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वसई। मानव उत्थान सेवा समिति श्री हंस विजयनगर आश्रम, वसई पूर्व, जिला पालघर के तत्वावधान में 11 मई 2025, रविवार को सद्भावना संत सम्मेलन का आयोजन किया गया।
सम्मेलन में वसई आश्रम के प्रभारी महात्मा श्री आचार्यनंद जी के साथ मुंबई से पधारे महात्मा श्री कल्पना बाई जी और महात्मा श्री अम्बालिका बाई जी एवं अन्य संत महात्मा के ओजस्वी सत्संग प्रवचन हुए। 
संतों ने महात्मा बुद्ध की जयंती के अवसर पर उनके जीवन से प्रेरणा लेने की बात की। उन्होंने कहा कि उनके जीवन से हमें करुणा, शांति और ज्ञान की ओर अग्रसर होने की प्रेरणा मिलती है, जो मानवता के कल्याण के लिए आवश्यक हैं। संतों ने बताया कि उनकी जीवनी हमें जीवन के दुखों को समझने और उनसे मुक्ति पाने के मार्ग को दर्शाती है। संतों ने सत्संग में ध्यान और साधना के महत्व पर भी जोर दिया और कहा कि व्यक्ति आध्यात्मिक मार्ग पर चलकर अपने भीतर की शांति और संतुलन को प्राप्त कर सकता है। 
संतों ने कहा कि महात्मा बुद्ध ने जीवन के उद्देश्य को समझा और आत्म-ज्ञान की प्राप्ति की। उन्होंने दुख के कारणों को पहचानने और उन्हें समाप्त करने के उपाय बताए, जिससे व्यक्ति अपने जीवन में संतोष और खुशी पा सके। 
आध्यात्मिक विकास के लिए नियमित ध्यान और साधना के अभ्यास को महत्वपूर्ण बताया गया। ध्यान और साधना का सही मार्गदर्शन हमें आत्मज्ञान के बोध द्वारा मिलता है, और इसके लिए सत्संग सुनना आवश्यक है। संतों ने कहा कि जैसे श्री रामचंद्र जी ने भक्त शबरी को नवधा भक्ति सुनाते हुए कहा था कि "प्रथम भक्ति संतन करी संगा", उसी प्रकार संतों का संग कर हमें भक्ति के मार्ग पर पहली सीढ़ी चढ़नी चाहिए।  संत हमें सच्चे सद्गुरु का बोध कराते हैं, जिनके माध्यम से हमें आध्यात्मिक ज्ञान की प्राप्ति होती है और हमारा जीवन सार्थक बनता है। आज की युवा अध्यात्म से दूर होती जा रही है इसलिए उनके माता पिता से संतों द्वारा निवेदन किया गया कि आध्यात्मिक पुस्तक जैसे भगवत गीता, रामायण का अध्ययन जरूर करायें इससे उन्हें संस्कार जरूर मिलेंगे।

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