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मुम्बई। आज देश के पांच राज्यों में चुनाव का वातावरण चल रहा है। अलग अलग पार्टियां अपने-अपने प्रत्याशियों की घोषणा कर रहे हैं और प्रचार भी शुरू हो चुका है। जनता से लुभावनी वादों का सिलसिला शुरू हो चुका है तथा अपनी उपलब्धियों को भुनाने की प्रक्रिया पूर्ण से लोगों को भी प्रभावित कर रही है। मतदान का प्रयोग जनता के हित में हो इसलिए मतदान कराएं जाते हैं। जनता स्वतन्त्र रूप से मतदान करे इसलिए गोपनीयता रखी जाती है। पार्टियां अपनी विचारधारा प्रस्तुत करती है और लुभावने वादे भी एवं वोट पाकर जीत भी जाती है और शासन तंत्र का उपयोग कर अपना विस्तार करती है। कुछ वादे भी पूरे कर उसी को भुनाने में लगी रहती है किन्तु आज की पार्टियों ने सत्ता पाने के लिये समाज को विभिन्न जातियों में बांट कर रख दिया है। आज समाज भी शायद यही पसंद कर रहा है भारत मूल रूप से सनातन धर्म की राह पर चलने वाला देश जो कि जाति से ऊपर उठाकर कार्य करता रहा है। जातियां केवल कर्म अनुसार तथा परम्परा के अनुसार सिर्फ व्यवस्था को सुचारू रूप से चलाने के लिए होती है। प्राचीन काल से वर्णाश्रम चला आ रहा है। सभी जातियों के लोग ने महान कार्य किया इसलिए समाज उन्हें पूजता भी है। वसुधैव कुटम्बकम की परम्परा वाला यह सनातन धर्म जिसे हिंदू धर्म कहा जाता सम्पूर्ण हिंदू समाज एक है। प्राचीन काल मे भगवान श्रीराम ने सबरी माता के जूठे बेर खाये और भगवान सत्यनारायण की कथा के अनुसार सदानंद महाराज का खास मित्र भी भील (अनुसूचित जाति) का हिन्दू समाज एक है कभी किसी से भेद नहीं करता है। पहले मुगल साम्राज्य ने फिर अंग्रेजों ने अब राजनीतिक पार्टियों ने समस्त हिन्दू समाज को आपस मे जातियों के आधार पर बांट कर एक दूसरे से विरोधाभास पैदा कर रही है। देश की सबसे बड़ी पार्टी भी इससे अछूती नही है। इन्हीं कारणों से हिन्दू एकत्र नहीं हो पा रहा है तथा बिखर रहा है।अखिल भारतीय जनसंघ के नेताओं ने सदैव हिंदूवादी विचार और समस्त हिन्दू को एकत्र रखने का प्रयास किया है जब हिन्दू होगा तभी जातियों का अस्तित्व होगा। जनसंघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ भारतभूषण पाण्डेय आज हिंदुत्व को पूर्ण रूप से हिन्दू समाज को एकत्र होने की बात करते हैं। जनसंघ हिन्दू हितों की रक्षा करने के लिए कार्य कर रहा है।

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