छोटी आंत का ट्रांसप्लांट भारत में सबसे दुर्लभ ठोस अंग प्रत्यारोपणों में से एक है
मुंबई। डॉक्टरों की शानदार कोशिश और विशेषज्ञता की एक बडी उपलब्धि में नानावटी मैक्स सुपर स्पेशियलिटी हॉस्पिटल के डॉक्टरों ने महाराष्ट्र के गांव की एक 42 वर्षीय व्यक्ति को दुर्लभ छोटी आंत का सफलतापूर्वक प्रत्यारोपण करके नई जिंदगी दी है। दिल्ली में एक मृत व्यक्ति के द्वारा दान किए गए अंग को मात्र साढ़े चार घंटे में 1,400 किलोमीटर से अधिक की यात्रा करके मुंबई लाया गया।
सड़क हादसे के बाद दिल्ली के एक निजी हॉस्पिटल में 21 साल की एक युवती को ब्रेन डेड घोषित किया गया। इस युवती के परिवार ने उसके अंग दान करने की सहमति दी।
दो साल पहले, महाराष्ट्र के बीड जिले के सिद्धेश्वर दके को पेट में लगातार दर्द और तेज ऐंठन शुरू हुई। मराठवाडा क्षेत्र के कई हॉस्पिटलों में दिखाने के बावजूद उनकी बीमारी का सही पता नहीं चला। कुछ डॉक्टरों ने अल्सर तो कुछ ने कैंसर का शक जताया। उनकी हालत और बिगडती गई।
इस साल की शुरुआत में, उन्हें संभाजीनगर के एक प्राइवेट हॉस्पिटल में भर्ती किया गया। वहां उनके परिवार को पता चला कि नानावटी मैक्स सुपर स्पेशियलिटी हॉस्पिटल शहर में लीवर, आंत और पैनक्रियास की खास ओपीडी चलाता है। उन्होंने मुंबई के नानावटी मैक्स हॉस्पिटल में डॉ. गौरव चौबल से सलाह ली, जो एचपीबी सर्जरी और लीवर व मल्टी-ऑर्गन ट्रांसप्लांट के डिरेक्टर हैं।
मुंबई के नानावटी मैक्स हॉस्पिटल के एचपीबी सर्जरी और लीवर व मल्टी-ऑर्गन ट्रांसप्लांट के डिरेक्टर डॉ. गौरव चौबल ने इस केस के बारे में बताया कि सिटी स्कैन से पता चला कि मरीज की छोटी आंत में खून की सप्लाई रुक गई थी और वह सडने लगी थी। जांच में पाया गया कि मरीज को हाइपरकोएग्युलेबल अवस्था के कारण सुपीरियर मेसेंटेरिक आर्टरी (एसएमए) थ्रोम्बोसिस हुआ था, जो खून के थक्के बनने की अधिक प्रवृत्ति के कारण हुआ। जीवन को खतरे में डालनेवाली स्थिति से मरीज को बचाने के लिए तुरंत हस्तक्षेप जरूरी था। हमने प्रभावित हिस्से को हटाने के लिए इमरजेंसी सर्जरी की। ऐसे मामलों में छोटी आंत का ट्रांसप्लांट ही एकमात्र स्थायी इलाज है।
चूंकि परिवार में कोई जीवित दाता नहीं था, श्री दके को राष्ट्रीय शव अंग प्रत्यारोपण की प्रतीक्षा सूची में डाला गया। एक महीने बाद, नेशनल ऑर्गन एंड टिश्यू ट्रांसप्लांट ऑर्गनाइजेशन (NOTTO) ने हॉस्पिटल को दिल्ली में एक संभवित दाता के बारे में सूचना दी।
मुंबई के नानावटी मैक्स हॉस्पिटल के एचपीबी सर्जरी और लीवर व मल्टी-ऑर्गन ट्रांसप्लांट के एसोसिएट डिरेक्टर डॉ. आदित्य जे. नानावटी ने बताया कि NOTTO से सूचना मिलते ही हमारी अंग निकालने वाली टीम जरूरी उपकरणों के साथ दिल्ली रवाना हुई। वहां पहुंचते ही अंग निकालने की प्रक्रिया तुरंत शुरू की गई। मैक्स हॉस्पिटल शालीमार बाग और बीएलके-मैक्स हॉस्पिटल, जो हमारी नेटवर्क हॉस्पिटल्स है, ने हमें लॉजिस्टिक्स, जैसे एम्बुलेंस, पुलिस अनुमति और तेजी से टिश्यू क्रॉस-मैचिंग में मदद की। यह पूरी प्रक्रिया सटीक टीमवर्क का नतीजा थी।
अंग निकालने और जरूरी प्रक्रियाएं पूरी करने के बाद, टीम ने आंत को विशेष ग्रीन कॉरिडोर के जरिए मुंबई पहुंचाया। अंग लैंडिंग के 10 मिनट के अंदर नानावटी मैक्स हॉस्पिटल पहुंच गया। ट्रांसप्लांट आठ घंटे में सफलतापूर्वक पूरा हुआ, जो अंग की उपयोगिता की समय सीमा के भीतर था। श्री दके को तीन हफ्ते बाद स्थिर हालत में हॉस्पिटल से छुट्टी मिली और वह अब ठीक हो रहे हैं।
मैक्स हेल्थकेयर के चीफ ऑपरेटिंग ऑफिसर (पश्चिमी क्षेत्र) डॉ. विवेक तलौलिकर ने बताया कि यह दुर्लभ अंतर-राज्य ट्रांसप्लांट सटीक समन्वय की अहमियत को दिखाता है। एवियेशन लॉजिस्टिक्स से लेकर सडक परिवहन और इम्यूनोलॉजिकल टेस्टिंग तक, हर कदम को नानावटी मैक्स हॉस्पिटल और मैक्स हेल्थकेयर के नेटवर्क हॉस्पिटलों की टीम ने सावधानी से प्लान किया।
छोटी आंत का ट्रांसप्लांट भारत में सबसे दुर्लभ ठोस अंग प्रत्यारोपणों में से एक है। इसकी जटिल प्रक्रिया और ऑपरेशन के बाद की देखभाल की चुनौतियों के कारण यह केवल अत्यधिक विशेषज्ञता वाले केंद्रों में होता है। नानावटी मैक्स सुपर स्पेशियलिटी हॉस्पिटल, अपनी व्यापक अनुभव और नैदानिक विशेषज्ञता के कारण, विशेष रूप से दक्षिण-पूर्व एशिया और दुनिया भर के मरीजों के लिए आंत प्रत्यारोपण का एक प्रमुख रेफरल सेंटर बन गई है।
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