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मुंबई। बीती रात चार बंगला गुरुद्वारा साहिब में भव्य नगर कीर्तन का आयोजन किया गया, जिसमें 5,000 से अधिक श्रद्धालुओं ने पूरे श्रद्धा और उत्साह के साथ भाग लिया। नगर कीर्तन का शुभारंभ लोखंडवाला बैक रोड से हुआ और कीर्तन यात्रा का समापन चार बंगला गुरुद्वारा साहिब में हुआ। पूरे मार्ग में “वाहेगुरु जी का खालसा, वाहेगुरु जी की फतेह” के जयकारों से वातावरण गूंज उठा।

यात्रा के दौरान रास्ते में जगह-जगह सेवा के स्टॉल लगाए गए, जहाँ श्रद्धालुओं और राहगीरों के लिए पानी, चाय, जूस, मिठाई और अन्य प्रसाद की व्यवस्था की गई थी। सेवा भावना से ओतप्रोत यह दृश्य पूरे आयोजन की पहचान बन गया।

गुरुद्वारा साहिब पहुँचने पर पूरे परिसर को 500 किलो फूलों से सजाया गया था, जिससे स्थल का सौंदर्य और भक्ति भाव दोनों दोगुना हो गया। संगत ने इस भव्य सजावट के बीच कीर्तन में भाग लिया और गुरुवाणी से वातावरण को और भी पवित्र बना दिया।

गुरुद्वारे पर पहुँचने के बाद शानदार आतिशबाज़ी का आयोजन किया गया, जिसने रात के आसमान को रोशन कर दिया। वहीं, निहंग सिखों द्वारा प्रस्तुत पारंपरिक गतका कला का प्रदर्शन आयोजन का प्रमुख आकर्षण रहा। तलवारबाज़ी और संतुलन की इस अनूठी कला को देखकर संगत ने ज़ोरदार जयकारे लगाए।

नगर कीर्तन के उपरांत लंगर सेवा का आयोजन किया गया, जहाँ हज़ारों श्रद्धालुओं ने प्रसाद ग्रहण किया। देर रात गुरुद्वारे में अखंड पाठ साहिब की शुरुआत हुई, जिसने पूरे परिसर को शांति, भक्ति और अध्यात्म की भावना से भर दिया।

इस पूरे आयोजन का संचालन चार बंगला गुरुद्वारा साहिब के अध्यक्ष सरदार जसपाल सिंह सूरी और मनिंदर सिंह सूरी के नेतृत्व में किया गया। उनके मार्गदर्शन में यह नगर कीर्तन शांति, सेवा और एकता का अद्भुत प्रतीक बनकर सामने आया।

यह आयोजन गुरु नानक देव जी के प्रकाश पर्व के उपलक्ष्य में संपन्न हुआ। इस अवसर पर सिख समुदाय गुरु नानक देव जी के जीवन और शिक्षाओं को स्मरण करता है, जिनमें समानता, प्रेम, सेवा और भाईचारे का संदेश निहित है।

नगर कीर्तन में धार्मिक झांकियों और पवित्र ग्रंथ साहिब की शोभायात्रा के साथ-साथ, गुरु नानक देव जी के जीवन से जुड़े प्रेरक प्रसंगों का भी प्रदर्शन किया गया।

यह नगर कीर्तन न केवल भक्ति और समर्पण का प्रतीक रहा, बल्कि इसने समाज में एकता, प्रेम और मानवता के संदेश को भी सशक्त रूप से प्रसारित किया।

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