मुम्बई। पंजाबी सिनेमा के मशहूर लेखक - संपादक और निर्देशक नरेश एस गर्ग का जीवन किसी फिल्मी कहानी से कम नहीं रहा है। पंजाब के होशियारपुर जिले में 24 अगस्त 1974 को एक सामान्य परिवार में जन्मे नरेश का बचपन से निर्देशक बनने का सपना था। चूंकि एक सामान्य परिवार के लड़के के लिए इस सपने को पूरा करना इतना आसान नहीं होता, इसलिए नरेश ने भी जमीनी स्तर से काम करना शुरू किया और फिल्म लेखक से संपादक बने और बाद में निर्देशक। जब नरेश ने इंडस्ट्री में कदम रखा, पंजाबी फिल्म उद्योग पर कुछ चुनिंदा फिल्म निर्देशकों का कब्जा था, अब खुद को स्थापित करना इतना आसान नहीं था। नरेश का कहना है कि उनका सपना एक स्वच्छ सिनेमा की स्थापना करना है जहां मनोरंजन के नाम पर अश्लीलता या गंदगी नहीं परोसी जाएगी। इसलिए मेरी हर फिल्म अपने देश की संस्कृति पर आधारित होती है। मेरा मकसद है कि पूरा परिवार साथ में मेरी फिल्म देखे। नरेश निर्देशक बनने के बाद अभिनेता बनना चाहते थे, यही वजह थी कि जब वे 12वीं की पढ़ाई कर रहे थे, तभी उनके पास मुंबई से फोन आया और वे बीच में ही पढ़ाई छोड़कर मुंबई के लिए निकल गए। उन्होंने अभिनय का डिप्लोमा पूरा किया, जब उन्हें अभिनय में ज्यादा गुंजाइश नहीं मिली, तो उन्होंने खुद को संपादन की ओर बदल लिया और उसके बाद वे निर्देशन में आ गए। कभी अभिनेता बनने का सपना देखने वाले नरेश एस गर्ग ने खुद नहीं सोचा था कि जो अभिनेता बनना चाहता है उसे दूसरे अभिनेताओं से अभिनय करवाना पड़ेगा।
उन्होंने 2015 में राज काकरा, जोनिता डोडा, नवदीप कलेर, नीतू पंढेर, गुरिंदर मक्का और शाविंदर महल अभिनीत पंजाबी फिल्म 'पट्टा पत्ता सिंघन दा वैरी' का निर्देशन किया है।
वह लेखक के साथ-साथ एक अच्छा संपादक और निर्देशक भी हैं। एक संपादक के रूप में उन्होंने '22 चमकीला फॉरएवर, खत्रे दा घुग्गू, मालवा दी जट्टी, सग्गी फुल, धर्म युद्ध मोर्चा, पट्टा पत्ता सिंघन दा वैरी, कौम दे हीरे, धन धन बाबा बुद्दन शाह जी' फिल्में की हैं। वहीं 'धर्म युद्ध मोर्चा, पट्टा पत्ता सिंघन दा वैरी' का निर्देशन किया है।
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