जौनपुर : बचपन मे एक कहावत कही जाती थी 'न खेलब न खेलय देब' अर्थात न स्वयं करेंगे और न ही दूसरे को करने देंगे. इस कहावत को चरितार्थ होते अधिकांश लोगों ने अपने जीवन में बखूबी महसूस किया होगा. अक्सर कुछ दबंग और शरारती बच्चे कुछ बच्चों के खेल में आ कर खड़े हो जाते और उनका खेल बिगाड़ने की कोशिश करते या फिर कई बार वे ऐसा करने में कामयाब भी हो जाते. उनका यही मकसद होता कि न वे खेलेंगे और न ही दूसरे को खेलने देंगे. आज फिर इस बात को महसूस होते तहसील बदलापुर के ग्राम औंका में देखने को मिला. पिछले करीब बीस दशक से औंका गांव में जाने के न ही कोई रोड है और न ही चकरोड बचा है किचा वाला रोड हालत इतने बत्तर हो गए है कि कई बार ग्रामवासी उस किचा मे गिर के घर पहुचते है बरसात के वक्त वहां से गुजरना मतलब कांटो पर चलने के बराबर होता है. जिसके चलते ग्रामवासियो को काफी दिक्कत का सामना करना पड़ता है. हालांकि पिछले दिनों गांव के लोगो ने इसकी शिकायत जिलाधिकारी से की. जिसके उपरांत लेखपाल श्रीराम गौतम द्वारा चकरोड का माप किया गया।जिसकी सभी ग्रामवासियो ने काफी खुशी जाहिर की. फिर भी राजनेताओं व प्रशाशन कि गहरी पैठ रखनेवाले कुछ असामाजिक तत्व इसे मंजूर करने के बजाय इसे रोकने की तैयारी में जुटे है. बड़ी बात है कि क्या कुछ असामाजिक तत्व की इस हरकत का जवाब जिलाधिकारी या उप जिलाधिकारी क्यों नही दे रहे. क्या उनपर किसी राजनेता का दवाब है? या बड़े हादसे का इंतज़ार कर रहे है ? कब तक ग्रामवासियो को उस कीचे से गुजरना होगा?
रिपोर्ट- जितेंद्र शर्मा
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