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मुंबई : लॉकडाउन के बाद भारत का स्टार्टअप ईकोसिस्टम फिर एक बार ऊंची उड़ान भरने को तैयार हैं। इस बात का खुलासा ‘कोविड-19 एंड द एंटीफ्रैजालिटी ऑफ इंडियन स्टार्टअप इकोसिस्टम’ नामक रिपोर्ट से हुआ है। ग्लोबल टाई नेटवर्क के सबसे बेहतरीन अध्यायों में से एक टाई दिल्ली-एनसीआर ने ग्लोबल मैनेजमेंट व स्ट्रैट्जी कंसल्टिंग फर्म जिनोव के साथ साझेदारी में यह रिपोर्ट जारी की है।  

कोविड-19 ने स्टार्टअप ईकोसिस्टम को विभिन्न आयामों में नुकसान पहुंचाया और मार्च से लेकर जून 2020 में हुए लॉकडाउन ने इसे खासा प्रभावित किया। खैर, अर्थव्यवस्था शुरू हुई और मांग व निवेशकों के माहौल दोनो में उम्मीद से ज्यादा रफ्तार से सुधार देखने को मिला है। 75 फीसदी स्टार्टअप की हालत धीरे-धीरे ही सही पर स्थायी रूप से लॉकडाउन के बाद बेहतर हो रही है। करीब 30 फीसदी स्टार्टअप ने कमाई के वैकल्पिक रास्ते खोजने के लिए नए बाजार का रुख किया है, जबकि 55 फीसदी स्टार्टअप लागत को कम करते हुए ज्यादा से ज्यादा मुनाफे पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं।

टाई दिल्ली-एनसीआर के अध्यक्ष रंजन आनंदन ने कहा कि “चूंकि भारतीय स्टार्टअप ईकोसिस्टम में लाकडाउन का त्वरित प्रभाव काफी गहरा था, इसलिए हम यह देखकर चकित है कि कितनी तेजी से भारतीय संस्थापकों ने नए तरीके से अपने बिज़नेस में बदलाव किए हैं। इसमें सबसे ज्यादा प्रभावशाली बात यह थी कि किस प्रकार ज्यादातर स्टार्टअप ने अपनी लागत को कम करते हुए आर्थिक स्थिति को तेजी से मजबूत किया। डिजिटली आधारित सेगमेंट में किसी भी अन्य की अपेक्षा कहीं तेजी से सुधार देखने को मिला है और यह कोविड-19 के पहले के दौर से भी आगे है। निवेश में तेजी से सुधार देखने को मिला है और हमें उम्मीद है कि भारतीय यूनिकॉर्न में 2020 और 2021 में निरंतर बढ़ोतरी देखने को मिलेगी। हालांकि कोविड-19 ईकोसिस्टम के लिए बड़ा झटका रहा है और हमें विश्वास है कि महामारी से हुए बदलावों से हमारे सिस्टम को सभी आयामों में मजबूत बनाने में मदद मिलेगी। भारत 2025 तक 100 यूनिकॉर्न हासिल करने के रास्ते पर है।

इस रिपोर्ट में फंडिंग, एम एंड ए, सेक्टर पर प्रभाव, आंत्रप्रेन्योर और निवेशकों की सोच और बाजार के बदलते माहौल जैसे विभिन्न आयामों के अध्ययन से भारतीय स्टार्टअप ईकोसिस्टम में कोविड-19 के प्रभाव को समझाया गया है। साथ ही रिपोर्ट यह भी बताती है कि आंत्रप्रेन्योर द्वारा कोविड-19 के प्रभाव को कम करने के लिए बिज़नेस मॉडल को नया रूप देने हेतु क्या कदम उठाए गए। ईकोसिस्टम में सुधार के लिए बताए गए कारकों में एम एंड ए गतिविधियों में बढ़ोतरी और अंतिम समय में सीड फंडिंग में बढ़ोतरी शामिल है।

सितंबर 2020 की तिमाही के अंत तक कुल निवेश और स्टार्टअप में निजी निवेश, दोनों ही मामलों में स्थिति कोविड-19 के पहले के दौर पर पहुंच गई है। रोचक बात यह है कि चार भारतीय स्टार्टअप कोविड-19 के दौर में यूनिकॉर्न बनकर उभरे हैं और भारत 2020 के अंत तक 8 यूनिकॉर्न हासिल करने की कगार पर है। यह संख्या लगभग 2019 के बराबर है। इसके अलावा 2020 के अंत तक भारतीय स्टार्टअप ईकोसिस्टम से 7-7.5 लाख प्रत्यक्ष और 26 से 28 लाख अप्रत्यक्ष रोजगार मिलने की संभावना है, जो सुधार की स्थिति को और मजबूत बनाता है।

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