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जन्मजात हाइपो-पैरा-थायरायडिज्म के इलाज के लिए किया विशेष तकनीक का उपयोग

मुंबई :- अपोलो हॉस्पिटल्स, नवी मुंबई की स्पेशलिस्ट सर्जन्स टीम ने दुर्लभ जन्मजात बीमारी से पीड़ित नौ महीने के बच्चे पर जटिल ऑपरेशन करने में सफलता हासिल की है। इस बच्चे को जन्म से ही सुस्ती, चिड़चिड़ापन और असक्रियता की शिकायतें थी, अधिक जांच के बाद उसमें नवजात शिशुओं में पायी जाने वाली गंभीर हाइपोपरैथायरोडिज्म यह पैराथायरॉइड ग्रंथियों की दुर्लभ आनुवंशिक बीमारी का निदान किया गया। इस विकार की वजह से शरीर में कैल्शियम के स्तर का विनियमन ठीक तरह से नहीं हो पाता। ऑन्कोलॉजी निदेशक, थायरॉइड और पैराथायरॉइड, सिर और गर्दन के कैंसर की सर्जरीज के विशेषज्ञ डॉ अनिल के डिक्रूज़ ने अन्य विशेषज्ञों की टीम के साथ मिलकर इस बच्चे पर जटिल शस्त्रक्रिया सफलतापूर्वक की है। अब इस बच्चे की लगातार प्रगति हो रही है, उसका चिड़चिड़ापन कम हुआ है और सक्रियता पहले से ज्यादा है।
अपोलो हॉस्पिटल्स ग्रुप के ऑन्कोलॉजी के निदेशक डॉ अनिल के डिक्रूज़ ने कहा, "नवजात शिशुओं में गंभीर हाइपोपैरथायरायडिज्म एक दुर्लभ और संभावित घातक स्थिति है, पूरी दुनिया में इसके बहुत कम केसेस पाए जाते हैं। जबकि सर्जरी से परिणाम मिलने की आशंका होती है, लेकिन यह बीमारी दुर्लभ होने की वजह से इसका निदान करना चुनौतीपूर्ण होता है। हमें बच्चे को सर्जरी के लिए अनुकूलित करने के लिए चिकित्सा उपचारों से उसके कैल्शियम के स्तर को नीचे लाना भी जरुरी था। बच्चों में पैराथाइरॉइड ग्रंथियों के बहुत ही छोटे आकार, पारभासी रंग, गंभीर और परिवर्तनशील स्थिति के कारण यह सर्जरी जटिल होती है, इन ग्रंथियों का पता लगाना मुश्किल हो जाता है। फिर भी हम असामान्य रूप से ग्रंथियों को हटाने और लंबी अवधि तक अच्छे परिणामों के लिए सुधार करने के लिए पैराथाइराइड के एक छोटे से ऑटो प्रत्यारोपण की एक विशेष तकनीक का उपयोग करने में सफल हुए। बच्चा जैसे जैसे बड़ा होता जाएगा उसकी कैल्शियम रिप्लेसमेंट पर निर्भरता कम होने में मदद मिलेगी।
बच्चे के पिता मोहम्मद मुदस्सीर अंसारी ने बताया, "मेरा बेटा कुनैन जब छह महीनों का था, तब उसे बहुत ज्यादा बुखार आया। पहले हमें बताया कि उसे न्यूमोनिया हुआ है और एक प्राइवेट हॉस्पिटल में तीन दिनों तक इलाज के बाद उसे डिस्चार्ज दिया। लेकिन उसके बाद भी उसकी तबियत में सुधार नहीं हो पा रहा था, इसलिए हमने उसका ब्लड टेस्ट करवाया तो डॉक्टरों ने देखा कि उसके शरीर में कैल्शियम बढ़ चूका है और उसके बाद उन्होंने पाया कि उसे पैराथायरॉइडज्म/हाइपरकॅल्शिमिया हुआ है। हमें उसकी सर्जरी करवाने का सुझाव दिया गया, इसलिए  हम यहां नवी मुंबई के अपोलो हॉस्पिटल्स में आए। सर्जरी के बाद कुनैन की तबियत में लगातार सुधार हो रहे हैं। अपोलो हॉस्पिटल्स ने लॉकडाउन के दौरान भी अपनी सेवाएं जारी रखी हैं इसलिए मैं उनका आभारी हूं।
पैराथायराइड शरीर में कैल्शियम के स्तर को नियंत्रित करता है। जब शरीर में कैल्शियम कम होता है, तो पैराथाइराइड से पैराथर्मोन (पीटीएच) स्रावित करता है जो शरीर की हड्डियों से कैल्शियम को इकट्ठा करता है, आंतों से अवशोषण बढ़ाता है और कैल्शियम के स्तर को बनाए रखने के लिए गुर्दे से उत्सर्जन को रोकता है। जब कैल्शियम का स्तर सामान्य हो जाता है तब एक सामान्य प्रतिक्रिया तंत्र पीटीएच स्राव को रोकता है। हालांकि, दुर्लभ मामलों जैसे कि शिशुओं में गंभीर हाइपोपरैथायराइडिज्म में, एकल जीन में एक दोष इस प्रतिक्रिया तंत्र को समाप्त कर देता है, जिसके परिणामस्वरूप कैल्शियम और पीटीएच का स्तर बहुत बढ़ जाता है।
असामान्य ग्रंथियों को हटाने के लिए सर्जरी की आवश्यकता होती है, यह सर्जरी नवजात शिशुओं में तकनीकी रूप से चुनौतीपूर्ण और जोखिम भरी होती है। पैराथायराइड का पता लगाना मुश्किल होता है क्योंकि यह गर्दन में कंठनली की नसों के पास होती है, यह नसें हमारे एक बाल जितनी नाजुक होती हैं, अगर इनको कुछ नुकसान हुआ तो उस व्यक्ति को जिंदगी भर के लिए अपनी आवाज गवानी पड़ सकती है। सर्जरी के दौरान पैथोलॉजिस्ट द्वारा पुष्टि की गई असामान्य ग्रंथियों को हटाने के बाद, पीटीएच और कैल्शियम का स्तर सामान्य हो जाता है। सर्जरी के तत्काल बाद का समय बहुत ही महत्वपूर्ण और जोखिम भरा होता है इसलिए इस अवधि में आईसीयू निगरानी की आवश्यकता है।
यह बच्चा फिलहाल डॉक्टरों की निगरानी में है और जल्द ही उसे अस्पताल से डिस्चार्ज दिया जाएगा। बच्चे की माँ ने सफल सर्जरी पर ख़ुशी जताते हुए कहा कि उन्होंने बच्चे के जन्म के बाद से नौ महीनों में अपने बच्चे को कभी भी इतना सक्रिय नहीं देखा था।

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