मुम्बई (संतोष साहू)। अखिल भारतीय अग्निशिखा मंच का गणतंत्र दिवस पर कवि सम्मेलन व सम्मान समारोह सम्पन्न हुआ। उसी अवसर पर मंच की अध्यक्ष अलका पाण्डेय ने बताया कि 2022 नववर्ष में कोरोना ने पीछा नहीं छोड़ा है। लोग अभी भी संघर्षरत हैं परन्तु 26 जनवरी के उपलक्ष्य में ऑनलाइन ही सही उत्सव तो मनाना है।
गणतंत्र दिवस के उपलक्ष्य में देशभक्ति के रंग में डूबा कवि सम्मेलन शहीदों को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए माँ शारदे की स्तुति के साथ शुभारंभ हुआ।
इस ऑनलाइन कार्यक्रम का मंच संचालन अलका पाण्डेय, शोभारानी तिवारी और सुरेन्द्र हरड़ें ने किया। वहीं समारोह अध्यक्ष राम रॉय
मुख्य अतिथि रमेश मखरीया, विशेष अतिथि आशा जाकड, संतोष साहू, जनार्दन सिंह, शिवपूजन पांडेय, कुँवर वीर सिंह मार्तण्ड का स्वागत किया वैष्णो खत्री ने किया। कार्यक्रम में सभी कवियों ने शानदार कविताओं की प्रस्तुति की।
काव्य पाठ करने वाले कवियों में अलका पाण्डेय, अजयपाल, रजनी वर्मा, देवी दीन अविनाशी, हेमा जैन, रानी अग्रवाल, डॉ मीना कुमारी परिहार, नीरजा ठाकुर, वीना अचतानी, वैष्णो खत्री, चंदा जांगी,
ओम प्रकाश पांडेय, सुषमा शुक्ल, शोभा रानी तिवारी, अनिता झा, पुष्पा गुप्ता, वीणा आडवानी 'तन्वी', रविशंकर कोलते, बृज किशोरी त्रिपाठी, रागिनी मित्तल, विजेन्द्र मोहन, सरोज लोडाया, सुरेन्द्र हरड़ें, चंदा डागी, कुमकुम वेद, डॉ अंजुल कंसल, वीना अचतानी, वंदना शर्मा, आशा नायडू, मीना त्रिपाठी, रामेश्वर प्रसाद गुप्ता, पद्माक्षी शुक्ल, सरोज दुगड, निहारिका झा, अंजली तिवारी, सुनीता अग्रवाल, रानी नारंग, ऊषा पांडेय, डॉ महताब अहमद आज़ाद, जनार्दन शर्मा का नाम प्रमुख है। सभी कवियों को सम्मान पत्र देकर स्वागत किया गया।
अंत में अलका पाण्डेय ने सभी को धन्यवाद दिया और कहा कि संकट की घड़ी टल जायेगी हम सब जल्दी ही मिलेंगे।
प्रस्तुत है कुछ कवियों के विचार
राष्ट्र प्रेम
वंदे मातरम वंदे मातरम
आजादी के दीवाने दिल से बोलो वंदे मातरम वंदे मातरम।।
आजादी के ये दीवाने
सर पर कफ़न बाँध चले मस्ताने
डटे रहे चट्टानों से हिम्मत न छोड़े
दुश्मनो को ललकारे साहस न तोड़े
आजादी के परवानों ने दी है क़ुर्बानीयां
हँसते हँसते खा गये सिने पर गोलियाँ
देश की शान पर करते हैं अभिमान
राष्ट्र गान से गूंजता है सारा आसमान
वंदे मातरम वंदे मातरम
देश के जवानों से महफूज़ है हर गलियां
महफ़ूज़ है हर घर गाँव हर की बेटियाँ
देश की माटी से प्रेम कर जान लुटाते
तिरंगे की रक्षा करते आँच न आने देते
जब जब संकट के बादल देश पर छाये
मातृभूमि की रक्षा करने सीना ताने आये
वंदे मातरम वंदे मातरम
अधरो पर है राष्ट्रगीत सीने में तूफ़ान लिये
कदम दर कदम बढ़ाते दुश्मन की ललकार लिये
दिल में ज्वाला देश प्रेम की मातृभूमि को आज़ाद कराये
बाजूओं ने थामी बंदूकें, दुश्मनो को मार गिरायें
दिल से बोले वंदे मातरम वंदे मातरम
- डॉ अलका पाण्डेय
शहीदों के त्याग समर्पण को, यूं बदनाम ना होने दो, बूंद बूंद खून बहा है उनका, उसे पानी मत होने दो। गांधीजी का सपना है, तभी तो भारत देश अपना है
- आशा लता नायडू
भारत का गणतंत्र विशाल हमारा
फहरे सदा तिरंगा प्यारा प्यारा
हिंदुस्तान के कण कण में गूंजे
वंदे मातरम का सुंदर नारा
- सुरेंद्र हरडे, नागपुर
संविधान आज़ादी वाला इस दिन आया भारत में रहने वालों का
इससे गहरा नाता, संविधान को पढ़कर मानवता को जाने अधिकारों के साथ जुड़े कर्तव्यों को पहचानें
- वीना अचतानी, जोधपुर
बडा़ बलिदान दिया वीरों ने
तब अमृत चखा आजादी का
भगत सिंह, राजगुरु, सुखदेव
हवन बने आजादी का
नेता सुभाष, गाँधी, नेहरु ने विगुल फूँका आजादी का
भारत के जन जन मे हूँक उठी आजादी का
- बृजकिशोरी त्रिपाठी, गोरखपुर यूपी
ए वतन ए वतन हमको तेरी कसम
इस तिरंगे को अब झुकने देंगे नहीं
आएं कैसी भी मुश्किल भरी राहें
खुद का हौसला टूटने देंगे नहीं
ए वतन ए वतन
चाहे चीन हो या पाकिस्तान हो
उनका मकसद पूरा होने देंगे नहीं
सर कटा लेंगे हम जान दे देंगे हम
तिरंगे पर नज़र बुरी रखने देंगे नहीं
ए वतन ए वतन
- रानी नारंग
देशभक्ति अटल जी की तरह होनी चाहिये, मेरा भारत आपदाओं से मुक्त महान होना चाहिए, भय भूख बाधाओं से मुक्त आभाओं से चमकृत होना चाहिए, मैं रहूँ ना रहूँ मेरा भारत महान होना चाहिये, देशभक्ति की भावना प्रचुर होनी चाहिये
- अनिता झा
कला संस्कृति व साहित्य का भण्डार माना जाता है
ममता का आभास इसका कण-कण, हमें दिलाता है
ऋषियों-मुनियों की यह भूमि, इस पर वारी जाती हूँ।
इसकी गोद में है माँ की लोरी, इस पर वारी जाती हूँ।
- वैष्णो खत्री वेदिका
मेरे दिल का पूरा यह अरमान हो
प्यारा तिरंगा ही मेरे कफन की शान हो
- डॉ महताब अहमद आज़ाद, यूपी
मैं हूँ भारतवासी, अभिमान से ये बतलाती हूँ
मेरे देश की गौरव गाथा
सबको शान से बतलाती हूँ
- हेमा जैन
गणतंत्र दिवस का है अवसर,
हिस्सा लें इसमें बढ़ चढ़ कर,
निकाल के अपने सारे डर,
बढ़ते चले जीवन पथ पर,
इस पावन दिन ये ध्यान करें,
संविधान का सब सम्मान करें,
- जनार्दन शर्मा
जवान की शहादत -
जवान तुझे सलाम
छोड़ घर निकले भारत माँ की सेवा करने
पत्नी को छोड़ अकेला बंदूक को गले लगाया
शहीदों की शहादत से ही
आज हमने गणतंत्र दिवस मनाया
- चन्दा डांगी, रेकी ग्रैंडमास्टर मंदसौर मध्यप्रदेश
अलबेलों का, मस्तानों का,
इस देश का यारों क्या कहना,
ये देश है दुनिया का गहना।
- रानी अग्रवाल, मुंबई।
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