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मुंबई। पत्रकार विकास परिषद के द्वारा वसई पश्चिम दिवानेश्वर महादेव मंदिर में हिंदी दिवस की पूर्व संध्या पर "विचार -गोष्टी का आयोजन किया गया। जिसमे वरिष्ठ पत्रकार अजय माहेश्वरी, ओम प्रकाश तिवारी, शिवरतन गग्गर, डॉ. जगदीश शास्त्री, डॉ. चंद्रकेश सरोज, भालचंद्र नेमाने तथा अयूब खान और कई पत्रकार उपस्थित हुए।
अपने अपने वक्तव्य में उपस्थित पत्रकारों ने कहा हिंदी भारत की राजभाषा है।
सांस्कृतिक और पारंपरिक महत्व को समेटे विश्व में लगातार अपना फैलाव कर रही है। 14 सितंबर 1949 को सवैंधानिक रूप से हिंदी को राजभाषा का दर्जा दिया गया। संविधान के अनुच्छेद 343 में यह प्रावधान किया गया है कि देवनागरी लिपि के साथ हिंदी भारत की राजभाषा होगी।

विश्व में हिंदी - भाषी 70 करोड़ लोग हैं, यह तीसरी सर्वाधिक बोली जाने वाली भाषा है। हिंदी जानने, समझने और बोलने वालों की बढ़ती संख्या के चलते विश्व भर की वेबसाइटें हिंदी को भी महत्व दे रही है। एक अध्ययन के अनुसार हिंदी सामग्री की खपत करीब 94 फीसद तक बढ़ी है।
हर पांच में से एक व्यक्ति हिंदी में इंटरनेट प्रयोग करता है। अमेरिका में 32 विश्वविद्यालयों और शिक्षण संस्थानों में हिंदी पढ़ाई जाती है। इसी तरह फिजी, गुयाना, संयुक्त अरब अमीरात, सूरीनाम, जर्मनी, ब्रिटेन आदि में भी हिंदी पढ़ाई जाती है।
डॉ. सी.आर. सरोज ने कहा "यद्यपि मैं उन लोगों में से हूं जो चाहते हैं और जिनका विचार है कि हिंदी ही भारत की राष्ट्रभाषा हो सकती है। आएं हम हिंदी पढ़ें, हिंदी पढ़ाएं, हिंदी सीखें, हिंदी सिखाएं और हिंदी को फैलाएं।

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