फ़िल्म की कहानी चार दोस्तों की है जो बचपन के दोस्त हैं और किसी कारण से बिछड़ गए थे फिर जवानी की दहलीज पर कदम रखते ही संयोगवश वे कॉलेज में मिले और यहीं से उनकी जिंदगी को दिशा मिली । सभी के अपने सपने है , जिसे पूरा करने में सभी जी जान लगा देते हैं साथ ही अपने देश के लिए जान देने की भी जज्बा रखते हैं । मगर अपना सपना पूरा करने की धुन में ये अपनी दोस्ती में ही कड़वाहट का बीज बो देते हैं । अपने वतन के प्रति इनका प्यार वापस इन्हें साथ लाता है और अंत में ये अपनी सच्ची दोस्ती साबित करने में सफल होते हैं ।
कहानी का कॉन्सेप्ट बेहतरीन है पर निर्देशक इसे सही ढंग से प्रस्तुत करने में कामयाब नहीं रहे । फ़िल्म के गाने युवावर्ग को प्रभावित कर सकते हैं ।
सपना पर फिल्माया गीत उनके अन्य गानों की तुलना में कमजोर सिद्ध होता है ।
सपना इस फ़िल्म में सृष्टि चौधरी के किरदार में है जो अपने पिता पर लगे कलंक को मिटाने के लिए कड़ी मेहनत कर पुलीस ऑफिसर बनती है । सपना ने अपना किरदार जीवन्त करने की कोशिश की है लेकिन उनके द्वारा बोला गया हरियाणवी संवाद बेअसर है ।
गौरव (ज़ुबैर खान ), अवनी (अंजू जाधव ), रणबीर ( विक्रांत आनंद) ने अपनी अपनी भूमिका को असरदार बनाने के लिए बढ़िया अभिनय करने की कोशिश की है । निर्देशक हादी अली अबरार ने फ़िल्म में इतने टर्न और ट्विस्ट डाल दिए हैं कि कहानी व्यंग्यात्मक बन गयी है ।
इस फ़िल्म से सपना चौधरी के चाहने वालों को हताशा मिलेगी ।
- गायत्री साहू
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