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विवाहेतर संबंधों की जांच में प्राइवेट डिटेक्टिव एजेंसियों की मांग बढ़ी

मुंबई। मालाड के एक प्रतिष्ठित डॉक्टर दंपत्ति के वैवाहिक जीवन में बढ़ते तनाव और अविश्वास की सच्चाई उजागर करने का काम निजी जासूस डिटेक्टिव प्रिया काकडे ने बखूबी किया। पति ईएनटी विशेषज्ञ और पत्नी डेंटिस्ट — दोनों के बीच छोटी-छोटी बातों से शुरू हुए झगड़े संदेह में बदल गए। पत्नी के देर रात मोबाइल पर सक्रिय रहने और घर की अनदेखी से पति की शंका गहरी होती गई।

विदेश यात्रा के दौरान मां से मिली शिकायतों के बाद पति ने सच्चाई जानने के लिए प्रिया काकडे की स्विफ्ट डिटेक्टिव एंड इन्वेस्टिगेशन एजेंसी की मदद ली। गुप्त जांच में पता चला कि महिला डॉक्टर के दो से अधिक पुरुषों से विवाहेतर संबंध थे, जिसके प्रमाण होटल और लॉज के फुटेज में मिले।

सच सामने आने के बाद दंपत्ति ने सामाजिक प्रतिष्ठा और बच्चों के भविष्य को देखते हुए आपसी सहमति से तलाक लिया। प्रिया काकडे की गोपनीय और पेशेवर जांच से यह परिवार बिना बदनामी के इस कठिन दौर से बाहर निकल सका, जिससे वैवाहिक जीवन में विश्वास और पारदर्शिता के महत्व को पुनः बल मिला।

प्रिया काकडे ने बताया कि आजकल पति-पत्नी के रिश्तों में मोबाइल और सोशल मीडिया से बढ़ती दूरी, साथ ही भावनात्मक असंतुलन, विवाहेतर संबंधों का प्रमुख कारण बन रहे हैं। संदेह मात्र के आधार पर निर्णय लेने की बजाय अब लोग ठोस सबूत चाहते हैं, इसलिए प्राइवेट डिटेक्टिव एजेंसियों की मदद लेने का रुझान तेजी से बढ़ रहा है।

उन्होंने बताया, “पिछले कुछ वर्षों में तलाक के मामलों की संख्या में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है। इनमें करीब 50 प्रतिशत मामले विवाहेतर संबंधों के कारण होते हैं। शादी के कुछ ही महीनों बाद कई जोड़े सबूत इकट्ठा करने के लिए हमारी मदद लेते हैं। आईटी या बैंकिंग जैसे क्षेत्रों में काम करने वाले पति-पत्नी एक-दूसरे को समय नहीं दे पाते। ऐसे में भावनात्मक खालीपन से उत्पन्न रिश्ते आगे चलकर विवाहेतर संबंधों में बदल जाते हैं।”

काकडे ने कहा, “आज की पीढ़ी में यह सोच बढ़ रही है कि अगर अपने साथी से अब खुशी या संतोष नहीं मिल रहा, तो किसी और के साथ संबंध बनाना व्यक्तिगत स्वतंत्रता का हिस्सा है। सोशल मीडिया की लत और भावनात्मक जुड़ाव के नए माध्यमों ने इस समस्या को और बढ़ा दिया है।”

एक डॉक्टर दंपत्ति का उदाहरण देते हुए प्रिया काकडे ने बताया, “शादी के बाद पत्नी लगातार पति से दूरी बनाए रखती थी। बच्चे के जन्म के बाद भी उसने उसकी देखभाल से किनारा कर लिया। वह देर रात तक सोशल मीडिया पर सक्रिय रहती और मेडिकल इमरजेंसी के नाम पर रात में घर से बाहर जाती थी। जब पति ने सवाल उठाए, तो पत्नी ने मानसिक व शारीरिक उत्पीड़न और दहेज के झूठे आरोपों की धमकी दी। अंततः विवाहेतर संबंधों की भनक लगते ही पति ने हमारे माध्यम से सबूत इकट्ठा किए और अदालत में पेश कर तलाक लिया। उसके अनुचित व्यवहार के कारण उसे न गुजारा भत्ता मिला, न बच्चे की कस्टडी।”

काकडे ने कहा कि आज यह समस्या शिक्षित और सम्पन्न वर्ग में भी तेजी से बढ़ रही है।

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