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हाल ही में दिल्ली में विश्व पुस्तक मेला दिल्ली में भावना प्रकाशन के स्टाल पर युवा साहित्यकार पवन तिवारी के कथा संग्रह ‘पेड़ा बाबा की कृपा’ का लोकार्पण वरिष्ठ साहित्यकार हरि जोशी के कर कमलों द्वारा एवं भावना प्रकाशन के नीरज मित्तल, लेखक फ़तेह सिंह भाटी, अलका पाण्डेय, आर के पब्लिकेशन के राम कुमार, अजय बनारसी की गरिमापूर्ण उपस्थिति में हुआ। अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में हरि जोशी ने कहा कि जहां तक मैंने पवन तिवारी को जाना और समझा है। पवन तिवारी एक समर्पित लेखक हैं और इस समय जब हिन्दी में शुद्ध लेखन की बड़ी मारा-मारी है। मैंने उनकी भाषा पढ़ी है। बिल्कुल शुद्ध और अच्छी भाषा लिखते हैं और वे कविता में, गद्य में दोनों विधाओं में कर्मरत हैं, कर्मठ हैं। मुझे उनसे बड़ी आशा है और उन्होंने उन्हें ताकीद भी की कि फ़िल्मी लेखन के मोह से बचे। मुंबई के लेखकों के साथ ऐसा अक्सर होता है और वे भटक जाते हैं। मुझे आशा है पवन तिवारी को बड़ी उम्र में जाकर अपने लेखन से संतोष होगा। यही जीवन की बड़ी उपलब्धि है।
 ज्ञात हो कि पवन तिवारी के अब तक दो कथा संग्रह और एक उपन्यास ‘अठन्नी वाले बाबूजी’ जी प्रकाशित हो चुका है। जिसके लिए उन्हें महाराष्ट्र राज्य का साहित्य अकादमी पुरस्कार भी प्राप्त हो चुका है। उनके पहले कथा संग्रह ‘चवन्नी का मेला’ की एक कहानी पर एक हिन्दी फिल्म भी निर्मित हो रही है। पवन तिवारी मूल रूप से उत्तर प्रदेश के अम्बेडकरनगर जनपद के जहांगीरगंज के अलाउद्दीनपुर गाँव के एक साधारण किसान परिवार रहने वाले हैं। उनके पिता चिंतामणि तिवारी गाँव में ही रहकर खेती करते हैं एवं माता गृहणी हैं। पवन तिवारी ने मुंबई में गत 22 वर्षों से संघर्ष करते हुए कविता, पत्रकारिता एवं साहित्य अपनी एक अलग पहचान बनायी है। वे एक कुशल वक्ता और उत्तम संचालक के रूप में भी ख्यात हैं।

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