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मुंबई। महाराष्ट्र में एक खामोश लेकिन खतरनाक बदलाव हो रहा है। ‘Bad’ कोलेस्ट्रॉल कहे जाने वाले एलडीएल कोलेस्ट्रॉल का स्तर बढ़ रहा है, जिससे लाखों लोग समय से पहले हार्ट अटैक और स्ट्रोक के खतरे में आ गए हैं। ताज़ा आंकड़ों के मुताबिक, राज्य में हर चार वयस्कों में से एक को हाई कोलेस्ट्रॉल की समस्या है और इनमें एलडीएल सबसे बड़ा कारण बन रहा है।

एलडीएल की बढ़ती दर में महाराष्ट्र देश के शीर्ष पांच राज्यों में शामिल हो गया है। सबसे चिंताजनक बात यह है कि 35 से 54 साल के उम्र वर्ग में यह तेजी सबसे ज्यादा है। पहले दिल की बीमारी को उम्रदराज़ लोगों की समस्या माना जाता था, लेकिन अब भारतीयों को पश्चिमी देशों की तुलना में कम उम्र में ही दिल के दौरे पड़ रहे हैं। भारत में करीब 50% हार्ट अटैक 50 साल से पहले और 25% मामले 40 साल से पहले हो रहे हैं। देश में पहला हार्ट अटैक आने की औसत उम्र अब लगभग 53 साल है, जो पश्चिमी देशों से करीब पांच साल कम है।

यह खतरा सिर्फ शहरों तक सीमित नहीं है। ग्रामीण महाराष्ट्र में भी जीवनशैली में बदलाव — कम शारीरिक गतिविधि, प्रोसेस्ड और तैलीय खाने का अधिक सेवन, और बढ़ता तनाव — की वजह से एलडीएल का स्तर बढ़ रहा है। पुरुष और महिलाएं, दोनों में इसका प्रसार लगभग बराबर है। चूंकि एलडीएल का असर अक्सर चुपचाप बढ़ता है, इसलिए लोगों को तब तक पता नहीं चलता जब तक अचानक दिल का दौरा न पड़ जाए।

पश्चिम भारत में अब हर चार में से तीन लोगों में कम से कम एक तरह की लिपिड असामान्यता है। राष्ट्रीय स्तर पर 81% भारतीयों के कोलेस्ट्रॉल प्रोफाइल असामान्य हैं, जिसमें मुख्य कारण हैं — हाई एलडीएल, कम एचडीएल और बढ़े हुए ट्राइग्लिसराइड्स। ये गड़बड़ियां हर साल होने वाली कुल मौतों में से एक चौथाई से ज्यादा के लिए जिम्मेदार हैं।

हालांकि चिकित्सकीय गाइडलाइंस में हाई-रिस्क व्यक्तियों के लिए नियमित कोलेस्ट्रॉल जांच और एलडीएल नियंत्रण की सिफारिश की जाती है, लेकिन जांच और उपचार की दर अभी भी कम है। स्टैटिन्स के अलावा पीसीएसके9 इनहिबिटर और इन्क्लिसिरैन जैसी नई थेरेपीज़, जो स्टैटिन्स पर असर न करने वाले मरीजों में कारगर हैं, उपलब्ध हैं, लेकिन इनके बारे में जागरूकता और पहुंच सीमित है।

“एलडीएल को ‘Bad कोलेस्ट्रॉल’ यूं ही नहीं कहा जाता। इसकी बढ़ोतरी खामोश लेकिन जानलेवा होती है, जो रोके जा सकने वाले दिल के दौरे का कारण बनती है। महाराष्ट्र को अब लक्षित और त्वरित कदम उठाने होंगे — नियमित जांच, समय पर जीवनशैली में बदलाव और जरूरत पड़ने पर नई थेरेपीज़ का इस्तेमाल,” मुंबई के ब्रीच कैंडी, रिलायंस, पारसी जनरल और जसलोक अस्पताल के हृदय रोग विशेषज्ञ डॉ. शरुख ए. गोलवाला ने कहा।

विशेषज्ञों का मानना है कि यह सिर्फ एक मेडिकल समस्या नहीं, बल्कि एक पब्लिक हेल्थ इमरजेंसी है। अगर समय रहते कदम नहीं उठाए गए, तो मौतों में बढ़ोतरी, अस्पतालों पर दबाव और कार्यक्षमता में गिरावट जैसे गंभीर नतीजे सामने आएंगे। Bad कोलेस्ट्रॉल महाराष्ट्र को मुश्किल में डालने से पहले कार्रवाई का समय अभी है।

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