पूरे विश्व में महामारी का रूप धारण कर चुका कोरोना वायरस ने देश में पांव पसार लिया है। पूरे देश मे बारह दिन से अधिस समय से लॉकडाउन चल रहा है। 21 दिनों के हुए इस लॉक डाउन के बाद गरीब रिक्सा चालक, होटल वर्कर व दिहाड़ी तबके के मजदूरों को अब राशन खाना के कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है।
रोजमर्रा की जिंदगी जीने वाले गरीब तबके व दिहाड़ी के मजदूरों को कोई समस्या न हो इसके लिए महाराष्ट्र में सक्रिय सामाजिक संगठन नव झारखंड फाउंडेशन झारखंडवाशियों के लिए मशीहा बन कर उभरा है।
कोरोना विषाणु के संक्रमण को पूरा देश में फैलने से रोकने के लिए सोशल डिस्टेंस बनाने के लिए 21 दिनों के हुए लॉक डाउन के बाद गरीब मजदूर तबके व दिहाड़ी के मजदूरों को अब राशन खाने की कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है।
गरीब मजदूर तबके व दिहाड़ी के मजदूरों को कोई समस्या न हो इसके लिए महाराष्ट्र में फंसे झारखंड वासीयों को मदद करने के लिए सामाजिक संगठन नव झारखंड फाउंडेशन ने हाथ बढ़ाया है।
हज़ारों गरीब, असहाय व दिहाड़ी के मजदूरों को फाउंडेशन के निजी व्यय से अब तक खाद्य सामग्री देकर मानवता की एक नई मिसाल पेश की है। नव झारखंड फाउंडेशन का यह कार्य सराहनीय है।
फाउंडेशन के राष्ट्रीय अध्यक्ष किशोरी राणा ने अपने अधिकारियों के मदद और माध्यम से मुम्बई में फंसे झारखंड के वैसे गरीब,असहाय व दैनिक मजदूरों को चिन्हित कराया जो वास्तव में काम न मिलने से भुखमरी के कगार पर पहुंच गए थे।
चिन्हित करने के बाद संगठन उन्हें सहयोग के तौर पर 10 किलो चावल, 5 किलो आटा, 2 किलो दाल, 2 किलो आलू सहित अन्य खाद्य सामग्री का एक पैकेट तैयार कर बांटा।
और जो मुम्बई से बाहर महाराष्ट्र के अन्य जिलों में फंसे हैं उनको फोन पे, गूगल पे और पेटीएम के माध्यम से खाद्य सामग्री लेने नहीं पहुंचे अब संबंधित बीट के सिपाही उपलब्ध कराया गया।
खाद्य सामग्री जिन्हें उपलब्ध कराया गया उन्होंने बताया कि हम लोगों को 12 दिनों की खाद्य सामग्री नव झारखंड फाउंडेशन ने दिया है। इन लोगों ने कहा कि मैं किशोरी राणा, ईश्वर गुप्ता, अमर सिंह और संगठन के सभी अधिकारियों को धन्यवाद देता हूं, जिन्होंने हम लोगों की पीड़ा को नजदीकी से समझा।
फाउंडेशन के राष्ट्रीय अध्यक्ष किशोरी राणा ने बताया कि लॉक डाउन के दौरान मुम्बई में फंसे हमारे झारखंड के गरीब व मजदूरों को खाने पीने की कोई समस्या न हो इसके लिए फाउंडेशन के तरफ से राहत सामग्री का वितरण किया जा रहा है।
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