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मुंबई.   1993 सीरियल ब्लास्ट की जांच पुलिस के लिए किसी चुनौती से कम नहीं थी। तब आला अफसरों ने ऑपरेशन की कमान मुंबई के पूर्व पुलिस कमिशनर राकेश मारिया को सौंपी। उस वक्त वे डीसीपी ट्रैफिक का जिम्मा संभाल रहे थे। 150 से ज्यादा टीमों ने शहर के अगल-अलग इलाकों से सबूत जुटाए। लेकिन पहला सुराग विस्फोटक लदे एक स्कूटर और वैन से मिला था। इसके बाद पड़ताल आगे बढ़ती गई और 1994 में चार्जशीट फाइल की गई। 2006 में कोर्ट ने 100 लोगों को दोषी ठहराया था। गुरुवार को स्पेशल टाडा कोर्ट ने अबू सलेम समेत 5 दोषियों को सजा सुनाई। इस तरह ब्लास्ट केस में सजा पाने वाले दोषियों की संख्या 104 हो गई है। बता दें कि, 12 मार्च 1993 को बॉम्बे में दो घंटे के भीतर सिलसिलेवार 12 धमाके हुए थे। इनमें 257 लोगों की मौत हुई, 713 लोग गंभीर रूप से जख्मी हुए थे।  

ऐसे सुलझी गुत्थी...

 - मुंबई पुलिस ने इस केस में 4 नवंबर, 1994 को 10 हजार पन्नों की चार्जशीट दायर की थी। 22 साल तक टाडा कोर्ट में सुनवाई चली। 600 लोगों की गवाही के बाद 2006 में कोर्ट ने मुख्य आरोपी टाइगर मेमन के भाई याकूब मेमन और संजय दत्त समेत 100 लोगों को दोषी ठहराया था, जबकि 23 लोग बरी हुए थे।

- अब तक कुल 14 दोषियों को फांसी की सजा सुनाई गई। इनमें से याकूब मेमन को 2015 में फांसी पर चढ़ाया जा चुका है। अबू सलेम समेत 22 दोषियों को उम्रकैद की सजा हुई। अवैध हथियार मामले में संजय दत्त अपनी सजा पूरी कर चुके हैं।

- एक आरोपी अब्दुल कय्यूम को जून, 2017 में बरी कर दिया गया। फिलहाल इस मामले में टाइगर मेमन और दाऊद इब्राहिम समेत 27 आरोपी फरार हैं।

 लावारिस स्कूटर से मिला था पहला सुराग

- 1993 ब्लास्ट केस की जांच के लिए तब के डीसीपी ट्रैफिक राकेश मारिया (पूर्व मुबंई पुलिस कमिश्नर) की देखरेख में पुलिस की 150 से ज्यादा टीमें बनाई गई थीं। 

- 4 साल पहले एक इंटरव्यू में मारिया ने बताया था कि एक विस्फोटक से लदे एक लावारिस स्कूटर और मारूति वैन से पहला सुराग मिला था। जांच की गई तो यह वैन रूबीना मेमन के नाम से माहिम इलाके के पते पर रजिस्ट्रर थी। जब पुलिस 8 मंजिला बिल्डिंग में उनके ठिकाने तक पहुंची तो वहां ताला लटका मिला। मेमन फैमिली ब्लास्ट के दो दिन पहले ही विदेश जा चुकी थी। 
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पुलिस ने जांच की तो पता चला कि यहां कुछ वक्त के लिए क्रिकेटर रहे अब्दुल रज्जाक मेमन 5 बेटों (टाइगर, याकूब, सुलेमान, ईशा, युसुफ और अयूब) के साथ रहता था। बड़ा बेटा टाइगर दाऊद की नजरों में आ चुका था। जांच टीमों ने 17 राज्यों के करीब 80 शहरों में छापेमारी की। इस दौरान 180 संदिग्धों की गिरफ्तारी हुई।  

 ब्लास्ट की भनक थी, लेकिन भरोसा नहीं किया

- मारिया के मुताबिक, ब्लास्ट से पहले कस्टम और इंटेलिजेंस एजेंसियों को भनक थी कि हथियारों का बड़ा जखीरा भारत आने वाला है। दूसरी ओर, बाबरी ढांचा गिराए जाने के बाद हुए दंगों के आरोपी गुल मोहम्मद खान ने पुलिस हिरासत में ब्लास्ट का प्लान बनाए जाने का दावा किया था। उसने कहा था कि वह दुबई के रास्ते पाकिस्तान में हथियार चलाने और बम बनाने की ट्रेनिंग लेकर आया है। लेकिन किसी ने उस पर भरोसा नहीं किया। अपने करीबी खान के पकड़े जाने पर टाइगर ने तय वक्त से पहले ब्लास्ट की साजिश को अंजाम दिया। पहले इसके लिए अप्रैल में कोई तारीख तय की गई थी।

 सलेम ने कैसे साजिश में रोल निभाया

- जून, 2017 में आए कोर्ट के फैसले के मुताबिक, अबू सलेम जनवरी, 1993 में गुजरात के भरूच गया था। उसके साथ दाऊद गैंग का एक और गुर्गा था। उसे हथियार, एक्सप्लोसिव्स और गोला-बारूद लाने के लिए भेजा गया था। सलेम को वहां 9 एके-56, 100 हैंड ग्रेनेड और गोलियां दी गईं। सलेम एक मारुति वैन के अंदर यह सामान छुपाकर मुंबई लाया था। धमाकों से पहले दुबई में आरोपियों ने 15 मीटिंग की थीं। 

- मारुति वैन रियाज सिद्दीकी ने मुहैया कराई थी। ये वैन सीधे संजय दत्त के घर पर गई थी। 16 जनवरी 1993 को सलेम दो और लोगों के साथ मिलकर संजय दत्त के घर 2 एके-56 राइफलें और 250 गोलियां छोड़कर आया था। दो दिन बाद उसने यह हथियार वहां से उठा लिए थे। सलेम को हमले के लिए गुजरात से हथियार मुंबई लाने-बांटने, साजिश रचने और आतंकी गतिविधियों में शामिल रहने का दोषी पाया गया था।

 PAK में दी गई थी हथियारों की ट्रेनिंग

- वकीलों के मुताबिक, मुस्तफा दोसा, टाइगर मेमन, छोटा शकील ने सीरियल ब्लास्ट के लिए साजिश में शामिल लोगों को दुबई बुलाया था। यहां ब्लास्ट से पहले करीब 15 मीटिंग की गईं। 

- इसके बाद पाकिस्तान में इन लोगों के लिए ट्रेनिंग के लिए कैंप कराए। यहां उन्हें हथियार चलाना सिखाया गया। दुबई की मीटिंग में हथियार भारत लाने की प्लानिंग हुई थी।

 मोनिका बेदी से भी जुड़ा डॉन का नाम

-1998 में अबू सलेम की पहचान दुबई के एक स्टेश शो के दौरान मोनिका बेदी से हुई। आगे चलकर दोनों के रिश्‍तों ने खूब सुर्खियां बटोरी। यहां तक कि दोनों के बीच निकाह की भी खबर आईं थीं।
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मोनिका ने कई बार इंटरव्‍यू में कहा था कि, "वह सलेम से मोहब्बत करती थी।" अबू सलेम और मोनिका की गिरफ्तारी के कुछ वक्त बाद दोनों के रिश्ते खराब हो गए। सलेम जेल में है और मोनिका फिर बॉलीवुड में लौटने की कोशिश कर रही हैं।

 धमाकों में क्या रोल था, कितनी सजा मिली?

- टाडा कोर्ट ने 16 जून को सलेम, रियाज शेख और मुस्तफा दौसा समेत कुल 6 को दोषी करार दिया था। दुबई में दाऊद इब्राहिम के ऑफिस का मैनेजर अब्दुल कयूम बरी हो गया। गुरुवार को कोर्ट ने अबू सलेम समेत 5 दोषियों को सजा सुनाई है। 

 1) अबू सलेम: उम्रक्रैद और 2 लाख का जुर्माना  

रोल- धमाके के लिए हथियार लाने-बांटने, साजिश रचने और आतंकी गतिविधियों में शामिल रहने का दोषी। इसे 2005 में पुर्तगाल से भारत लाया गया। 
  

2) मुस्तफा दोसा: 28 जून को हार्ट अटैक से मौत हुई

रोल- ब्लास्ट के लिए हथियार और विस्फोटक मंगवाने का मास्टरमाइंड है। रायगढ़ में हथियार लैंड कराए और आरोपियों को ट्रेनिंग के लिए पाकिस्तान भेजने और साजिश रचने का दोषी है। 
 

3) ताहिर मर्चेंट: फांसी की सजा  
रोल- कुछ लोगों को पाकिस्तान भेजने का इंतजाम करने का दोषी करार। दुबई में ब्लास्ट के लिए पैसा जमा किया। 
 

4) अब्दुल कयूम: जून को कोर्ट ने बरी किया
रोल- दुबई में दाऊद इब्राहिम के ऑफिस में मैनेजर था। इसे संजय दत्त के पास हथियार पहुंचाने का आरोपी बनाया। कोर्ट ने बरी कर दिया।

 

5) रियाज सिद्दीकी: 10 साल की सजा

रोल- एक्सप्लोसिव लाने के लिए अबू सलेम को भड़ूच में अपनी कार देने का दोषी।
 

6) फिरोज अब्दुल राशिद खान: फांसी की सजा
रोल- दुबई में हुई मीटिंग में शामिल होने, हथियार और एक्सप्लोसिव लाने में मदद करने दोषी करार दिया गया।

 

7) करीमउल्ला शेख: उम्रक्रैद और 2 लाख का जुर्माना 

रोल- अपने दोस्त को पाकिस्तान में आतंकी ट्रेनिंग दिलवाने, हथियार और एक्सप्लोसिव लाने में मदद करने का दोषी करार।

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