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फिल्म समीक्षा - संतोष साहू।

जीवनसाथी की खोज में कुंवारे कुंवारियों को कई प्रकार के खट्टे मीठे अनुभवों से गुजरना पड़ता है। 

हर माता पिता की भी बड़ी इच्छा रहती है कि उसके बच्चे का घर बस जाए, इसके खातिर वे सुयोग्य वर या वधु की खोज में लगे रहते हैं जिससे बच्चों का दांपत्य जीवन सुखमय बना रहे।

इन्हीं सब बातों को दर्शक ज़ी5 ओटीटी प्लेटफॉर्म पर रिलीज हुई लेखक निर्देशक सुनील खोसला की नवीनतम फिल्म 'मेरा व्याह करा दो' में देख सकते हैं। इस फिल्म में मनोरंजन के साथ साथ भावनात्मक लगाव को मज़ेदार ढंग से दर्शाया गया है। फिल्म की मुख्य पात्र नूर (मैंडी ताखर) एक बबली गर्ल है जो एक ज्वेलरी शॉप में जॉब करती है। वह अपनी मां के साथ खुशहाल जीवन गुजार रही है। वहीं उसकी मां को नूर के विवाह की चिंता है। एक पंडित जब नूर के कुंडली में दोष बताता है तो मां की चिंता और बढ़ जाती है। नूर मैट्रीमोनी साइट पर अपना सिंपल फोटो रखती है तो उसे कोई प्रपोजल नहीं आता लेकिन जब सेक्सी अंदाज़ में वीडियो अपलोड करती है तो कई लड़के उसके दीवाने बन जाते हैं और शादी का प्रस्ताव भी रखते हैं। एक डॉन परिवार नूर को ज़बरदस्ती दुल्हन बनाने के लिए दोनों माँ बेटी पर दबाव डालता है।

 दूसरी ओर फिल्म का नायक एकम (दिलप्रीत ढिल्लों) एक युवा बिजनेसमैन है और उसका कंस्ट्रक्शन कंपनी है। उसकी मंगेतर व्याह के बाद अपनी सास ससुर को छोड़ एकम को अकेले रहने पर बाध्य करती है। यह बात एकम को अच्छी नहीं लगती और अपनी मंगेतर से ब्रेकअप कर लेता है। 

कहते हैं कि मिलना बिछड़ना फिर मिलना ये सब किस्मत की बात होती है। एक शादी में एकम और नूर एक दूसरे के करीब आते हैं। एकम के पिता को नूर पसंद आ जाती है लेकिन एकम का दिल टूटा हुआ है जो जल्दी भरने वाला नहीं। नूर अपनी मां को बताती है कि वह एकम से प्यार करने लगी है। नूर शादी के लिए एकम से पूछती है तो वह थोड़ा समय मांगता है। अब आगे क्या नूर और एकम का ब्याह हो पाता है या डॉन का बेटा उसे जबरदस्ती अपनी दुल्हन बना लेता है? ये सब जानने के लिए आपको यह फिल्म देखनी पड़ेगी।

इस फैमिली ड्रामा फ़िल्म में मज़ेदार पंच के साथ इमोशनल टच भी है। 

प्रोडक्शन वैल्यू अच्छा है। फोटोग्राफी कमाल की है और गीत - संगीत भी बढ़िया बना है। 

इस फिल्म को फैमिली इंटरटेनर कहा जाए तो गलत नहीं होगा।

सुनील खोसला के स्टोरी, स्क्रीनप्ले, डायरेक्शन में बनी इस पंजाबी फिल्म 'मेरा व्याह करा दो' की निर्मात्री विभा दत्ता खोसला हैं। साथ ही संगीतकार गुरप्रीत सिंह, जेएसएल सिंह, गुरमोह, शमिता भाटकर के संगीतबद्ध गीतों को मन्नत नूर, शिप्रा गोयल, वज़ीर सिंह, गुरमीत सिंह और अभिजीत वघानी ने गाया है। फ़िल्म के प्रस्तुतकर्ता राजू चड्ढा हैं।

इस फिल्म को मिलते हैं चार स्टार ****

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