मुंबई। ओम त्रिनेत्र फिल्म्स और आर्टवर्स स्टूडियोज के द्वारा मुंबई में पाँचसितारा होटेल में 'धागा' की स्पेशल स्क्रीनिंग और 'एक्सीडेंट ऑर कॉन्सपिरेसी गोधरा' का टीज़र लॉन्च किया गया। इस अवसर पर फिल्म के निर्माता बी जे पुरोहित, निर्देशक एम के शिवाक्ष, अभिनेत्री अक्षिता नामदेव सहित कई बॉलीवुड के अतिथि उपस्थित रहे। शॉर्ट फिल्म 'धागा' भाई बहन के रिश्ते के साथ ही मानसिक बीमार के साथ किए जाने वाले दुर्व्यवहार की एक बेहद ज़रूरी बात करती है तो साथ ही फिल्म में खूबसूरत अभिनय और निर्देशन के साथ एक भावनात्मक कहानी को पर्दे पर प्रस्तुत करती है। धागा को जल्द ही हॉटस्टार डिज्नी पर रिलीज किया जाएगा।
बॉलीवुड में पिछले कुछ समय से रियल लाइफ कहानी पर नया सिनेमा बन रहा है जिस पर कभी फिल्ममेकर बात तक नहीं करते थे। 'द कश्मीर फाइल्स' हो हालिया रिलीज़ 'द केरला स्टोरी' जैसी सत्य घटनाओं पर फिल्मकारों ने साहस के साथ फिल्में बनाई और दर्शकों ने पसंद भी किया। अब युवा निर्देशक एम के शिवाक्ष भी एक ऐसे ही सत्य घटना पर फ़िल्म बना रहे हैं जिसने पिछले दो दशक में देश की राजनीति की बिसात बदल दी। निर्माता बी जे पुरोहित की फिल्म 'एक्सीडेंट ऑर कॉन्सपिरेसी गोधरा' एक ऐसी ही फिल्म है जो गोधरा में हुए दंगे की पृष्ठभूमि की परतों को दिखाएगी।
फिल्म का अनाउंसमेंट टीज़र लॉन्च के साथ किया गया। सबसे ख़ास बात टीज़र में यह है कि फिल्म किसी फिक्शन पर आधारित नहीं है या किसी तरह की प्रोपेगेंडा फिल्म नहीं है बल्कि गोधरा कांड की जाँच के लिए गठित की गयी नानावटी जाँच आयोग की जारी की गयी रिपोर्ट पर आधारित है। साथ ही निर्माता यह बताना चाहते हैं कि सच्चाई क्या थी ? गोधरा में हुए ट्रेन अग्निकांड की कोई बैक स्टोरी थी ? क्या एक ही दिन आवेश में आकर कुछ लोगों ने ट्रेन में आग लगा दी थी या फिर यह एक पूर्व नियोजित साजिश थी ?
निर्माता बी जे पुरोहित बताते हैं कि लोग गोधरा कांड को 2002 में हुए हिन्दू और मुस्लिम दंगे के रूप में जानते हैं। जबकि हिन्दू मुस्लिम दंगो को पोस्ट गोधरा के अंतर्गत देखा जाता है, तो गोधरा कांड क्या है ? क्या है प्री गोधरा ? पोस्ट गोधरा को लोग प्री गोधरा क्यों समझते हैं ? ऐसा कौन सा सच है जिसे गुजरात दंगों तले दबाया गया हैं ? ऐसा करने के पीछे किस प्रकार की मानसिकता निहित है ? और गोधरा कांड की सच्चाई को लोगों के सामने दुर्घटना या त्वरित झगड़ा साबित करके क्या छुपाया जाता हैं ? इस कांड में मारे गए 59 लोगों की वेदना जनमानस तक क्यों नही पहुँचने दिया गया ? यह फिल्म इन्ही सवालों के जवाब देते हुए 27 फरवरी 2002 को गोधरा स्टेशन पर जो घटित हुआ, उसके पीछे की नियोजित साज़िश पर प्रकाश डालती है। फिल्म नानावटी शाह मेहता कमीशन के माध्यम से इस घटना के हर पहलू पर विचार करती है। कमीशन की कार्यवाही में जो तथ्य और जानकारियां सामने आई, उन्हें सिनेमा के माध्यम से दर्शको के सामने रखती है।
साथ ही फिल्म यह भी समझाती है कि गोधरा कांड हिन्दुओं को आतंकित करने और अन्य राजद्रोह गतिविधियों का जवाब देने के लिए की गई थी। इसे इंटरनेट और मीडिया ने किस प्रकार तोड़ मरोड़कर जनता के सामने रखा है, उससे परदा उठाती है।
निर्देशक एम के शिवाक्ष बताते हैं कि 'एक्सीडेंट ऑर कॉन्सपिरेसी गोधरा' फिल्म पर हम पिछले पांच वर्ष से कार्य कर रहे हैं। यह इसलिए बताना चाहते हैं कि इन वर्षों में रिसर्च में बहुत हार्ड वर्क किया गया है इसीलिए इस फिल्म को हम आज बना रहे हैं। यह कहना गलत होगा कि ट्रेन पर हुए हमले की योजना पूर्व निर्धारित थी या नहीं, अगर पूर्व निर्धारित थी तो वह किस स्तर पर की गई, इन सवालों के जवाब उसे मिलते हैं। वह अपनी रिसर्च पूरी कर यूनिवर्सिटी पहुँचता है, उसके बाद वह अपनी मानसिकता के माध्यम से गोधरा कांड की सूचनाओं को किस प्रकार सभी के सामने रखता है, यह फिल्म है 'एक्सीडेंट ऑर कोंसिपेंसी गोधरा'।
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