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अनुष्का शर्मा बतौर निर्माता नए नए प्रयोग करते जा रही है ।
एन एच 10 , फिल्लौरी के बाद परी का भी सब्जेक्ट भिन्नता लिए हुए है ।
बचपन से हम परीकथा सुनते आये हैं , हमें बताया जाता है परियां बेहद सुंदर होती हैं उनके पास जादुई छड़ी होती है । लेकिन इस फिल्म में इफ़रत जिन्न या सीधे शब्दों में कहें तो पिशाच की बेटी को परी के रूप में पेश किया गया है ।
निर्देशक प्रसित रॉय ने परी को हॉरर जोन में दिखाया है ।
फिल्म की कहानी अनसुनी है और बड़ी ही वीभत्स रूप में है जिसकी कल्पना मात्र से भयभीत हो सकते हैं ।
फिल्म में बताया गया है कि कई साल पहले बांग्लादेश में औलाद चक्र के क्रम में इफ़रत जिन्न से गर्भवती बनी नाबालिग लड़कियों के बच्चों को बड़ी दरिंदगी के साथ मार दिया जाता था ।
ऐसा माना जाता था कि इन नाबालिगों के साथ शैतान सम्बन्ध बनाता था और सिर्फ एक महीने में शैतान बच्चा पैदा हो जाता था। इन शैतानी बच्चों को मारने का काम क़यामत आंदोलन के जरिये ढाका के प्रोफेसर क़ासिम अली ( रजत कपूर ) अंजाम देते थे । फिर कई वर्ष बाद कोलकाता में एक युवा अर्नब ( परमब्रता चटर्जी ) से एक नवयुवती जिसका नाम रुखसाना ( अनुष्का शर्मा ) है वह जख्मी हालत में मिलती है और वह अर्नब के घर में पनाह लेती है । असलियत में वह इफ़रत जिन्न की बेटी होती है उसके हृदय में धीरे धीरे प्रेम उत्पन्न हो जाता है फिर एक दिन दोनों में संबंध बन जाता है ।
प्रोफ़ेसर क़ासिम अली से अर्नब को रूखसाना की सच्चाई पता चलता है तो भयवश गर्भवती रूखसाना को प्रोफ़ेसर के हवाले कर देता है । प्रोफ़ेसर निर्ममतापूर्वक रूखसाना को ख़त्म करना चाहता है मगर क्रोधित रूखसाना ही प्रोफ़ेसर को मार डालती है । बच्चा पैदा होते ही रूखसाना भावशून्य से प्रेमभाव में आकर अपना बच्चा अर्नब को सौंपकर प्राण त्याग देती है ।
इंसान अपने कर्म से भगवान और शैतान का रूप धारण करता है ।इंसानों की दुनिया में शैतान भी प्रेमवश किसी के लिए परी साबित होती है ।
परी फिल्म  डरावनी लगती है तो सिर्फ साउंड इफेक्ट के कारण ।
कलाकारों का अभिनय और दृश्यांकन प्लस पॉइंट है ।

- संतोष साहू

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