● अब डॉक्टर्स पायरामेड द्वारा मिलेगी एक्सर्ट सलाह
● खासकर ग्रामीण डॉक्टर्स तथा स्वास्थ चिकित्सकों के लाभ के लिए विशेषज्ञों के साथ वीडियो काँन्फरेन्स की विशेष सुविधा
● अगले पांच वर्षों में ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाले ५० लाख मरीजों को चिकित्सा सेवाएं प्रदान करना उद्देश्य है।
मुंबई: ग्रामीण इलाकों में मरीजों को विभिन्न बीमारियों की जांच के लिए बड़े शहरों के अस्पतालों में जाना पड़ता है। इसे ध्यान में रखते हुए वरिष्ठ बाल रोग विशेषज्ञ डॉ. केतन पारिख ने आधुनिक तकनीक की मदद से देश में जरूरतमंद मरीजों के लिए एक अनोखा टेलीमेडिसिन प्लेटफॉर्म उपलब्ध कराया है। पायरामेड द्वारा वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए मरीज और स्थानीय डॉक्टर इलाज के संबंध में अन्य विशेषज्ञ डॉक्टरों से उचीत ऑनलाइन सलाह ले सकेंगे। ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाले लोगों को सस्ती चिकित्सा देखभाल प्रदान करना इसका मुख्य उद्देश्य है।
स्वास्थ्य संबंधी कोई समस्या होने पर लोग पहले स्थानीय चिकित्सक से इलाज कराते हैं। लेकिन जैसे-जैसे बीमारी बढ़ती है, विशेषज्ञ डॉक्टरों की जरूरत पडती है। विशेषज्ञ डॉक्टर की सलाह के लिए मरीजों को शहरो के बड़े अस्पतालों में जाना पड़ता है। ऐसे मामलों में मरीजों को तत्काल उपचार उपलब्ध कराने के लिए टेलीमेडिसिन सुविधा उपलब्ध कराई गई है।
यह सुविधा स्थानीय डॉक्टर को संबंधित विशेषज्ञों के साथ वीडियो परामर्श करने की अनुमति देती है। स्थानीय डॉक्टर मरीज की बिमारी की जानकारी अपलोड कर सकते हैं और मरीज के उपचार के संबंध में विशेषज्ञ राय प्राप्त कर सकते हैं। इस सलाह के अनुसार, डॉक्टर मरीज का इलाज तय कर सकता है। इस पद्धति द्वारा प्रदान किऐ जाने वाला उपचार मरीजों के साथ-साथ ग्रामीण क्षेत्रों के डॉक्टरों के लिए भी लाभदायक साबित हो रहा है। पिरामिड ने उपचार में शीघ्र उपचार और पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए विभिन्न विशेषज्ञ डॉक्टरों और अस्पतालों के साथ भागीदारी की है।
पायरामेड के संस्थापक डॉ. केतन पारिख ने कहा कि उचित और उपयुक्त उपचार हर नागरीक का हक है। इसके लिए हर जरूरतमंद मरीज को सस्ती दरों पर चिकित्सा सुविधा उपलब्ध कराने के लिए पायरामेड टेलीमेडिसिन प्लेटफॉर्म मुहैया कराया गया है। इस मंच के माध्यम से विभिन्न विशेषज्ञ डॉक्टरों को एक साथ लाना मुख्य उद्देश्य है। टेलीमेडिसिन से मरीजों के पैसे और समय की बचत होगी और ग्रामीण क्षेत्रों में इस टेली मेडिसिन सुविधा के लाभार्थियों की संख्या में उल्लेखनीय वृद्धि होगी। ग्रामीण इलाकों में रहने वाले मरीजों का चिकित्सा यात्रा खर्च, वेतन घाटा और राहत कोष पर अगले पांच साल तक तकरीबन १,५०० करोड़ रुपये खर्च हो सकता है जो इस माध्यम से बच सकेगा। अगले पाँच साल मे हम इस माध्यम से ५० लाख जरूरतमंद मरीजों को चिकित्सा देने का लक्ष्य रखते हैं।
भारत की ७० प्रतिशत आबादी ग्रामीण क्षेत्रों में रहती है। हालांकि, करीब ७० से ९० प्रतिशत विशेषज्ञ डॉक्टर्स बड़े शहरों में हैं। सार्वजनिक स्वास्थ्य अधिकतर प्राथमिक स्वास्थ्य देखभाल पर केंद्रित हैं। ग्रामीण क्षेत्रों में मरीजों को विशेष स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध नहीं हैं। चिकित्सा सुविधाओं के लिए शहर आने में उनका समय और पैसा दोनों खर्च होता है। शहरों में इलाज के लिए आने के लिए लोग ८०० से १००० रूपये खर्च करते हैं। ऐसे में अगर समय पर इलाज नहीं कराया गया तो बीमारी और भी गंभीर हो जाती है।
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