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साहित्यिक सामाजिक व सांस्कृतिक संस्था काव्यसृजन महिला मंच एक सितम्बर से सतत हिन्दी पखवाडे़ का गूगल मीट पर आनलाईन आयोजन कर रही है। जिसमें देश विदेश के हिन्दी प्रेमी कवि कवयित्री अपनी गरिमामय उपस्थिति दर्ज करा रहे हैं।
  यह आयोजन पं. शिवप्रकाश जौनपुरी संस्थापक व राष्ट्रीय अध्यक्ष काव्यसृजन के मार्गदर्शन व डॉ संगीता शर्मा अधिकारी राष्ट्रीय अध्यक्षा काव्यसृजन महिला मंच की देख रेख में दिल्ली, मध्यप्रदेश, बहरीन से होते महाराष्ट्र में भी दिनाँक 13 सितंबर 2020 दिन रविवार को काव्यसृजन महिला मंच महाराष्ट्र इकाई द्वारा मंच की अध्यक्षा इंदू मिश्रा की देखरेख में कोषाध्यक्ष डॉ वर्षा सिंह के लाजवाब संचालन में मुम्बई, नवी मुम्बई की जानी मानी कवयित्रियों ने अपनी रचनाओं से सराबोर कर दिया। कवि प्रा. अंजनी कुमार द्विवेदी व पं. शिवप्रकाश जौनपुरी भी अपनी दमदार उपस्थिति दर्ज कराये।
  आयोजन की अध्यक्षता अर्चना जौहरी ने किया, संचालन डॉ वर्षा सिंह ने किया। चित्रा देसाई बतौर मुख्म अतिथि पूरे समय उपस्थित रहीं। आयोजन की शुरुआत प्रमिला शर्मा ने सरस्वती वंदना करके की।
तत्पश्चात आर जे आरती सइया ने बहुत ही बेहतरीन प्रस्तुति देते हुए सधे शब्दों में कहती हैं, है तमन्ना वहाँ पहुँचने की, कोई रास्ता जहाँ नहीं जाता।
वरिष्ठ कवयित्री मधु श्रृंगी कहती हैं, युग क्रम बदले है, कर्म न बदल पाए, नारी उत्पीड़न की सबमे कहानी है।
सतयुग, त्रेतायुग, द्वापर व कलियुग, अबला पर सबने ही करी मनमानी है।
शायरा पूनम खत्री कहती हैं, भारत माँ की बिंदी है ये जो भाषा हिंदी है।
 महिला मंच की अध्यक्षा इंदू मिश्रा कहती हैं, मौत आ ही गया अब अगर सामने, हैं वतन की कसम याद आते रहें,
छोड़ कर आज दुनियाँ चला मैं कभी लौटकर आऊँगा मैं बताते रहें।
आयोजन की अध्यक्षा अर्चना जौहरी कहती हैं, कहाँ गये वो हाँथ,जो प्रेम के सर्वोत्तम मानक की बुनियाद में थे।
जो रच गये इतिहास, दे गये हमें प्रेम निष्ठा।
मुख्य अतिथि चित्रा देसाई कहती हैं, ऋषियों सा तप करते ये बर्फ के गुम्बद हे सूर्यदेव, हमें आग दो कि हम फिर पिघलें जल हो बरसे।
वहीं डॉ वर्षा सिंह कहती हैं, अलंकार रस छंद में, कविगण गायें गीत। भाव एक हर गीत का, हिन्दी की हो जीत।
तो महिला मंच की सचिव सुमन तिवारी ने कहा, फिर प्रगटे श्रीराम वीर सा मोदी बन नारायन।
धनुष उठाके चाप चढ़ायेन मन्दिर शोध करायन।
 पं.शिवप्रकाश जौनपुरी ने कोरोना से मुक्ति पाने हेतु हनुमान जी से विनती करते हुए कहते हैं, विनती सुनो वीर हनुमान, ध्यान हम तेरा जगाते हैं।
प्रा. अंजनी कुमार द्विवेदी अवसान करते हुए कहते हैं, तुम हमारे बनो हम तुम्हारे बने, एक दूजे के हम तो सहारे बनें।
  मुख्य अतिथि चित्रा देसाई ने हिन्दी लिखें हिन्दी पढ़ें हिन्दी अधिकाधिक बोलें और हिन्दी को समृद्ध करें, पर जोर देते हुए अपने उद्बोधन में संस्था के काम की सराहना की और साधुवाद दिया।
पं. जौनपुरी ने कहा कि हिन्दी दिवस मनाने से हिन्दी का उत्थान नहीं होगा। हिन्दी को आत्मसात व अंगीकार करने की आवश्यकता है। दिवस उसका मनाया जाता है जो मर जाता है और हिन्दी मरी नहीं है। हिन्दी को विस्तार की आवश्यकता है न की ढोंग करने की। आयोजन अध्यक्षा अर्चना जौहरी ने भी हिन्दी विस्तार पर जोर देते हुए कहा कि हिन्दी को राष्ट्र भाषा बनाने के लिए सतत प्रयास करते रहना जरूरी है और उन्होंने बताया कि हिन्द और उर्दू की दोनो भाषाएं एक दूसरे की पूरक है अनायास ही उर्दू के शब्द हिंदी में आ जाते है। अर्चना जौहरी कार्यक्रम की भूरि भूरि प्रशंसा की और सभी रचनाकारों की रचनाओं पर संक्षिप्त प्रकाश डालते हुए कवि कवयित्रियों का उत्साहवर्धन किया और महिला मंच की पदाधिकारियों को साधुवाद दिया।
अंत में महिला मंच की अध्यक्षा इंदू मिश्रा ने सभी का आभार प्रकट करते हुए अभिनंदन किया व साथ में अपील भी की,कि आप सब संस्था पर अपना प्यार बनाये रहें।

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