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नई दिल्ली/मुंबई। भारत की ओर से पाकिस्तान और पाक अधिकृत कश्मीर (पीओके) में स्थित 9 आतंकी ठिकानों पर 6-7 मई की रात की गई एयर स्ट्राइक के बाद कई देशों ने भारत की जवाबी कार्रवाई का समर्थन करते हुए आतंकवाद के खिलाफ आवाज बुलंद की है। अमेरिका और इजरायल के अलावा कई देशों ने अपनी प्रतिक्रिया देते हुए कहा है कि वह आतंक के खिलाफ लड़ाई में भारत के साथ हैं। इसके अलावा कई देशों ने भारत और पाकिस्तान को शांति बरतने की अपील भी की है। दरअसल भारतीय सशस्त्र बलों ने 22 अप्रैल को पहलगाम में हुए क्रूर आतंकी हमले के जवाब में ‘ऑपरेशन सिंदूर’ लॉन्च किया और सीमा पार पीओके तथा पाकिस्तान के अंदर कई स्थानों पर आतंकवादी शिविरों को निशाना बनाते हुए नौ उच्च-सटीक हमले किए।

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने इस सैन्य प्रतिक्रिया को अपरिहार्य बताते हुए कहा, ‘‘मुझे लगता है कि लोगों को पता था कि कुछ होने वाला है।“ उन्होंने यह भी उम्मीद जताई कि स्थिति जल्दी ही शांत हो जाएगी। वहीं अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रुबियो ने दो पड़ोसियों के बीच संभावित युद्ध को देखते हुए अपनी चिंता को दोहराया। इस बीच, वाशिंगटन में भारतीय दूतावास ने पुष्टि की कि राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल ने भारत की कार्रवाई के पीछे के कारणों को समझाने के लिए अमेरिकी विदेश मंत्री से बात की थी। संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने इस बात पर जोर देते हुए कि दुनिया दोनों देशों के बीच सैन्य टकराव बर्दाश्त नहीं कर सकती, भारत और पाकिस्तान दोनों से संयम बरतने का आह्वान किया।

भारत की सैन्य कार्रवाई का स्पष्ट समर्थन करते हुए, भारत में इजरायल के राजदूत रियुवेन अजार ने पहलगाम हमले की कड़ी निंदा की और भारत के आत्मरक्षा के अधिकार की पुष्टि की। एक्स पर एक पोस्ट में उन्होंने लिखा, "इजरायल भारत के आत्मरक्षा के अधिकार का समर्थन करता है। आतंकवादियों को पता होना चाहिए कि निर्दोषों के खिलाफ उनके जघन्य अपराधों से बचने के लिए कोई जगह नहीं है।" इस मुद्दे पर चीन ने जहां भारत की कार्रवाई को ‘अफसोसजनक’ बताया, वहीं आतंकवाद की निंदा भी की। चीनी विदेश मंत्रालय ने तनाव बढ़ने पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा, "हम दोनों पक्षों से शांति और स्थिरता के व्यापक हित में कार्य करने, शांत रहने और ऐसी कार्रवाइयों से बचने का आग्रह करते हैं, जो स्थिति को और जटिल बना सकती हैं।" वहीं तुर्की ने एक कदम आगे बढ़कर पाकिस्तान के साथ एकजुटता व्यक्त की और भारत के आतंकवाद विरोधी अभियान को अकारण आक्रामकता करार दिया।

इसके अलावा रूस के विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता मारिया ज़खारोवा ने बढ़ते सैन्य टकराव पर गहरी चिंता व्यक्त की और दोनों पक्षों से इस स्थिति से पीछे हटने का आग्रह किया। फ्रांस और जापान ने भी सैन्य संयम बरतने का आह्वान किया और समाधान के लिए संवाद को एकमात्र स्थायी मार्ग बताया। इसी तरह, यूएई के विदेश मंत्री शेख अब्दुल्ला बिन जायद अल नाहयान ने कूटनीति के महत्व पर जोर दिया और दोनों देशों से आगे के संघर्ष से बचने का आग्रह किया। ऑपरेशन के बाद भारत अपने राजनयिक आउटरीच में सक्रिय रहा है। विदेश मंत्री डॉ. एस. जयशंकर ने कतर के पीएम मोहम्मद बिन अब्दुलरहमान बिन जस्सिम अल थानी के साथ बात की है। इस बीच, एनएसए अजीत डोभाल ने अमेरिका, ब्रिटेन, सऊदी अरब, यूएई, जापान, रूस, चीन और फ्रांस के अपने समकक्षों के साथ वार्ता की। इसके अतिरिक्त, भारत ने ऑपरेशन सिंदूर पर संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के स्थायी और गैर-स्थायी दोनों सदस्यों को जानकारी दी है।

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