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 दिल्ली। नोएडा फिल्मसिटी स्थित 'मारवाह स्टूडियो' द्वारा भारतीय फिल्म इंडस्ट्री को दिए गए योगदान को भुलाया नहीं जा सकता है और इसी के संरक्षण में संचालित एशियन एकेडमी ऑफ फिल्म एंड टेलीविज़न का नाम भी इस दिशा में सर्वोपरि है जिसे स्टूडियो के संस्थापक व संचालक संदीप मारवाह ने नई पीढ़ी के लिए 30 वर्षों के लंबे सफर को तय करते हुए लोकप्रियता के शिखर पर पहुँचाया और स्वयं को आइकॉन ऑफ इंडिया एवं अंतर्राष्टीय मीडिया व्यक्तित्व के रूप में स्थापित किया।

 फिल्म विधा से जुड़े नवोदित प्रतिभाओं को प्रकाश में लाने के उद्देश्य से स्थापित उत्तर भारत की पहली प्रोफेशनल शैक्षणिक सुविधाओं से युक्त 'मारवाह स्टूडियो' का उद्घाटन समारोह 10 मार्च 1991 को सम्पन्न हुआ था जिसमें कृष्णा राज कपूर, शम्मी कपूर, सुरिंदर कपूर, बोनी कपूर, अनिल कपूर, यश चोपड़ा, एफ.सी. मेहरा, प्रेम चोपड़ा, संजय कपूर, विनोद पांडे, इंद्र कुमार, अशोक ठकारिया, गुलशन कुमार, राकेश रोशन, टूटू शर्मा, राकेश नाथ जैसे कई बॉलीवुड की नामचीन हस्तियों ने अपनी उपस्थिति दर्ज कराई थी। माधुरी दीक्षित, शिल्पा शिरोडकर, पद्मिनी कोल्हापुरे, पूनम ढिल्लन, बीना ने रंगारंग कार्यक्रम में चार चाँद लगा दिया था। इस अवसर पर दूरदर्शन के लिए धारावाहिक 'खाली हाथ' का शुभारंभ और समारोह में उपस्थित लगभग 2000 लोग अपने चहेते स्टार की तस्वीर और ऑटोग्राफ लेने में व्यस्त थे। वो सुखद क्षण मारवाह स्टूडियो के इतिहास में कैद है जो कभी भुलाया नहीं जा सकता है।

 सात विश्व रिकॉर्ड, सौ संगठनों का गठन, फिल्मविधा व पर्यटन के क्षेत्र में दो मिलियन लोग, 145 देशों के प्रतिनिधि, दुनिया भर से 700 पुरस्कार, 20,000 मीडिया विशेषज्ञों को डिग्री, डिप्लोमा प्रदान करते हुए और 60 देशों की सरकार से सांस्कृतिक राजदूत, वैश्विक सांस्कृतिक मंत्री जैसे खिताब , ग्लोबल पीस एंबेसडर, ग्लोबल मीडिया गुरु, एशिया के सबसे प्रतिष्ठित कला और सांस्कृतिक संगठनों से खुद को जोड़ कर संदीप मारवाह ने 'मारवाह स्टूडियो' के अधिनस्थ अपने संस्था के राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय पुरस्कारों के गठन की परंपरा को कायम किया। साथ ही साथ समाज सेवा, शिक्षा, पर्यावरण, बड़े सामाजिक मुद्दे, सरकारी जन जागरूकता अभियान आदि से खुद को जोड़ कर रखने वाले संदीप मारवाह फ़िलवक्त लिविंग लीजेंड्स की सूची के पहले पायदान पर खड़े हैं और उन्हें नवोदित प्रतिभाओं के पथ प्रदर्शक के रूप में देखा जाता है।

 बकौल संदीप मारवाह तीस साल में हमने दुनिया को साबित कर दिया है कि जनहित में ईमानदारी और कड़ी मेहनत के साथ गतिशील रहने पर एक बंजर भूमि से भी बहुत व्यापक परिणाम प्राप्त किया जा सकता है...हम आज भी नवोदित प्रतिभाओं को प्रकाश में लाने के उद्देश्य से सतत क्रियाशील हैं।

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