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कोरोना वैश्विक महामारी होने के साथ साथ अब देश और समाज के लिए महाआपदा बनती जा रही है। कारोना में लॉकडाउन की वजह से लोगों के रोजगार छूट गए हैं। शासकीय कर्मचारियों को वेतन प्राप्त हो रहा है परंतु अधिकांश कामगार, गैर शासकीय संस्था में कार्यरत, स्वयं व्यवसायियों और कृषक का रोजगार छूट जाने से आर्थिक विपन्नता का सामना करना पड़ रहा है। ऐसे में कई लोगों को भुखमरी का सामना करना पड़ रहा है। सरकार आर्थिक मदद कर रही है परंतु वह सभी लोगों तक नहीं पहुंच पा रही है।
  ऐसी स्थिति में सुधा साहित्य सामाजिक संस्था ने लोगों की आर्थिक मदद हेतु एक सूक्ष्म योगदान दिया है। संस्था की अध्यक्षा रजनी साहू ने संस्था की तरफ से पनवेल में स्थित हुतात्मा नगर के आदिवासी क्षेत्रों में राशन सामग्री का वितरण करवाया। रजनी ने आर्ट ऑफ लिविंग के साथ मिलकर सहयोग राशि भी जरूरतमंदों तक पहुंचायी है। रजनी साहू ने निजी तौर पर भी जरूरतमंद लोगों की सहायता के लिये धनराशि और राशन सामग्री दान दी है। वह कोरोना के कारण लोगों के मन में उत्पन्न भय, तनाव और उन्माद को दूर करने के लिए और रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लिए आर्ट ऑफ लिविंग की ध्यान की कार्यशाला में सतत सक्रिय होकर लोगों को जागरूक कर रही है। साथ ही 'सुधा साहित्य मीमांसा' के पटल पर साहित्यिक गतिविधियों में विभिन्न विधाओं की कार्यशाला, वैश्विक संकट की परिस्थितियों से जुड़े लेख और कविताएँ, वेद -उपनिषदों के महत्वपूर्ण ज्ञान बिंदुओं पर भी चर्चाएं हो रही है। लोगों के अंदर धैर्य, संयम और परिस्थितियों से सामना करने का सामर्थ्य ध्यान के द्वारा आता है। अतः संस्था की तरफ से ध्यान, योग, प्राणायाम के महत्वों की जानकारी दी जा रही है। 
 रजनी साहू ने कहा कि 'यह संस्था उनकी माताश्री स्वर्गीय सुधा साहू की प्रेरणा और आशीर्वाद से उन्हीं की स्मृति में बनाई गई है। यह नवीन संस्था है इस कारण अपनी अपेक्षा से कम धनराशि ही दान कर पायी जिसका मुझे खेद है। मेरे साथ 'सुधा साहित्य सामाजिक संस्था' सदैव देशहित और समाजहित कार्यों में अग्रसर रहेगी। साथ ही समाज, साहित्य, आध्यात्म और लोककल्याण के उन्नयन और प्रसार में प्रयत्नरत रहेगी। इस कार्य में मेरे पति छत्रसाल जी, बच्चों और परिवार ने पूर्ण सहयोग दिया। साथ ही संस्था के सदस्यों ने भी अपना पूर्ण सहयोग दिया। वर्तमान समय में कारोना वैश्विक संकट से उत्पन्न समस्याओं से उबारने के लिए समस्त सामाजिक संस्थाओं को सबसे महत्वपूर्ण भूमिका निभाने का समय आ गया है।
हे सार्वभौमिक सत्ता ! इस संक्रमण से मानव को उबारिये।'

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