करना है, मूल्यों की बात आए वहां हमें लोभ से बचना चाहिए। धर्म और राष्ट्र की रक्षा में अपना सर्वोच्च न्यौछावर करना है। यही राम में उतरने के सूत्र है।
कार्यक्रम के अंत में नम्रता तिवारी तालुकदार ने भरतनाट्यम की प्रस्तुति दीं।
इस तीन दिवसीय दिव्य कार्यक्रम में महामण्डलेश्वर स्वामी डॉ. शाश्वतानंद गिरि महाराज (सदस्य परामर्श मंडल, हिंदी साहित्य भारती), बी. आर. शंकरानंद (अखिल भारतीय संगठन मंत्री, भारतीय शिक्षण मंडल), डॉ. रवींद्र शुक्ल (अंतरराष्ट्रीय अध्यक्ष, हिंदी साहित्य भारती और पूर्व शिक्षा मंत्री, उत्तरप्रदेश), डॉ. रवींद्र कुलकर्णी (कुलगुरु, मुंबई विश्वविद्यालय), डॉ. उज्ज्वला चक्रदेव (कुलगुरु, श्रीमती नाथीबाई दामोदर ठाकरसी महिला विश्वविद्यालय, मुंबई), मिलिंद परांडे, वीरेंद्र याज्ञिक, अखिलेन्द्र मिश्र (अभिनेता), आशुतोष राणा (अभिनेता), डॉ. सचिन गपाट, डॉ. अखिलेश गुमास्ता, डॉ. श्वेता दीप्ति (नेपाल), डॉ. विनोद मिश्र (अध्यक्ष हिंदी विभाग, त्रिपुरा विश्वविद्यालय), बालाजी (श्रीलंका), शरीन नाओमी (बांग्लादेश), जनरल बक्शी, प्रमोद शाह 'नफीस', प्रदीप किराडू, पंडित संजीव चिम्मलगी, केरल के राज्यपाल आरिफ मुहम्मद, मनोज मुंतसिर (गीतकार), डॉ. राजीव शर्मा, श्यामशंकर उपाध्याय, पुनीत चतुर्वेदी (अधिवक्ता), डॉ. राम अवतार शर्मा (अधिवक्ता, सर्वोच्च न्यायालय भारत), डॉ. दिनेश पाठक, अनुराग श्रीवास्तव (कला इतिहासकार), डॉ. आनंद प्रकाश त्रिपाठी, डॉ. मधुलता बारा, डॉ. गीता पांडेय, डॉ. राकेश दुबे, डॉ. करुणाशंकर उपाध्याय, कुशल गोपालका, अर्जुन नारायण, डॉ. नीलम सक्सेना, डॉ. रेनू मिश्रा, डॉ. अपर्णा प्रधान, अनूप जालान, पूर्ण पारीख, अर्चन अर्चना जैन (राजनांदगांव, छत्तीसगढ़) सुनील जोशी (पुणे), डॉ. पूर्णिमा कुलकर्णी, अभिनेता सुनील लहरी, संदीप सोपारकर, शिवसागर (रामानंद सागर के प्रपौत्र), फणीन्द्र कुमार, डॉ. अपर्णा प्रधान, रितु भटनागर, विनीत कुमार (खादी ग्रामोद्योग), रवीन्द्र कुमार गोयल (वरिष्ठ अधिकारी, भारतीय रेल), आशीष पानसे, निलेश ओती, डॉ. चंचल सरीन (पूर्व प्रोफेसर, दिल्ली विश्वविद्यालय), विष्णु तिवारी, डॉ. ख्याति खोडा (प्रोफेसर, वेलिंगटन कालेज, पुणे), डॉ. अरुण सज्जन (अध्यक्ष हिंदी साहित्य भारती, झारखंड), डॉ. सपना चंदेल (हिमाचल प्रदेश), डॉ. प्रेमलता देवी (गुजरात केंद्रीय विश्वविद्यालय, गांधीनगर), नाजनीन बानू (आई.ए.एस.), कृष्ण प्रकाश (आई.पी.एस. अपर पुलिस महानिदेशक, महाराष्ट्र), जागृति नंदा, डॉ. निधि चौधरी (आई.एस.एस.), श्रीमती श्वेता सिंघल (आई.एस.एस., सचिव राज्यपाल, महाराष्ट्र), डॉ. रमा प्राचार्य (हंसराज कॉलेज, नई दिल्ली, अध्यक्ष हिंदी साहित्य भारती दिल्ली), डॉ. सुरुचि मोहता (प्रख्यात गायिका), डॉ. बुद्धिनाथ मिश्र (गीतकार), दीक्षित दनकौरी (गजलकार), डॉ. शशि पांडेय (कवयित्री), निहारिका छबि (संयुक्त आयुक्त), विशिष्ट अतिथि श्रद्धा पृथ्वीराज जिंदल (संयुक्त प्रबंध निदेशक, जिंदल), विशिष्ट अतिथि डॉ. शीतला प्रसाद दुबे (कार्यकारी अध्यक्ष, महाराष्ट्र राज्य हिंदी साहित्य अकादमी), पद्मश्री डॉ. विष्णु पंड्या (उपाध्यक्ष हिंदी साहित्य भारती), डॉ. दर्शन पाण्डेय (प्रोफेसर, हिंदी विभाग, शिवाजी कॉलेज, दिल्ली विश्वविद्यालय) मंच पर सुशोभित रहे और प्रभु राम एवं रामायण पर अपने विचार रखे, कविता पाठ किए और सुंदर मनभावन गीत गाये।
- संतोष साहू
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